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Monday, January 20, 2020















आंवला
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गुणों की खान/अमृत फल
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आंवला एक फल देने वाला वृक्ष एशिया,यूरोप और अफ्रीका में भी पाया जाता है। आंवला के फूल घंटे की तरह होते हैं। इसके फल छोटे होते हैं। फल हरे, चिकने और गुद्देदार होते हैं। स्वाद में इनके फल कसैले होते हैं।
इसे अमृतफल, आमलकी, पंचरसा आदि नामों से जाना जाता है वहीं अंग्रेजी में एंब्लिक माइरीबालन कहते हैं। इसे इण्डियन गूजबेरी, अमला,मलक्का ट्री आदि नामों से भी जाना जाता है। लैटिन में इसे फिलेंथस एबेलिका कहते हैं। यह वृक्ष भारत में जंगलों ,बाग-बगीचों में होता है जिसकी छाल राख जैसी, पत्ते खट्टी इमली के पत्तों जैसे, पीले रंग के फूल होते हैं। फूलों के स्थान पर गोल, हरे, पीले चमकते हुए,फल लगते हैं जो पकने पर लाल रंग के होते हैं। कार्तिक माह में फलने वाला भारत के वाराणसी का आंवला सर्वोत्तम माना जाता है।

आंवला को शारीरिक अवनति को रोकने वाला, शिवा, धात्री (माता के समान रक्षक) कहा जाता है। इसके फल पूरा पकने के पहले काम में लेते हैं जो मूत्रल तथा रक्तशोधक होते हैं। ये अतिसार, मधुमेह, अम्लपित्त, रक्तपित्त, वीर्य को दृढ़ करने वाले और आयु में वृद्धि करते हैं। मेधा, स्मरणशक्ति, स्वास्थ्य, यौवन, तेज, कांति तथा बलदायक औषधियों में शामिल किया गया है। इसके पत्ते मुंह के छाले खत्म करने वाला। सूखे फलों के पानी से आंखें धोने से सूजन, सूखे फल खूनी अतिसार, बवासीर और लोहभस्म के साथ पीलिया रोग नाशी और अजीर्ण में लाभदायक होता है। आंवला के ताजे फल, उनका रस शीतल, मूत्रल, रेचक तथा अम्लपित्त को दूर करने वाला होता है। इसका फल पित्त को नष्ट कर देता है और जोड़ों के रोगों में उपयोगी है। ब्राह्म रसायन तथा च्यवनप्राश आंवले से तैयार किए जाते हैं जो मनुष्य को नीरोग रखने तथा भिन्न-भिन्न रोगों, जैसे हृदयरोग, वात, रक्त, मूत्र तथा वीर्य दोष, स्वरक्षय, खांसी और सांस के रोगों में लाभदायक होता है।
आंवला में विटामिन-सी अधिक मात्रा में होता है। आंवले को सुखाकर और कूट पीसकर हरी सब्जियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। आंवला अचार एवं मुरब्बा बनाने में काम आता है।
आंवला के फल औषधीय गुणों से युक्त होते हैं, इसलिए इसकी व्यवसायिक खेती की जाती है जो लाभप्रद होती है। यह जलोढ़ मिट्टी के लिए उपयुक्त माना जाता है। दो पेड़ होने पर ही आंवला लगते हैं। आंवला की कलम लगाकर तैयार करने से फल जल्दी लग जाते हैं। फल विभिन्न आकार के होते हैं।
उपयोग---
आंवला एक छोटे आकार और हरे रंग का फल है। इसका स्वाद खट्टा होता है जो अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। यह विटामिन-सी का बएिय़ा एवं प्राकृतिक स्रोत है।  यह भारी, रूखा, शीत, अम्ल रस प्रधान,क्तपित्त व प्रमेह को हरने वाला, अत्यधिक धातु वर्धक रसायन है। आंवला  दाह, पाण्डु, रक्तपित्त, अरुचि, त्रिदोष, दमा, खांसी, श्वास रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। पुरुष तत्व को पुष्ट करके पौरुष बढ़ाता है। आंवला मोटापा दूर करता है। सिर के बाल काले, लम्बे व घने बनाता है। गर्म करने से विटामिन-सी नष्ट हो जाता है किंतु आंवला का विटामिन सी कभी नष्ट नहीं होता। हिन्दू लोग आंवला पेड़ को पूजते हैं जो भगवान विष्णु कैा प्रिय पौधा बताया जाता है। यह भी माना जाता है कि आंवला के पेड़ के नीचे भोजन पकाकर खाया जाये तो सारे रोग दूर हो जाते हैं।

