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Thursday, January 23, 2020

तुलसी
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पवित्र तुलसी****
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****ओसिमम सेंक्टम******
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तुलसी- पुदीना, मुराया तथा नकद बावरी नामक पौधे के कुल से संबंधित है। शाक के रूप में घरों में बहुत अधिक उगाई जाती है। यह एक एक धार्मिक पौधा माना जाता है जिसकी पूजा की जाती है। तुलसी का वानस्पतिक नाम बेसिलस सेंक्टम तथा और ओसिकम बेसिलिकम नाम से जाना जाता है। तुलसी प्राचीन समय से घरों के आंगन में उगाई जाती रही है जो शुभ मानी जाती है। यह विष्णु का पौधा माना जाता है। यह कई रूपों में पाई जाती है अक्सर यह एक वर्षीय पौधा होता है। कभी-कभी यह एक वर्ष अधिक भी चल सकता है। इसके अलग-अलग खुशबू पाई जाती है। इसमें तेल भी मिलता है जो कई दवाओं में काम आता है। इसके करीब 60 प्रजातियां पाई जाती हैं।
 तुलसी में कार्बोहाइड्रेट, रुक्षांस, वसा, प्रोटीन विटामिन-ए, विटामिन- बी,विटामिन- सी और विटामिन-के पाए जाते हैं। साथ में तांबा, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जस्ता, सेलिनियम आदि तत्व भी मिलते हैं। यह विभिन्न देशों में उगाया जाता है।
 बगीचा में घरों में तथा विभिन्न क्षेत्रों में उगाकर इसका लाभ उठाया जाता है। टमाटर के साथ उगाया जाए तो टमाटर की खुशबू में भी बदलाव आ जाता है। तुलसी को विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जाता है। इसे पवित्र तुलसी नाम से जाना जाता है। जहां एक तरफ इसकी धार्मिक मान्यता है वहीं कई बीमारियों के इलाज में काम आता है। यह भी माना जाता है जिस घर में आंगन में तुलसी का पौधा होता है वहां रोगाणु प्रवेश नहीं कर सकते। यही नहीं अपितु उस घर का वातावरण भी साफ सुथरा मिलेगा।
तुलसी हरे रूप में बहुत अधिक प्रयोग की जाती है। यह इसके पत्ते, टहनी, बीज सभी उपयोगी माने जाते हैं। इसके बीजों को यदि पानी में डाल दिया जाए तो जिलेटिन जैसा पदार्थ बन जाता है इसलिए कोई क्षेत्रों में से विभिन्न प्रकार के पेय बनाने के लिए काम में लाया जाता है। यह भी सिद्ध हो चुका है कि इस पर फंगस नहीं लगती वही कीटों को दूर भगाती है। यहां तक कि मच्छर भी नहीं आते। आयुर्वेद में चाइनी दवाओं में इसे प्रयोग किया जाता है।
तुलसी एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबियल्स तथा एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर है। सर्दी जुकाम, कैंसर, शुगर, हृदय रोग जैसी बीमारियों में बहुत कम आती है। श्वास नली से जुड़े रोग, शरीर में आई सूजन तुलसी के सहायता से दूर की जा सकती है। यहां तक कि मानसिक तनाव को भी तुलसी दूर करती है। शरीर में रोग रोधक क्षमता भी बढ़ाती है। यह ऊर्जा बढ़ाने में मददगार साबित होती है। तुलसी के पत्ते खाने से लाभ होता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट पाए जाते है। इसलिए तनाव दूर करती है। कफ को नष्ट करती है वहीं दमा जैसे रोगों में लाभप्रद है। तुलसी की पत्तियां कटने, जलने से बने घाव को ठीक करने के भी काम आती है।
   वही वजन घटाने में इसका अहम रोल होता है। मुंह के स्वास्थ्य विशेषकर बदबू आना, पायरिया लगना, मसूड़ों की दूरी बीमारियां ठीक करने में भी तुलसी काम आती है। एंटीबैक्टीरियल गुण इसके काम आते हैं। तुलसी आंखों के रोग दूर करने के काम आती है वहीं सिर दर्द में तुलसी बहुत फायदेमंद है। तुलसी की चाय बनाकर पीने से शरीर में शरीर रोग और सिर दर्द दूर हो जाता है। वही तुलसी की चाय में शहद भी मिलाया जा सकता है। यह कालस्ट्राल को खत्म करती है इसलिए हृदय घात में सहायक है। तुलसी का नियमित प्रयोग करने से हृदय रोग की समस्या नहीं रह सकती।

