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Saturday, January 25, 2020

आलू
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पोटैटो
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आलू एक जड़ वाली सब्जी है जिसका मूल स्थान अमेरिका माना जाता है। आलू स्टार्चवाली ट्यूबर कहलाती है। इसका वानस्पतिक नाम सोलेनम ट्यूब्रोसम है। कई वर्षों तक चलने वाली एक सब्जी है।
 माना जाता है करीब 10000 वर्ष पहले आलू की जानकारी लोगों को थी और आलू को प्रयोग करते थे। मक्का, गेहूं, चावल के बाद चौथे नंबर पर आलू एक खाद्य उत्पादन करने वाली फसल है। अंग्रेजी में से पोटैटो कहते हैं। आलू का पौधा 60 सेंटीमीटर तक बढ़ता है।

 जब इस पौधे अनुकूल परिस्थितियां नहीं मिलती तो सूख जाता है, तत्पश्चात अनुकूल परिस्थितियां आने पर फिर से फल फूल जाता है। इस पर गुलाबी रंग के फूल आते हैं। पर परागण क्रिया द्वारा निषेचन होता है तत्पश्चात ही आलू लगते हैं। जब पौधे पर फूल आते हैं तब हरे रंग के छोटे-छोटे आलू लगते हैं जो बाद में रंग बदल कर पीले और अन्य रंगों के बन जाते हैं।
 पूरे संसार में करीब 5000 प्रकार आलू के पाए जाते हैं। आलू उत्पादन में चीन पहले नंबर परंतु भारत का स्थान तीसरे नंबर पर है। आलू में पानी, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, रुक्षांस, चीनी, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, तांबा, मैंगनीज सेलिनियम पाया जाता है। इसमें बहुत अधिक मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन सी, विटामिन-बी के विभिन्न प्रकार, विटामिन-के के अतिरिक्त वसीय अमल भी पाए जाते हैं।
आलू में ग्लाइको एल्केलोइड नामक विषैला पदार्थ भी पाया जाता है। आलू सोलानेशी कुल का एक पौधा है जिसमें नाईटशेड, तंबाकू ,एगप्लांट, बैगन एवं टमाटर आदि भी आते हैं। अलग-अलग प्रकार के आलू में अलग-अलग प्रकार के ग्लाइकोएल्कलाइड्स पाए जाते हैं। आलू खुद ही बीज का कार्य करता है।
आलू अनुकूल परिस्थितियां आने पर आलू उगने हैं और पौधे का रूप धारण कर लेते हैं। आलू एक शाक है। एक ही आलू से अनेकों पौधे के तने निकल आते हैं। आलू से अनेकों प्रकार की पदार्थ बनाए जाते हैं जिनमें चिप्स प्रमुख है। इसके अलावा आलू अनेकों प्रकार के एल्कोहलिक बेवरेजेस बनाने के काम आता है, चारे के रूप में काम में लाया जाता है वही स्टार्च भी इसी से प्राप्त होता है। आलू का छिलका जले हुए इलाज में भी काम आता है।
आलू विश्व का एकमात्र ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजन में भोजन में प्रयोग किया जाता है। महत्वपूर्ण सब्जी होने के कारण इसके गुणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह विभिन्न प्रकार के शारीरिक रोगों से छुटकारा दिलाने, शरीर को स्वस्थ बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
 रंग और आकार के आधार पर आलू बैंगनी, पीले, सफेद, लाल, रसेट आलू आदि प्रमुख प्रकार हैं। पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। इसमें रुक्षांस और पोटैशियम पाया जाता है शरीर की कई समस्याओं के निजात में काम आता है। हृदय को स्वस्थ रखने में आलू का अहम योगदान है क्योंकि इसमें बहुत अधिक मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है।

यह हड्डियों को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है क्योंकि इसमें मैग्नीशियम पाया जाता है। इसके अतिरिक्त कैल्शियम पाया जाता है हड्डियों के कमजोर होने से बचाता है। इसमें बहुत अधिक पोटैशियम पाया जाता है जो कोलेस्ट्राल को कम करता है। इसलिए यह कई प्रकार के कैंसर से बचाता है। वही विटामिन भी कैंसर से बचाते हैं।
आलू पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है इसलिए स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। गुर्दे में पथरी बन जाती है उस समय भी काम में लाया जाता है। दांत और मसूड़ों से खून आता है उसके इलाज में भी काम में लाया जाता है क्योंकि इसमें विटामिन-सी पाया जाता है। डायरिया को रोकने के लिए, सूजन को कम करने के लिए, स्वस्थ मस्तिष्क बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी आलू में पाई जाती है।
 वजन को नियंत्रित करना है वहीं आलू नींद को बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त झुरियां चेहरे पर पड़ती है तो उस समय आलू काम में लाया जाता है। काले धब्बे पड़ते हैं तो आलू काम आता है। धूप से जली त्वचा के इलाज में, शरीर पर एवं आंखों के नीचे काले धब्बे, सूखी त्वचा को बचाने के लिए तथा त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए भी काम में लाया जाता है। गिरते हुए बालों के लिए, सफेद बालों से बचाने के लिए भी आलू काम में लाया जाता है। आलू से अनेकों व्यंजन बनाए जाते हैं।
 हर प्रकार की सब्जी में आलू लगभग काम में लाया जाता है। जहां इसके लाभ भी हैं वहीं इसकी कुछ हानियां हैं। आलू कार्बोहाइड्रेट से भरपूर है इसलिए मोटापा भी बढ़ा सकता है। अधिक आलू खाने से कारण उल्टी, छाती दर्द, सांस लेने में तकलीफ, जी मचलाना आदि भी हो सकते हैं।
 यह डायबिटीज का कारण भी बन सकता है। ऐसे में मधुमेह रोगी आलू को डॉक्टर की सलाह से ले तो बेहतर होगा। आलू की चिप्स, फिंगर चिप्स, भुजियां,आलू भुजिया, सब्जी, चाइनी पोटैटो, आलू चाट, टिक्की, स्पाइसी पोटैटो,अचार के आलू, चटपटा आलू जैसे अनेकों पदार्थ बनाकर खाए जाते हैं।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़, हरियाणा***











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