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Friday, January 31, 2020

मूली
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रफानस स्टावुम
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मूली एक जड़ होती है। यह भूमी के अन्दर पैदा होने वाली सब्जी है। वास्तव में यह एक रूपान्तरित प्रधान जड़ है जो जैो भाजन इकट्ठा करके फूल जाती है।। मूली पूरे विश्व में उगायी एवं खायी जाती है। मूली की अनेक प्रजातियां हैं जो आकार, रंग एवं पैदा होने में लगने वाले समय के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। कुछ प्रजातियां तेल उत्पादन के लिये भी उगायी जाती है।
 मूली की सब्जी, मूली की भाजी, मूली का अचार और यहां तक कि सलाद के रूप में हर घर में प्रयोग की जाती है। यूं तो बच्चे, बूढ़े और जवान मूली को देखकर मुंह बनाने लग जाते हैं। वे मूली को नहीं खाना चाहते किंतु मूली एक बहुत फायदेमंद सब्जी है। चाहे एक सामान्य सब्जी लगती हो लेकिन यह गुणों से भरपूर है। यह कई रोगों में मूली बहुत लाभप्रद है।
 मूली का वैज्ञानिक नाम रफानस स्टाइवुम है।  मूली सलाद में बहुत बेहतर पदार्थ है। मूली कई रंगों में पाई जाती है जिनमें काले रंग की मूली, हरे रंग की मूली तथा सफेद रंग की मूली यहां तक कि  शलजम को भी अक्सर वैज्ञानिक भाषा में रफानस ही कहते हैं। बेशक शलजम को अंग्रेजी में टरनिप भी कहते हैं। मूली में कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन विभिन्न प्रकार के विटामिन, विटामिन सी, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस पोटैशियम, जिंक आदि पाए जाते हैं। इसमें पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है।
 मूली के पत्ते, जड़, फल, बीज सभी लाभप्रद होते हैं। यह कैंसर से बचाती है क्योंकि फोलिक एसिड और विटामिन पाए जाते हैं जो कैंसर से लडऩे की क्षमता रखते हैं। मधुमेह के मरीजों के लिए यह इस रोग से छुटकारा दिलाती है। मूली खाने से सर्दी जुकाम नहीं होती। अक्सर सर्दी लगने पर मूली न खाने की सलाह दी जाती है किंतु मूली खाते रहने से सर्दी का रोग नहीं लगता।
 मूली खाने से पीलिया रोग दूर हो जाता है, पेशाब की समस्या हो तो मूली जरूर खानी चाहिए। मूली का रस पीने से पेशाब की जलन पेशाब का दर्द आदि दूर हो जाते हैं। दांतों की बीमारी दूर होती हैं वहीं मसूड़े दांत पर मूली मलने से लाभ होता है। मूली कच्ची खायें या इस के पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं। हर प्रकार से बवासीर में लाभदायक है। गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब का बनना बन्द हो जाए तो मूली का रस पीने से वह फिर बनने लगता है। मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है। एक कच्ची मूली नित्य प्रात: उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
खट्टी डकारें आती हो तो एक कप मूली के रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। मासिक धर्म की कमी के कारण लड़कियों के यदि मुहांसे निकलते हों तो प्रात: पत्तों सहित एक मूली खानी चाहिए।
अंग्रेजी भाषा में रेडीस नाम से जाना जाता है। वास्तव में मूली एक सब्जी है जो सर्दियों में बहुतायत में उगाई जाती है। मूली के अंदर शलजम भी शामिल की गई है जो मूली की ही एक प्रकार है। मूली के जहां बड़े-बड़े पत्ते होते हैं वहीं इसकी जड़ भोजन इकट्ठा करके फूल जाती है। इसलिए भोजन मूली का भोजन मानव का भोजन बन जाता है। मूली के पत्ते लंबे कटावदार होते हैं। वही मूली के सफेद रंग के फूल आते हैं तथा लंबे-लंबे हरे रंग की फलियां लगती है जिन्हें सिंगरी कहते हैं। ये भी विभिन्न प्रकार की सब्जियां बनाने के काम आती हैं।
