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Thursday, January 9, 2020







मेथी
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मेथी दाना/फेनुग्रीक
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 मेथी इसे अंग्रेजी में फेनुग्रीक कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम ट्राईगोनेला फोनीम गिरिकम है। मेथी, मेथी दाना जहां बहुत प्रसिद्ध है वही हरे रूप में भी बहुत उपयोगी है। एक और जहां साग बनाने में इसकी प्रतियां महत्वपूर्ण होती है वही इसके बीज मसाले के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से की बहुत गुणकारी पौधा है। मेथी सर्दियों में बतौर रबी फसल के रूप में उगाई जाती है।
 बाजार में भारी मात्रा में मेथी की गुच्छी के रूप में मिलती हैं। खाने में जहां कुछ तीखी कड़वी होती है। आयुर्वेद की नजर में बहुत अधिक लाभप्रद है। इसके पत्ते और दाने आयुर्वेदिक औषधियों के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। उसका पौधा शाक के रूप  में पाया जाता है जो न तो बहुत बड़ा होता है और न ही बहुत छोटा होता। फलिया हरे रंग के होते हैं बाद में पककर पीले रंग की हो जाती हैं। जिसमें दाने पाए जाते हैं। इसकी खेती कई देशों में की जाती है।  इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जहां हरे रूप में साग बनाने के काम आती है। आलू के साथ हरी मेथी डालकर साग बहुत स्वादिष्ट बनता है, वही मेथी के पराठे, मेथी की भाजी बनाई जाती है। मेथी के पराठे लजीज होते हैं। विशेषकर जब पौधा छोटा होता है तभी इसका प्रयोग करना शुरू किया जाता है। जब इस पर फूल आ जाते तब तक इसको खूब प्रयोग में लाया जाता है। फूल आने के बाद फल बनते हैं। मेथी पर सफेद रंग के फूल आते हैं तथा खेतों में खड़ी मेथी की फसल दूर से दिखाई देती हैं।
 प्राचीन समय से मेथी की खेती की जा रही है। फेनुग्रीक अंग्रेजी में मेथी को कहते हैं। जो वास्तव में लेटिन भाषा से लिया गया शब्द है। भारत में राजस्थान ऐसा राज्य है जहां सबसे अधिक मेथी की पैदावार की जाती है। इसे अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। बारिश आदि के बाद भी इसे उगाया जा सकता है। इसके पत्ते तथा बीज बहुत उपयोगी होते हैं।
मेथी में एक विशेष तीखी गंध पाई जाती है जो स्टोलोन नामक रासायनिक पदार्थ के कारण होती है जिसके कारण इसकी विशेष महक बन जाती है। तुर्की देश में विशेष प्रकार की कजीन बनाई जाती है जबकि भारत देश में अनेक रूप में प्रयोग की जाती है।
 मेथी में जहां वसा, रुक्षांस, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-बी-एक,2, 6 एवं बी-9, विटामिन-सी, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक और पानी पाया जाता है।
जब गर्भवती महिलाओं के लिए मेथी प्रयोग नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनके गर्भ पर बुरा प्रभाव डालती है। वैसे भी मेथी के दाने तासीर में गर्म होते हैं।
मेथी बीज का पाउडर के कैप्सूल बनाए जाते हैं। इससे एग्जिमा रोग के लिए दवाई बनती है। यह पशुओं के लिए बहुत लाभप्रद होती हैं। यहां तक कि दूध बढ़ाने में भी बहुत कारगर है। पशुओं के प्रसव के बाद पशुओं के शरीर की सफाई के लिए मेथी दी जाती है। यह पशुओं में ही दूध नहीं  बढ़ाती है अपितु महिलाओं के ब्रेस्ट मेें दूध की कमी को दूर करने के लिए भी दी जाती है।
