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Monday, January 27, 2020















पीपल
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 पीपल जिसे अंगे्रजी पीपल तथा इसके नजदीकी बरगद को बनयान ट्री कहा जाता है। यह एक बहुवर्षीय विशाल वृक्ष है। यह एक द्विबीजपत्री वृक्ष है। इसका तना सीधा एवं कठोर होता है। बड़ा होने पर शाखाओं से जड़े निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए धरती के भीतर घुस जाती हैं और जड़ का रूप बन जाती हैं।
  इन जड़ों को वायुवीय जड़ कहते हैं। इसका फल छोटा गोलाकार एवं कई रंगों का होता है। इसके अन्दर बीज पाया जाता है। इसका बीज बहुत छोटा होता है किन्तु इसका पेड़ बहुत विशाल होता है। इसकी पत्ती चौड़ी
होती है तथा इसकी पत्ती, शाखाओं एवं कलिकाओं को तोडऩे से दूध जैसा रस निकलता है जिसे लेटेक्स अम्ल कहा जाता है।
हिंदू धर्म में पीपल एवं वट वृक्ष की बहुत महत्ता है। त्रिदेवों की तरह ही वट,पीपल व नीम को माना जाता है, अत:एव बरगद को शिव समान माना जाता है। अनेक व्रत व त्यौहारों में वटवृक्ष की पूजा की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में पीपल को बहुत पूजा जाता है।
पीपल हिंदू धर्म में पीपल का पेड़ का बहुत महत्व है न केवल धर्म से जुड़ा हुआ है अपितु वनस्पति विज्ञान और आयुर्वेद में इसके अनेकों लाभ है। सांस की तकलीफ होने पर पीपल बहुत फायदेमंद है। पीपल की छाल का अंदरूनी हिस्सा निकालकर खाने से सांस की तकलीफ दूर होती है वही पीपल से गैस और कब्ज की समस्या भी दूर होती है।
 पेट संबंधित अनेक बीमारियां ताजे पत्तों का रस लेने से दूर हो सकती है। पीपल की दातुन करने से दांतों की दर्द की समस्या भी दूर होती हैं। पीपल की छाल कत्था और काली मिर्च मिलाकर मंजन किया जाता है। किसी जहरीले जीव जंतु द्वारा काट लेने पर पीपल के पत्तों का रस लाभप्रद होता है वहीं त्वचा के रोगों में बहुत महत्वपूर्ण है। दाद खाज, खुजली पत्तों को खाने या इसका काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है वही फोड़े फुंसी की समस्या इसकी छाल पीसकर लगाने से दूर हो जाती है।
 यदि शरीर पर कहीं घाव हो गया है तो पत्तों का लेप किया जाता है वहीं सर्दी जुकाम से बचना हो तो पत्तों को सुखाकर मिश्री के साथ काढ़ा बनाकर लिया जाता है। यही नहीं त्वचा के लिए पीपल बहुत लाभप्रद है पूजा की झुरियां कम कर देता है। यदि ताजा जड़ को भिगोकर त्वचा पर लेप करने से झुरियां कम हो जाती है। एंटीआक्सीडेंट के कारण  पत्तों को नियमित रूप से चबाने से बढ़ती उम्र रुक जाती है।
 नकसीर आने पर ताजे पत्तों का तोड़कर उस का रस निकालकर नाक में डाला जाता है। एडिय़ों पर बवाई हो तो पीपल के पत्तों का दूध निकाल कर एडिय़ों पर लगाने से नर्म और मुलायम हो जाते हैं। पीलिया रोग में मिश्री मिलाकर दिया जाता है।
बच्चा हकलाकर बोलता है तो फलों को सुखाकर चूर्ण शहद में मिलाकर दिया जाता है। यह एक राष्ट्रीय पौधा है।
पीपल विशालकाय पेड़ है और इसका बीज बहुत छोटा होता है। इसकी छांव बहुत गहरी होती है। हवा चलने पर इसकी पत्तियां विशेष आवाज निकालती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अनेकों इसके फायदे हैं। इसका वानस्पतिक नाम फिकस रिलिगियोसा है। उसके पत्ते सांस की तकलीफ को दूर करने में लाभप्रद है, अस्थमा दूर हो
जाता है।       डायरिया होने पर काम में लाया जाता है। इसकी छाल में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। हृदय रोग के लिए पीपल के पत्ते का सेवन किया जाता है जो हृदय के लिए लाभप्रद है। यदि लीवर में कोई तकलीफ है तो पीपल के पत्ते से चिकित्सा की जाती है। इनफर्टिलिटी/ गर्भधारण करने की समस्या हो उस समय भी पीपल काम में लाया जाता है।  मधुमेह की बीमारी के इलाज के पत्ते काम में लाए जाते हैं।
इसमें कार्बोहाइड्रेट, रुक्षांस,प्रोटीन, वसा, कैल्शियम लोहा, तांबा, मैग्नीशियम तत्व पाए जाते हैं।
पीपल के जहां लाभ है वहीं इसके नुकसान भी हैं। पीपल के पत्ते में कैल्शियम होता है सेवन करने से हृदय रोग और कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। उसका कड़वा स्वाद उल्टी का कारण बनता है। इसके पत्ते से कई
प्रकार के पेट की समस्या उत्पन्न हो सकती हैं।
 वैसे  तो पीपल के छाल, अर्क, पत्ते,जड़ और फल आदि अनेक भाग लाभप्रद है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पीपल का पेड़ घर में लगाना अच्छा नहीं माना जाता। केला और तुलसी आदि पौधे घर में उगाना लाभप्रद माने जाते हैं किंतु पीपल नहीं। पीपल प्राय जोहड़ और तालाब, स्कूल, संस्था आदि में अधिक लगाए जाते हैं जहां पर जीव जंतु भी विश्राम करते हैं। वहीं इसके पत्ते खाद का कार्य करते हैं। पशु के बहुत से रोगों के इलाज में भी पीपल कारगर है। पीपल की अनेक प्रजातियां पाई जाती है जिसमें बहुत बड़े बड़े पौधे पाए जाते हैं। पीपल,बरगद, रबड़ और गुल्लर आदि इसी कुल से जुड़ हैं।

