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Saturday, February 1, 2020

आड़ू
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पीच/सतालु
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प्रूनस पर्सिका
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आड़ू या सतालू को अंग्रेजी में पीच नाम से जाना जाता है। आडू का वानस्पतिक नाम प्रूनस पर्सिका; जो गुलाब पौधे के कुल से संबंध रखता है। आडू का उत्पत्ति स्थान चीन है। आडू एक पर्णपाती वृक्ष है जो कई वर्षों तक जीवित रहता है। भारत के विभिन्न भागों में इसकी खेती होती है। ताजे फल खाए जाते हैं तथा फल से जैम, जेली और चटनी बनाकर प्रयोग किए जाते हैं। फल में चीनी की मात्रा पर्याप्त होती है।
 समताप पर इसकी खेती सफल हो सकती है। बलुई दोमट मिट्टी में बेहतर पैदावार हो सकती है।
देशी एवं विदेशी दो प्रकार का आडू होता है।

कायिक प्रवर्धन द्वारा नया पौधा तैयार किया जाता है जिसमें प्रजनन कलिका(बडिंग) द्वारा किया जाता है।  गर्मियों के जून माह में फल पकता है। प्रति वृक्ष 25-40 किलो फल लगते हैं।
आडू में कार्बोहाइड्रेट, शर्करा, वसा, प्रोटीन विटामिन-ए, विटामिन -बी,विटामिन-सी, पोटैशियम, कैल्शियम, लोहा आदि तत्व पाए जाते हैं।
आडू मूल रूप से चीन का एक फल है अब पूरी दुनिया में फैला हुआ है। देखने में बिल्कुल सेब जैसा लगता है किंतु जिसका बाहरी रंग और अंदर भरे बीज इसे सेब फल से अलग करते हैं तथा पहचानने में मदद करते हैं। नाश्ते एवं लंच के समय बेहतर होता है। क्योंकि इसमें कम कैलोरी पाई जाती है इसलिए वजन भी कम करता है। इसमें विटामिन-सी एंटीआक्सीडेंट का काम करती है जो हमारे इम्यून सिस्टम को सहारा देती है। इसमें पोटैशियम पाया जाता है जो गुर्दों के लिए लाभकारी है वही गुर्दों से जुड़ी बीमारियों को ठीक करता है। जिसकी आंखें खराब हो उसे इस फल का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन पाया जाता है वहीं विटामिन-ए भी आंखों को स्वस्थ रखता है। एंटी आक्सीडेंट कैंसर जैसे रोगों में भी सहायक होता है।
 यह गर्मियों का एक फल है जो झड़ते बालों की समस्या को रोक सकता है। त्वचा के लिए भी लाभप्रद है। आडू विभिन्न प्रकार के ब्रेन ट्यूमर पर भी काबू करता है। आडू रसदार तथा सुगंध वाला फल है जिसमें विटामिन-बी के कई प्रकार पाए जाते हैं। आडू खाने से खून में कोलेस्ट्रोल घटता है क्योंकि कोलेस्ट्राल के कारण उच्च रक्तचाप बनता है। हड्डियां, दांत आदि को मजबूत बनाता है वही गर्भधारण के समय भी लाभप्रद है।
  आडू खाना इसलिए लाभकारी है क्योंकि इसमें अनेकों खनिज लवण पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं। वहीं मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखता है क्योंकि इसमें एंटी आक्सीडेंट पाए जाते हैं। तनाव बुढ़ापा आदि को दूर करता है वही शरीर के विषाक्त पदार्थों को दूर कर देता है। प्रतिरक्षी तंत्र को सहारा देता है वही इसमें इसे नाश्ते में, दही में मिलाकर ले सकते हैं। दूध के साथ मिलाकर जूस पिया जा सकता है। आडू के सौश भी बनाया जाता हैं, सैंडविच में भी डाला जा सकता है।
आडू ब्रेस्ट कैंसर में भी लाभप्रद है, दिल को स्वस्थ रखता है यहां तक कि ब्लड क्लोटिंग को भी घटाता है। इसमें लाइकोपीन और लुटेइन यौगिक पाए जाते जो दिल की बीमारियों को कम करते हैं।

आडू में कार्बोहाइड्रेट मिलता है इसलिए शुगर के रोगियों को लाभप्रद होता है। जहां आडू खाने के लाभ भी है वहीं इसके कुछ नुकसान भी हंै। यह गैस की समस्या पैदा करता है, एलर्जी भी हो सकती है, अधिक मात्रा में खाने से पेट की प्वाइजनिंग हो सकती है। आडू आडू के बीजों में सायनाइड पाया जाता है इसलिए आडू के बीजों को कभी नहीं खाना चाहिए।













 **होशियार सिंह, लेखक, कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा**


                 आड़ू
          (प्रुनस प्रसिका)
प्रसिका से उत्पत्ति इसकी
फैल  गया दूर  विदेशों में
                    मधुर रस से भरा हुआ है
                   चाव से खाते कई देशों में,
चीन देश नंबर वन पर है
सदियों से उगाता आया है
                       कम अमल इसमें मिलता
                       भारत में भी खाया जाता है,
तीन साल में फल देता यह
विटामिन सी, ई,के मिलता
                   बसंत ऋतु का आगमन हो
                  पीला, सफेद फूल खिलता,
कई  खनिजों का  स्रोत  यह
पोटाशियम इसमें मिलता है
                    हरे, पीले, लाल  फल  लगे
                  टहनी के संग यह हिलता है,
बाग, बगीचों में मिल जाता
या कोई किसान इसे लगाता
                  मोटी गुठली वाला  फल यह
                 खाए जो उस जन को हंसाता,
द्विलिंगी फूल खिलता रहता
कीटों को करता है आकर्षित
                 किसान अगर पैदा करने लगे
                 आड़ू करता सदा उसका हित,
अंग्रेजी में पीच नाम से जानते
टहनी पर फलों से पहचानते
                     देखकर नजारा इसका प्यारा
                   


जग-जग में इसको जानते है।।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**



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