खून से शुगर को कम करती है। इसलिए मधुमेह रोगियों के लिए मेथी तथा पशु चारे के रूप में यह बहुत काम आती है। मेथी के बीज मछली एवं खरगोश के लिए भोजन के रूप में काम में लाए जाते हैं।
बहुत प्रसिद्ध मेपल सिरप की खुशबू मेथी जैसी होती है।  खून में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता पाई जाती है। शरीर के खराब कोलेस्ट्रॉल को खत्म करती है, जोड़ों के दर्द, सूजन आने पर मेथी रामबाण होती है। ऐसे में घुटनों के दर्द में मेथी प्रयोग करनी चाहिए। हृदय के बेहतर काम करने के लिए भी मेथी का सेवन करना चाहिए। मेथी का नियमित सेवन करने से हृदय रोग की संभावना बहुत कम हो जाती है। मासिक धर्म दर्द से गुजरना पड़ता है मेथी के दाने इसमें राहत देते हैं। पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।  कुछ शोधों में प्रमाण मिला है कि मेथी के दाने कैंसर रोग से लडऩे में सहायक होते हैं। जो महिलाएं बच्चे को शिशु को स्तनपान करवा रही है उसे मेथी प्रयोग करनी चाहिए ।मेथी के दानों से बनी हुई चाय कई रोगों में काम आती है । वजन घटाने में भी मेथी कारगर है, रक्तचाप अधिक होने पर हृदय रोग हो सकता है इससे निपटने के लिए मेथी काम में लाई जाती है। गुर्दे की बीमारियों को दूर करने में लिवर को स्वस्थ रखने में, कील मुंहासे दूर करने में, बुढापा भगाने में बहुत कारगर होती है। यदि बाल झड़ते हैं तो मेथी काम में लाई जाती है। बालों के डैंड्रफ को दूर करती है, वही बालों में चमक लाती है। समय पूर्व सफेद बालों से बचने के लिए भी मेथी का उपयोग किया जाता है।
जितने फायदे इंसानों के लिए मेथी के होते हैं उससे कहीं अधिक फायदे पशुओं के लिए होते हैं लेकिन कुछ जगह मेथी नुकसान भी पहुंचाती है।
मेथी ,मेथी दाना नाम से जाना जाता है। मेथी दाने का उपयोग करने के तरीके प्रयोग करना चाहिए। कई बार इंसान मेथी दानों के लाभ को सुनकर उसका प्रयोग करना शुरू कर देता है लेकिन बगैर वैद्य के इनका उपयोग नहीं करना चाहिए। मेथी के जहां परांठे, सब्जी, पकोड़े आदि बनाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खाटा का साग एवं कढ़ी में प्रयोग करते हैं वहीं सूखाकर समय समय पर विभिन्न सब्जियों में डालते हैं। यह अचार में प्रयोग की जाती है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में मेथी कई रूपों में प्रयोग की जाती है। यहां तक कि कसूरी मेथी विशेष खुशबू के कारण प्रयोग की जाती है लेकिन मेथी की तासीर गर्म होने के कारण कुछ जगह नुकसान पहुंचाती है। एलर्जी का कारण बन सकती है गर्भवती महिलाओं को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। मेथी खुद में एक आयुर्वेदिक औषधि है ऐसे में किसी औषधि के साथ इसका सेवन नहीं करना चाहिए। मेथी की अधिक मात्रा प्रयोग करने से गैस की समस्या बढ़ सकती है।
मेथी मसालों के रूप में भी काम में लाई जाती है। इसलिए कई बार तड़का लगाते समय इसका उपयोग किया जाता है, विशेषकर अचार में प्रयोग की जाती है वहीं सीताफल की सब्जी में भी इसको प्रयोग में लेते हैं । पशुओं के लिए बहुत कारगर औषधि का काम करती है। पशुओं के शरीर की बीमारी को दूर करने में मेथी का अहम योगदान है।

**होशियार सिंह, लेखक,कनीना ,महेंद्रगढ़, हरियाणा**

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