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Sunday, January 26, 2020

लहसुन
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लहसुन प्याज कुल की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवम है। लहसुन पुराने समय से दोनों खाने में और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।  एक खास गंध होती है तथा तीखे स्वाद वाला होता है।  लहसुन की एक गांठ जिसे आगे कई कलियों में विभाजित किया जा सकता। इसके पत्ते, गांठ दोनों काम के होते हैं। इसका तना और फूलों का भी उपभोग किया जाता है।  इसका छिलका अखाद्य हिस्सा है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। लहसुन सर्वाधिक चीन में उत्पादित होता है भारत का दूसरा स्थान होता है।
लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनाइड आदि पदार्थ पाये जाते हैं।
 लहसुन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व, प्रोटीन वसा,कार्बोज,खनिज पदार्थ,चूना, लोह, विटामिन ए, बी, सी एवं सल्फ्यूरिक अमल पाए जाते है। यह एक अच्छे बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक एवं एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है। अगर लहसुन को महीन काटकर बनाया जाये तो उसके खाने से अधिक लाभ मिलता है। लहसुन, सेलेनियम का भी अच्छा स्रोत होता है। लहसुन एक बारहमासी फसल है जो मूल रूप से मध्य एशिया से आया है तथा जिसकी खेती अब दुनिया भर में होती है।
लहसुन लहसुन एक स्वास्थ्यवर्धक औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है जिसको खाने से स्वाद बढ़ जाता है। दुनिया भर में अनेकों व्यंजन लहसुन से बनाए जाते हैं। प्राचीन समय में लहसुन का उपयोग औषधीय गुणों के कारण तथा शरीर की भूख बढ़ाने के लिए किया जाता था। यूनान में देवताओं के लिए लहसुन उपयुक्त प्रसाद माना जाता था। आज भी कई देशों में लहसुन के औषधीय गुणों के कारण उगाया जाता है।
 इसे प्राकृतिक एंटीबायोटिक्स भी कहते हैं। यह रशियन पेनिसिलियम नाम भी दिया गया है।  इसेअंग्रेजी में गार्लिक कहा जाता है।  इसकी खेती विभिन्न देशों में की जाती है। लहसुन हृदय रोग रोकने में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। दिल के दौर,े उच्च रक्तचाप को कम करने में लहसुन उपयोग की जाती है। लहसुन से गठिया, दर्द कम हो जाता है। सूजन और जोड़ों के दर्द भी कम करने में सहायक है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है। लहसुन हृदय रोग,कालस्ट्राल, सर्दी ,जुकाम एवं फ्लू आदि बीमारियों में काम आती है।
 इसमें विटामिन सी,विटामिन बी-6, सेलिनियम मैग्नीज जैसे खनिज पाए जाते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को पढ़ाते हैं। इसमें एंटरआक्सीडेंट, एंटीबायोटिक्स गुण पाए जाते हैं जो सर्दी और जुकाम में विशेष लाभप्रद है। वही अस्थमा को दूर करती है। कच्चे लहसुन खाने से फंगस से लडऩे की क्षमता बढ़ जाती है।
 लहसुन एलर्जी में सहायक है। आंख से पानी आना, बंद नाक में लहसुन लाभप्रद है। लहसुन खाने से दांत के दर्द में राहत मिलती मसूड़ों की बीमारी कम होती है। पाचन क्रिया के लिए बेहद लाभप्रद है। यह कैंसर से लडऩे की क्षमता भी रखती है। यहां तक कि वजन कम करने वाले भी लहसुन का उपयोग करते हैं क्योंकि हार्मोन को नियंत्रित करती है। लहसुन गर्म और खुश्क तासीर की होती है इसलिए अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए। अत्यधिक उपयोग करने से पेट की कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। यदि इसका दुष्प्रभाव शरीर पर हो तो धनिया, नींबू ,पोदीना आदि लेने की सलाह दी जाती है।
 जहां यह लाभप्रद है वहीं इसके कई नुकसान भी देखने को मिलते हैं जिनमें गैस, पेट फूलना, बदबू आना,रक्त पतला होना और शरीर से दुर्गंध आना प्रमुख है। गर्भवती महिलाओं को नहीं देनी चाहिए। यह कुछ दवाई के प्रभाव में हस्तक्षेप कर सकती जिनमें उच्च रक्तचाप, एंटीबायोटिक लेने वाले लोग की सलाह से ही इसका उपयोग डाक्टर की सलाह से ही करें। लहसुन से अनेकों सब्जियां, भुजिया आदि बनाए जाते हैं वही लहसुन विभिन्न खाद्य पदार्थों में भी डाला जाता है। लहसुन खाने से जहां साइड इफेक्ट भी होते हैं।
लहसुन कई सब्जियों का जायका बढ़ा देती है वही इसका तड़का लगाकर सब्जी का स्वाद बढ़ाया जाता है। जहां यह स्वाद बढ़ाती है वही शरीर में लाभप्रद होती है। इसमें एंटी वायरल, एंटी फंगल, एंटी एक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल के गुण पाए जाते हैं। इसमें एलीसिन और सल्फर पाए जाते हैं वही डैंड्रफ को दूर करने में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, रुक्षांस, नियासिन, विटामिन-सी, के, सोडियम, पोटैशियम,कैल्शियम, तांबा, लोहा, मैग्नीशियम मैंगनीज, फासफोरस, सेलिनियम, जिंक, बीटा कैरोटीन आदि गुण पाए जाते हैं।
 लहसुन दो प्रकार की होती है सामान्य लक्षण कश्मीरी लहसुन। लहसुन की विशेषता है किसी पैक करके, गांठ तोड़कर नहीं रखनी चाहिए वरना यह जल्दी खराब हो जाती है। अंकुरित होने पर इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
शहद के साथ लहसुन के गुण और भी बढ़ जाते हैं। लहसुन एक वर्षीय पौधा होता है।

** होशियार सिंह, लेखक, कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा***

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