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Friday, January 24, 2020



पपीता
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स्वर्ग दूतों का फल
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 पपीता एक फल एवं सब्जी दोनों रूपों में प्रयोग किया जाता है। इसे अंग्रेजी में पपाया कहते हैं। यह अक्सर पीले रंग का फल होता है जो पूरे ही संसार में पाया जाता है। पपीता वृक्ष होता है जिस पर शाखाएं नहीं पाई जाती। पत्ते बहुत बड़े होते हैं। तने पर ही फल लगते ह। फूल नर और मादा के रूप में अलग-अलग पाए जाते हैं। पपीते के नर और मादा पौधे अलग होता है। दोनों होने पर ही फल लगते हैं लेकिन यह भी सच है कि 3 किलोमीटर दायरे में नर और मादा दोनों पौधे होंगे तो मादा पौधे पर ही लग सकते हैं।
 यह मैक्सिको से उत्पन्न हुआ माना जाता है जिसका वानस्पतिक नाम करीका पपाया है। इसकी 22 प्रजातियां पूरे संसार में पाई जाती हैं। भारत पपीता उत्पादन में पहले स्थान पर है। पपीते की दो प्रकार होती है मीठा-लाल तथा दूसरा पीला। ये लाल और पीला पपीता नाम से जाने जाते हैं।

पपीता एक पौष्टिक फल है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, चीनी, रुक्षांस,प्रोटीन, विटामिन-ए, बी, सी, डी तथा के तथा विटामिन बी के विभिन्न प्रकार पाए जाते हैं। पपीता दो-तीन साल में फल देने लग जाता है।
 शीघ्र फलने वाले फलों में पपीता अत्यंत उत्तम फल है। पेड़ लगाने के बाद वर्ष भर के अंदर ही यह फल देने लगता है। इसके पेड़ सुगमता से उगाए जा सकते हैं और थोड़े से क्षेत्र में फल के अन्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक पेड़ लगते हैं।
इसके पेड़ कोमल होते हैं। ऐसे स्थानों में जहाँ शीतकाल में पाला पड़ता हो, इसको नहीं लगाना चाहिए। ऐसे स्थानों में जहाँ पानी भरता हो, पपीता नहीं बढ़ता। पेड़ के तने के पास यदि पानी भरता है तो इसका तना गलने लगता है। पपीते के खेत में पानी का निकास अच्छा होना चाहिए।
पपीते के पेड़ों में नर एवं मादा पेड़ अलग होते हैं। नर पेड़ों में केवल लंबे-लंबे फूल आते हैं। इनमें फल नहीं लगते।

पपीते के पेड़ पर तीन या चार साल तक ही अच्छे फल लगते हैं।
इसके अतिरिक्त इसमें कैल्शियम लोहा मैग्नीशियम, मैंगनीज, पोटैशियम, फास्फोरस, सोडियम, पानी आदि मिलते हैं लेकिन इसमें पोटैशियम बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। पपीता बहुत महत्वपूर्ण फल माना जाता है जो अनेक औषधियों और दवाओं में काम आता है।
पपीता पीले रंग का फल है जिसमें विटामिन एवं खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं।
 इसे खाने के अतिरिक्त त्वचा के रखरखाव में भी काम में लाते हैं। कच्चे पपीते की सब्जी तथा टिक्की बनाई जाती हैं वहीं पका हुआ फल खाने के काम आता है, इसका उपयोग जूस, जेली और जैम बनाने में भी किया जाता है। पपीते को फेस क्रीम के रूप में काम में लेते हैं। पपीता स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है।
 यदि कच्चे पपीते को काटकर मीट-मांस में डाला जाए तो जल्दी पक जाते हैं। पपीता पेट के लिए बहुत लाभप्रद है, पेट की बीमारियों को दूर करता है।  पपीता विभिन्न कामों में योग्य इन कामों में काम उपयोगी है कब्ज को दूर करता है वही पीलिया वाले रोगी इसका उपयोग
करके लाभ उठा सकते हैं। पपीते में पपेन नामक पदार्थ पाया जाता है जो भोजन को पचाने में सहायता करता है। चेहरे की सुंदरता बढ़ाने, चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए पपीता काम में लाया जाता है। पपीता ब्लीचिंग के काम भी आता है। पपीता आंखों के लिए हितकर होता है इसलिए रतौंधी रोग होने पर इसका प्रयोग किया जाता है।
पपीता दांतो के लिए लाभकारी है, दांतों में खून आता है उस समय उपयोग में लाया जाता है। पपीता बवासीर रोग और कब्ज को दूर करता है, डाइटिंग करने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह फल तथा सब्जी दोनों रूपों में उपयोग किया जाता है। पपीता शरीर में कोलेस्ट्राल को कम करता है इसलिए उच्च रक्तचाप वाले रोगियों के लिए, हृदयघात को से बचाने के लिए उपयोग में लेते हैं। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसको खाने से गठिया रोग दूर होता है वहीं हड्डियां मजबूत होती है।

 पपीता खाने से शरीर में होने वाले दर्द एवं परेशानी को कम किया जा सकता है। इसमें पापेन नामक एंजाइम होता है यह तनाव को कम करता है, कैंसर में भी लाभकारी है वहीं बालों के लिए इसका पेस्ट बनाकर लगाया जाता है।
क्रिस्टोफर कोलंबस ने इसे स्वर्गदूतों का फल कहा है। खनिज लवण से भरपूर होता है। पाचन में सहायक, वजन घटाता है। मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी है वही बढ़ती उम्र को रोकता है। जहां पपीते के लाभ है वही पपीते की कुछ हानियां भी हो सकती हैं। पपीता गैस्ट्रिक समस्या से परेशान व्यक्तियों को नहीं प्रयोग करना चाहिए वही गर्भवती महिलाओं को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
यह पौधा बहुत लाभप्रद है। इसका फल एवं पत्ते काम में लाए जाते हैं। डेंगू नामक रोग में भी पपीता के पत्ते कारगर बताए जाते हैं। पपीता नियमित सेवन करने से अनेकों बीमारियों से बचा जा सकता है।

पपीता एक फल है। कच्ची अवस्था में यह हरे रंग का होता है और पकने पर पीले-लाल रंग का हो जाता है। इसके कच्चे और पके फल दोनों ही उपयोगी हैं। कच्चे फलों की सब्जी बनती है।
इसके कच्चे फलों से दूध भी निकाला जाता है, जिससे पपेन तैयार किया जाता है। पपेन से पाचन संबंधी औषधियां बनाई जाती हैं। पके हुए फल का सेवन उदर विकार में लाभदायक होता है।
















**होशियार सिंह, लेखक,कनीना, हरियाणा**




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