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Friday, January 17, 2020

मटर 

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पीज
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मटर प्रमुख रूप से एक सब्जी है जो फल के रूप में जानी जाती है। मटर को पाइजन स्टाइवम नाम से जाना जाता है। यह एक वर्षीय पौधा होता है जो द्विबीजपत्री है। मटर उगाने पर कम अवधि में ही सफेद फूल आते हैं जो बाद में फली में बदल जाते हैं क्योंकि यह लगी लेगूमाइनेसी कुल का पौधा है इसलिए यह भूमि में उर्वरा शक्ति बढ़ाता है। यह एक शाक होता है जिसके तने खोखले होते हैं। प्रत्येक पौधे पर अनेकों फलियां लगती हैं। इन फलियों में मटर के दाने पाए जाते हैं।
 एक जंगली मटर भी पाया जाता है जिसकी फलियां बहुत छोटी होती है और दाने भी बहुत छोटे पाए जाते हैं। हरे रंग का होता है जो सर्दियों में उगाया जाता है और इसे कम ताप की आवश्यकता होती है। यह पौधा बेलनुमा होता है जिसमें प्रतान पाए जाते हैं।
मटर के बीज सूख जाते हैं तो सूखे मटर कहलाते हैं। दलहन जाति का पौधा है इसलिए भूमि में नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। मटर में जा कार्बोहाइड्रेट, चीनी, रुक्षांस, प्रोटीन, विटामिन ए, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी-2,बी-3, बी-6, बी-9,विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक आदि तत्व पाए जाते हैं। जब मटर का समय नहीं होता तो इन्हें अति निम्र ताप पर रख दिया जाता है फ्रोजन पीज नाम से जाना जाता है। जिनको वर्षभर समय-समय पर विवाह शादियों वं अन्य अवसरों पर सब्जी बनाने के काम में लेते है। इनमें अधिक मात्रा में रुक्षांस, प्रोटीन,विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, विटामिन-के के अतिरिक्त मैग्नीशियम, तांबा, लोहा, जिंक आदि तत्व पाए जाते हैं। इसकी अनेकों प्रकार पाई जाती हैं। किसान अपनी सब्जी के रूप में तथा अधिक आय के लिए इन मटरों को उगाते हैं और मटर को हरी सब्जी के रूप में बेच देते हैं।
 मेंडल नामक वैज्ञानिक ने तो मटर के पौधों पर लंबा प्रयोग किया। इस प्रकार उन्होंने डार्विन के विकासवाद की थ्योरी को सही शब्दों में समझाया। मटर कुछ लोगों में एलर्जी का रोग भी कर देते हैं।

मटर बिना बहुत सी सब्जियां और डिसीज अधूरी मानी जाती हैं। पुलाव हो बिरयानी, मटर-पनीर आदि बगैर मटर के स्वादहीन बन जाते हैं। एक तरफ मटर स्वाद में लाजवाब होता है वही आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं। कई गंभीर बीमारियों के इलाज में भी मटर लाभप्रद माना जाता है। मटर स्वास्थ्य के साथ-साथ त्वचा और बालों के लिए लाभप्रद होता है।
मटर की सहायता से मोटापे को घटाया जा सकता है क्योंकि इसमें बहुत अधिक रुक्षांस पाए जाते हैं जबकि ऊर्जा कम पाई जाती है। एंटी आक्सीडेंट पाए जाने के कारण यह कैंसर जैसे रोग में भी लाभप्रद माना जाता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास करता है क्योंकि इसमें मैग्नीशियम पाया जाता है जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। हृदय संबंधित विकारों, खून को साफ करने में भी मटर लाभप्रद है। मटर में फैटी एसिड, एंटी इन्फ्लेमेटरी कारक पाए जाते इसलिए अल्जाइमर नामक रोग में भी लाभप्रद होता है। इसमें सेलिनियम नामक तत्व पाया जाता है जो जोड़ों के दर्द में सहायक है वही यह खून में कोलेस्ट्राल को घटाता है। शुगर की बीमारी वालों के लिए भी मटर लाभप्रद है क्योंकि मटर में कैल्शियम और मैग्नीशियम तत्व पाए जाते हैं। साथ में विटामिन-सी, विटामिन-के आदि पाए जाते इसलिए यह हड्डियों के लिए बहुत बेहतर माना जाता है। कई बार हड्डियों में छेद हो जाते हैं उनको भरने में भी इसका अहम योगदान है।
 मटर में रेशे, खनिज लवण, विटामिन पाए जाते हैं जो पेट संबंधित कई समस्याओं को दूर करते हैं। आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मटर लाभप्रद साबित होता है क्योंकि इसमें ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो आंखों की रोशनी को बढ़ाते हैं। मटर में लोहा, कैल्शियम ,फोलिक एसिड, विटामिन पाए जाते हैं इसलिए गर्भावस्था में लाभप्रद है। त्वचा के लिए विशेष उपयोगी है। यहां तक कि बुढ़ापे को घटाता है। एड़ी फट रही हो तो उसने भी मटर बहुत लाभप्रद होती है। इसमें मिलने वाली विटामिन  एडिय़ों को फटने से बचाता है। त्वचा को चमकदार बनाने में भी इनका अहम योगदान है।
मटर को खाने के साथ-साथ उसका पेस्ट बनाकर भी प्रयोग किया जा सकता है। जहां त्वचा जल गई हो वहां पर इसका पेस्ट लगाया जा सकता है। बालों के लिए मटर बेहतर है। बालों के झ

डऩे उनकी वृद्धि में अति लाभप्रद है।
मटर की फली एक वनस्पति फल है क्योंकि इसमें बीज होते हैं। मटर फूल के अंडाशय से विकसित होता है। मटर दुनिया के बहुत सारे क्षेत्रों में उगाया जाता है। मटर पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। मटर को यहां सब्जियों में डाला जाता है वही मटर को सुखाकर भी प्रयोग किया जाता है। मटर के पौधे से चारा बनता जो पशुओं के लिए अति पौष्टिक होता है।
मटर की रबी की फसल है। मटर को जहां अंग्रेजी में पी नाम से जाना जाता है। मटर का स्वाद मधुर, शीतल होने के कारण वायु वर्धक और वाद कारक है। वात,कफ और पित्त संबंधी दोषों को दूर करता है। पत्ते की सब्जी वात पित्त कफ के विकार को नष्ट करती है। इससे बेसन भी बनाया जाता है जो कढ़ी, पकोड़े आदि बनाने के काम में लाया जाता है। वैसे तो हरी मटरसर्दियों में उपलब्ध होती है किंतु इसे पूरे वर्ष उपलब्ध करवाया जाता है। मटर जहां उंगलियों में सूजन दूर करता है वहीं इसे चबा चबाकर खाने से कई विकार दूर हो जाते हैं। यह कब्ज को दूर करता है, जल जाने पर इसका उपयोग किया जाता है। चेहरे पर कांति लाता है। वह शारीरिक दुर्बलता को भी दूर कर देता है।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़, हरियाणा***

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