आलू के संग सिंगरी की सब्जी बेहद स्वादिष्ट होती है। सिंगरी पक जाने व सूख जाने के बाद में बीज बनते हैं। सूखने के बाद अक्सर पीले रंग के बीज बन जाते हैं।
 मूली को किसान व्यवसाय के लिए भी उगाते हैं वही मूली सेहत के लिए बहुत लाभप्रद है। सर्दियों में मूली के पराठे, मूली का रस, मूली की भाजी, मूली का अचार खूब खाया जाता है।
यहां तक कि मूली का रस पीने के बहुत लाभ होते हैं। थकान मिटाने नींद लाने, मोटापा घटाने में मूली के रस में नींबू और नमक मिलाकर लाभप्रद है। कील मुंहासे दूर करने के लिए भी मूली के टुकड़े काटकर चेहरे पर मलने से उन्हें दूर किया जा सकता है। क्योंकि इसमें विटामिन सी एवं जस्त विटामिन-बी, फास्फोरस आदि पाए जाते हैं। पत्ते तथा जड़ पका कर खाए जाते।
भोजन के रूप में खाई जाती है। कच्चे रूप में भी मूली के पत्ते और मूली के जड़ को चाव से खाते हैं। सलाद के रूप में प्रयोग की जाती है।
 मूली के बीजों से तेल निकाला जाता है। मूली के बीजों में 48 फीसदी तेल पाए जाते हैं। खाद्य तेल के रूप में खाया जाता है। यहां तक कि मिट्टी कटाव को रोकने के काम आती है।
मूली खाने के वक्त लाभ है यहां तक कि पाचन शक्ति को भी मूली बढ़ाती है, पोटापा घटाने के काम आती है। ऐसे में स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होती है। हृदय से संबंधित बीमारियों को दूर करने, पथरी अगर गुर्दे की हो तो उसको भी शरीर से बाहर निकाल देती है। यदि लीवर की समस्या हो तो मूली में ऐसा तत्व पाया जाता है जो लिवर को स्वस्थ रखता है। रक्तचाप, कैल्शियम और पोटैशियम के कारण नियंत्रित रहता है। कब्ज वाले लोगों को मूली जरूर खानी चाहिए क्योंकि इसमें रुक्षांस पाया जाता है तथा पेट संबंधित बीमारियों में भी मूली बहुत लाभप्रद है। वैसे भी मूली में एंटीऑक्सीडेंट एवं विटामिन पाए जाते हैं। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है वही पाचन शक्ति को बहुत लाभप्रद है।
 गठिया के कई प्रकार मूली द्वारा दूर किए जा सकते हैं। यहां तक कि त्वचा को सुंदर बनाने के लिए भी काम में लेते हैं।मूली को सलाद के रूप में सब्जी बनाकर, पत्तों का साग बनाकर खाया जाता है। मूली खाने से जहां लाभ हैं वहां समस्याएं भी देखने को मिली हैं।

 डायरिया, पेट में दर्द जैसी समस्या अधिक मात्रा में मूली खाने से पैदा कर सकती है वरना मूली खाना शरीर के लिए बहुत अधिक लाभप्रद है। मूली खाने के बाद अक्सर गुड़ खाने से  खराब डकार नहीं आती। ग्रामीण क्षेत्रों में तो मूली के संग रोटी खाने का भी रिवाज चला हुआ है। लोहा बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इसके पत्ते साग सब्जी आदि के काम आते हैं जो खून की कमी को दूर करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान इसे उगाकर पशुओं के लिए चारे के रूप में भी प्रयोग करते हैं वहीं बाजार में बेचकर अपनी आय बढ़ा लेते हैं। इंसान के लिए है जितनी लाभप्रद हैं उतनी ही लाभप्रद पशुओं के लिए भी है। इसलिए पशुओं को भी खिलाना लाभ होता है।















**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़ हरियाणा**

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