पीपल सबसे अधिक ऑक्सीजन छोडऩे वाला पौधा होता है। इसलिए उसकी पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में इसीलिए पूजते क्योंकि लंबे समय तक ऑक्सीजन प्रदान करता है। सूर्य उदय होने से पहले तथा सूर्यास्त होने के बाद भी आक्सीजन प्रदान करता रहता है। उसके फल छोटे हो किंतु पेड़ बहुत बड़ा है। बीज बहुत छोटे होते हैं।
 यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है, पेशाब की समस्या, हृदय की बीमारी, पेट के कीड़े आदि में काम में लाया जाता है। बच्चे की मंदबुद्धि को ठीक करने में भी पीपल के पत्ते का काम आते हैं। सुखी खांसी पुरानी खांसी, हल्का बुखार आदि हाथ, पैरों का फटना, प्यास अधिक लगना, कमजोरी, सूजन  के रोग में यहां तक कि बांझपन में भी पीपल काम में लाया जाता है।
 पीपल वृक्ष की जटा बहुत उपयोगी मानी जाती है। दवाओं में काम में विशेषकर बांझपन को दूर करने में काम में लाई जाती है। नपुंसकता को दूर करने में दूध के साथ सेवन किया जाता है। यदि तिल्ली बढ़ जाए तो भी पीपल की छाल में लाई जाती वही धातु की बढ़ोतरी में
भी काम में आती है। पीपल के फल को पीसकर दूध के साथ दिया जाता है। सांप के काटने पर पत्तों का रस पिलाया जाता है।
सांस के रोग में भी पीपल

काम में लाया जाता है। पीपल अनेकों औषधियों में काम में लाया जाता है। इसलिए पीपल देवता माना जाता है। 
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़, हरियाणा**

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