 यदि गले में खराबी है, मौसम के बदलाव से, ठंडा खाने से, धूम्रपान करने से, गले में खराश हो जाती है उस समय तुलसी का काम में लाई जाती है। कैंसर के इलाज में बहुत अधिक लाभप्रद है। तुलसी के रस मेें रेडियोप्रोटेक्टिव गुण होता है जो शरीर में कैंसर की कोशिकाएं नहीं पनपने देता। शुगर की बीमारी नहीं होती वही खांसी और सर्दी में तुलसी लाभप्रद है।
 गुर्दे के रोग तुलसी द्वारा ठीक किए जा सकते हैं। गुर्दे की पथरी अगर हो तो भी लाभप्रद है। पेट के दर्द को ठीक करने, लीवर में आई खराबी को दूर करने के लिए भी तुलसी काम में ली जाती है। सूजन में रक्त वाहिनियों के लिए तुलसी लाभप्रद है। वही कील मुंहासे तुलसी द्वारा ठीक किए जा सकते हैं क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल का गुण पाया जाता है।
 त्वचा के संक्रमण के लिए तुलसी प्रयोग की जाती है।
एग्जिमा रोग हो जाए, बालों के झडऩे की समस्या और डैंड्रफ हो तो भी तुलसी कारगर है। ऐसे में सफेद बाल हो जाते हैं तो तुलसी प्रयोग करनी चाहिए।
तुलसी को खाली पेट की पत्तियां चबाने चाहिए लेकिन चबाने से पहले धो लेनी चाहिए। तुलसी के पत्तों के साथ अदरक एवं शहद का इस्तेमाल करके हर्बल चाय बना सकते हैं। विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते काटकर डाले जा सकते हैं जिससे स्वाद बदल जाता है।  सलाद में भी तुलसी के पत्ते डाले जा सकते हैं किंतु तुलसी जहां लाभप्रद है वहीं यह हानिकारक भी कुछ जगह साबित हो सकती है।

 गर्भवती महिला या शिशु को स्तनपान करा रही महिला को तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए। तुलसी शरीर में खून के थक्के नहीं बनने देती इस कारण से खून बहुत पतला हो जाता है। तुलसी में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती कारण से रक्तचाप को कम कर सकती है किंतु अगर कोई रक्तचाप से पीडि़त है या रक्तचाप कम रहता हो उसे नहीं लेनी चाहिए। तुलसी व अदरक की चाय ज्यादा मात्रा में पीने से पेट और सीने में दर्द हो सकता है। मधुमेह की दवा लेने वाले व्यक्तियों को तुलसी नहीं लेनी चाहिए।
ऐसे में तुलसी स्वस्थ आंखें, त्वचा विकार वालों के लिए जरूरी है। जोड़ों के दर्द से बचाती है वही इसकी चाय दस्त, जी मचलाना, गैस, पेट दर्द में आरामदायक है। पाचन शक्ति को मजबूत बनाती है वही तनाव दमा, सर्दी, खांसी ठीक हो जाते हैं। यही कारण है कि पुराने समय से तुलसी घरों में उगाई जाती रही है। गमलों में, घर आंगन के बीच में, ईशान कोण में तुलसी देखी जा सकती है। तुलसी के कुछ जगह बाग भी लगाए जा रहे हैं।










**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़, हरियाणा**


               तुलसी
          (ओसिमम टेन्वाइफोलियम या सेंक्टम)

हर घर आंगन में मिलता
अति पवित्र पौधा मानते
विष्णु या श्रीकृष्ण रूप में
तुलसी को जन पहचानते,

                        दो रूप होते हैं तुलसी के
                      राम, श्याम रूप कहलाए
                    सुबह सवेरे से पूजा होती
                    बिगड़े काम सभी बनाए,

विष्णु का रूप होता यह
अत: इसे काटना है पाप
पत्ते नहीं चबाने चाहिए
वरना दांतों को लगे शाप,

                    कार्तिक में तुलसी विवाह
                   धूमधाम से मनाया जाए
                  आयुर्वेद का आधार होता
                 कई रोगों को दूर भगाए,

देव-दानवों का युद्ध हुआ
धन्वंतरि अमृत ले आया
खुशी के मारे अश्रु गिरी
तुलसी वहां उसमें पाया,

                       पत्तों को अन्न में मिला दे
                      कीट दूर ही भाग जाएंगे
                    पत्ते करे प्रतिदिन प्रयोग
                    घातक कैंसर भाग जाएंगे,

अल्प बुद्धि तेज करनी हो
तुलसी के पत्ते करे प्रयोग
बुखार, सर्दी, खासी रोग
भागते मिलेंगे यह संयोग,

                   गले का रोग हो जाता है
                  या सांस का रोग सताता है
                   गुर्दे की पथरी की परेशानी
                 सभी में करामात दिखाता है,

तनवा को कर देता यह दूर
खून को साफ कर देता है
कीट काट जाते जब कभी
उनको भी दूर कर देता है,

               आंखों के रोग जब लगते
               त्वचा के रोग जब मिलते



              सिरदर्द जैसे रोग सताते हैं
              मुरझाए भी चेहरे खिलते।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना**

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