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Tuesday, January 7, 2020

झलझाई 
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सोलेनम जैंथोकार्पम **************************** 
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कंटकारी/झलझाई/भटकटैया 
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सर्टांश नाइटशेड, पीले फलवाला नाइटशेड
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 पीली बेरीवाला नाइटशेड,थाई ग्रीन एगप्लांट
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 धारीदार एग प्लांट/कंटेल
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फसर फसाई का टिंडरा
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झलझाई जिसे सोलेनम जैंथोकार्पम वानस्पतिक नाम से जाना जाता है। किसी सर्टांश नाइटशेड, पीले फलवाला नाइटशेड, पीली बेरीवाला नाइटशेड,थाई ग्रीन एगप्लांट, हाई धारीदार एग प्लांट/कंटेली/कंटकारी/भटकटैया आदि नामों से जाना जाता है।
यह भूमि पर फैलने वाला पौधा है जिसे सामान्य भाषा में कंटकारी/झलझाई/भटकटैया आदि नामों से जाना जाता है। बैंगन कुल का यह पौधा पूर्ण रूप से कांटों से
भरा होता है। इसकी टहनियों पर भारी संख्या में कांटे होते हैं और पीले फल लगते हैं। ये फल जब कच्चे होते हैं तो रंग हरा होता है किंतु पक जाने पर पीले रंग का हो जाता है।
यह बहुत कम पानी में भी अच्छी प्रकार विकसित हो जाता है। जहां इसे लोग जहरीला मानते हैं। यह शाक रूप में मिलता लेकिन कभी-कभी यह झाड़ी और यदा-कदा पेड़ भी बन जाता है। इसके फल रंग बदलते रहते हैं। प्रारंभ में यह फल धारीदार, हरे रंग के होते हैं। इस पर बैंगनी फूल आते हैं जो गुच्छे के रूप में निकलते हैं। फल अंडाकार या गोल होते हैं। यह पौधा औषधीय गुणों से भरा हुआ है लेकिन धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है।
 कई वर्षों तक चलने वाला एक पौधा है जिसे कुछ लोग
कटेरी/कंटेली नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में यह बहुत बहुत उपयोगी पौधा है। इसकी जड़, फल एवं पत्ते आदि औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। दशमूल तथा लघु पंचमूल औषधियों में रूह डाला जाता है।
यह पौधा ज्वरनाशी, पसीना लाने वाला, कफ एवं वातनाशी रूप में पाया जाता है। दर्द के स्थान पर बीजों का लेप करने से दर्द से दूर हो जाता है। इस पौधे का काढा गठिया, सुजाक रोग में लाभकारी होता है वही जड़ का काढ़ा दमा,कफ, बुखार, हिचकी में उपयोगी है। जब बुखार और पेट में पथरी हो जाती है तो जड़ों का काढा पीने से आराम मिलता है।
छोटे बच्चों में जहां बुखार हो जाता है तो फलों का चूर्ण शहद के साथ देने से लाभ होता है। फूल एवं कलियों का अर्क दर्द नकसीरी, आंखों में पानी आने में उपयोगी है। फलों का काढ़ा गले में सूजन,छाती दर्द आदि में भी लाभदायक है। बीजों का चूर्ण बनाकर श्वास रोग, यकृत रोग में काम में लाया जाता है। पूरा पौधा सूखाकर राख बनाकर शहद में मिलाकर दमा के रोगियों को दी जाती है ताकि उन्हें राहत मिल जाती है।
अनेक गुणों से परिपूर्ण यह एक औषधि है जिसमें इसमें पोटेशियम नाइट्रेट, फैटी एसिड  तथा कई अन्य एसिड पाए जाते हैं। स्वास्थ संबंधी अनेक समस्याओं में यह लाभप्रद है। यदि जनन क्षमता, शुक्राणुओं की वृद्धि में बहुत लाभकारी है। गंजापन को दूर करता है किंतु इस पौधे का उपयोग बगैर किसी अच्छे वैद्य की सलाह के नहीं लेना चाहिए।
यह पौधा मूत्रवर्धक होता है। इसको बवासीर पेशाब में दर्द जैसे रोगों में लाभकारी माना जाता है। गर्म तासीर का होता है तथा पशुओं के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना इंसानों के लिए लाभकारी है। यह मिर्गी जैसे रोग में ,लीवर में गर्भावस्था में, बाल झडऩे की समस्या, ब्लड ाूगर कम करने, मिर्गी दौरे का दूर करने, सुजाक, दांत दर्द आदि में काम में लाया जाता है।  अधिक मात्रा प्रयोग कर लिया जाए स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है इसलिए इसका उपयोग बगैर वैद्य के नहीं करना चाहिए। बुजुर्ग इसे फोड़ा फंसी के इलाज में काम लेते थे।








यह पौधा आसपास सूखे स्थानों, बंजर भूमि में पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है। इस पौधे को घर के आस-पास लोग नहीं उगने देते क्योंकि इस पर बहुत अधिक कांटे होते हैं जिसको लोग उखाड़ कर फेंक देते हैं किंतु यह बहुत लाभप्रद होता है। 

**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़ हरियाणा**

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