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Saturday, January 11, 2020

सेमल****** 
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कोटन ट्री
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रेड सिल्क कोटन, रेड कोटन ट्री, सिल्क कोटन, कोपोक
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सेमल का वृक्ष रेड सिल्क कोटन, रेड कोटन ट्री, सिल्क कोटन, कोपोक नाम से जाना जाता है। साहित्य में इसका विशेष नाम है। इसका वैज्ञानिक नाम बॉम्बैक्स सेइबा है। सबसे अधिक इसे कॉटन ट्री नाम से भी जाना जाता है जो बहुत बड़ा सीधे तने का वृक्ष होता है।
 लाल रंग के पुष्प आते हैं जो बड़े आकार के होते हैं। बसंत ऋतु से पहले ही फूल खिलते हैं। फलों में कैप्सूल जैसा एक फल लगता है। फल के पकने पर श्वेत रंग के रेशे या रूई निकलती है जो बिल्कुल कपास सेी मिलती-जुलती होती है। तोता इसके फल को मधुर फल समझकर जब चोंच मारता है तो बहुत तीव्र गति से रुई निकलती है और तोता डर के मारे उड़ जाता। उसे कुछ हाथ नहीं आता।  इसलिए साहित्य क्षेत्र में विशेष नाम सुआ सेमल भी कहते हैं। इसकी लकड़ी इमारती काम में नहीं लाई जाती है।
 इसके तने पर कांटे होते हैं। फूल की पंखुडिय़ां मोटे आकार की होती हैं। फूल विशेष आकार का होता है वहीं इसेे फल में गुद्दा नहीं होता। इसके पूरे ही शरीर पर कांटे होते हैं। पांच दलपुंजों वाला इसका फूल होता है। फागुन माह में जब इसकी  पत्तियां झड़ जाती उस समय केवल लाल फूल फूल दिखाई देते हैं दूर से यह पौधा फूलों से लदा खड़ा दिखाई देता है।
 जब फूल झड़ जाते हैं तो केवल डोडा फल रह जाते हैं। इसके अंदर जहां बीज पाए जाते हैं। सेमल को निस्सारता नाम से जाना जाता है जिसमें कोई सार नहीं होता। सेमल की रुई रेशमी मुलायम और चमकीली होती है।
 इसके फलों से फूलों से सब्जी बनाकर लोग चाव से खाते हैं। वह इसके बड़े फलों को फूलों को घरों में सजावट के काम में लेते हैं। इसकी लकड़ी पानी में खूब ठहरती है इसलिए नाव बनाने के काम आती है। इसके रेशम रूई को गद्दार तकियों में भरते हैं।इसकी छाल बहुत उपयोगी औषधि माना जाता है जो मधुर, शीतल, शुक्रऔर कफ को बढ़ाने वाला होता है। सेमल की छाल कसैली होती है जो कई रोगों को दूर करती है। इसके फूल शरीर में ठंडक प्रदान करते हैं और स्वाद कड़वा होता है जो वात रोग को दूर करता है। सेमल के फूल कफ और पित्त रक्त विकारों को शांत कर देता है। फल में फूल जैसे ही गुण पाए जाते हैं।
 इस पौधे की जड़ मूसला जड़ कहलाती हैं जो द्विबीजपत्री पौधे में पाई जाती है। इसकी जड़ पुष्टिकारक होती है वही कामोत्तेजना को बढ़ाती है, नपुंसकता को दूर करने वाला पाया जाता है।
 सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है। गोंद को पानी में डालकर चिपचिपा बनाकर कागज आदि चिपकाने के काम आता है।
 मोचरस अतिसार को दूर करने वाला, बलकारी कहा जाता है। कांटो में फोड़े फुंसी वं घाव दूर करने का गुण पाया जाता है। ऐसे में इस पौधे के हर भाग उपयोगी होता है। साधारणतया सेमल फूल के आधार पर पहचाना जाता है। लाल, सफेद और पीले अलग-अलग फूल आते हैं। पीले फूलों का सेमल बहुत कम मिलता है। सेमल का पौधा घर में लगाना शुभ माना जाता है। इसकी रुई नींद लाने वाली और आरामदायक होती है। जो तोशक एवं तकियों में भरकर सोने के काम में लिया जाए तो अच्छी नींद आती है। इसके तने पर एक एक इंच तक के लंबे मोटे काटे मिलते हैं। सेमल जहां फोड़े फुंसियां पर कांटों को पानी में घिसकर लगाने से दूर हो जाता है। यदि इसके फूलों से बनी सब्जी खाए तो आओ कोलाटिस रोग से मुक्ति मिलती है।
कोलाइटिस आंतों में जलन से संबंधित एक रोग होता है। शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए भी इसके बीजों का पाउडर प्रयोग किया जाता है। जिन महिलाओं में के स्तनों में दूध की कमी होती है उन्हें सेमल के पेड़ के जड़ की छाल का पाउडर दूध के साथ प्रयोग करना
चाहिए। यदि स्तनों के लटक जाने की समस्या है तो इसके काटो को घिसकर लेप किया जाता है। जले हुए भाग पर छाल का लेप लगाने से राहत मिलती है वही शरीर की गर्मी जो आंख और मस्तिष्क के लिए खतरनाक होती है सेमल के गोंद द्वारा दूर की जाती है।
 खांसी होने पर इसकी जड़ के चूर्ण में काली मिर्च और
सोंठ के साथ मिलाकर प्रयोग किया जाता है। इसकी रुई मुलायम और आरामदायक होती है इसलिए तकियों के काम आती है। घर के भीतर और आसपास यदि यह पौधा लगा होता है तो शुभ माना जाता है।
सेमल का फल केले के आकार का होता है जो सब्जी बनाने के काम में लाया जाता है। सेमल के फूलों और फल की बाजार में भारी मांग होती है। यह बहुत ऊंचा होता है और इसकी ऊंचाई में  मुकाबला सामान्य पौधा
नहीं कर सकता। कहने को पेड़ एक लेकिन लाभ अनेक हैं। यहां तक कि कुछ लोग सेमल के पौधों से अपनी रोटी रोजी भी कमा रहे हैं। सेमल का हर भाग लाभप्रद होता है।
सेमल स्वप्नदोष, रक्त को साफ करने के लिए लाभप्रद है। सेमल अस्थमा, दस्त ,एनीमिया त्वचा की समस्या में भी काम में लाया जाता है।
** होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़
हरियाणा***

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