आंवले में विटामिन-सी, प्रोटीन, वसा,कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम , फास्फोरस, लौह , निकोटिनिक अमल, गैलिक एसिड, टैनिक एसिड, शर्करा आदि तत्व भी पाए जाते हैं।यही कारण है कि आंवला दाह, खांसी, सांस रोग, कब्ज, पीलिया, रक्तपित्त, अरुचि, त्रिदोष, दमा, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। पुरुष तत्व को पुष्ट करके पौरुष बढ़ाता है, मोटापा दूर करता है। बालों को काला,लंबा,घना रखता है। दात-मसूड़ों को ठीक करने, कब्ज, रक्त विकार, चर्म रोग, पाचन शक्ति में खराबी, नेत्र ज्योति बढ़ाता है। सिर दर्द , चक्कर, नकसीर, रक्ताल्पता, बल-वीर्य में कमी को दूर करता है। बुढ़ापे को भगाने, यकृत दोष, स्वप्नदोष, धातु विकार, हृदय विकार, फेफड़ों की खराबी, श्वास रोग, क्षय, पेट कृमि,  मूत्र विकार आदि व्याधियों में काम आता है।
 आंवला एंटीआक्सीडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके बीज, फल, छाल पत्तियां फूल सभी औषधीय गुणों से भरे होते हैं। शरीर में त्रिदोष पाए जाते जिन्हें वात, पित्त और कफ नाम से जाना जाता है यह सभी को संतुलित रखता है। तेज दिमाग करने के लिए,स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए आंवले का नियमित प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि इसमें आयरन की मात्रा अधिक पाई जाती है जो मस्तिष्क को आक्सीजन प्रदान करता है। यदि आंखों की दृष्टि कमजोर है तो आंवला लाभकारी है। यहां तक कि मोतियाबिंद की समस्या को भी दूर करने में सहायक है। दांत, मसूड़े स्वस्थ रहते है, वही सर्दी जुकाम से बचाता है। यदि गले की समस्या है तो अदरक के साथ इसका रस पीना लाभप्रद है। यकृत को तथा पाचन शक्ति को सहारा देता है, वही गुर्दे की पथरी को नष्ट करने के काम में भी लाया जाता है। शरीर के विषाक्तता अर्थात जहरीलापल आ जाए तो उसे भी दूर कर देता है। वही वहीं हड्डियों को मजबूत बनाता हैं। यदि त्वचा के विकार है तो आंवला लाभप्रद है। बांझपन को दूर करने, बुढ़ापे को रोकने,  शुद्ध रक्त को संचालित करने में लाभप्रद है। नाखून स्वास्थ्य बनते हैं। चूंकि आंवले की तासीर ठंडी बहुत है ठंडा होने के कारण ही त्वचा के रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है। यह पाचन तंत्र में बहुत लाभप्रद है। आंवला के चूर्ण, आंवले का जूस, आंवले को सुखाकर सभी रूपों में प्रयोग किया जाता है।
कैंसर के जोखिम को कम करता है वही मासिक धर्म के दर्द को कम करने के काम आता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त रखता है। यह लाभ के साथ साथ नुकसान भी करता है। खांसी और सर्दी पर बुरा असर डाल सकता है वही पानी के साथ प्रयोग करने से कब्ज बन सकती है। आंवला मधुमेह के रोगियों को नुकसान पहुंचाता है वहीं इसका हृदय रोगियों को के लिए अच्छा नहीं होता। यदि इसका अधिक सेवन किया जाए तो पेशाब में जलन पैदा करता है वहीं यह डायरिया रोग भी कर सकता है। यदि इसका सेवन लंबे समय तक किया जाए तो पथरी का रोग भी पैदा कर सकता है। गर्व अवस्था के दौरान इसका जूस नहीं प्रयोग

नहीं करना चाहिए। लंबी बीमारी के जैसी दवाओं का सेवन करते हैं उन्हें यह प्रयोग नहीं करना चाहिए। आंवले का जूस शरीर में पोटैशियम तत्व की कमी करता है इसलिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। फिर भी आंवला गुणों की खान होता है।


 आंवला
(फाइलंथस इंबलिका)(इंबलिका ओफसिनालिस) 
प्रकृति का अनोखा पौधा
पूजा जाता है पूरे जहां में
अमृत समान फल होता है
मिलता हर घर मकान में,

                   पीले हरे फूल खिलते सदा
                  शिशिर ऋतु यह पक जाता
                 अजीबों गरीब फल लगता
                 गर्मी में इस पर फूल आता,

छह धारी फल पर मिलती
आंवला एकादशी पूजा हो
जीवन में बहार ला देता है
फल नहीं जग में दूजा हो,

                पत्ते, फल जलन मिटाते हैं
                कैंसर और गुर्दे रोग भगाते
               गठिया, हड्डी रोग करे दूर
                शुगर के मरीज को हंसाते,

कोलस्ट्रोल खून में बढ़ता
इंडियन गूजबेरी को खाए
तीनों दोषों को दूर करता
दमा, खून को साफ करता
खासी घटाए, रोग भगाता
दिल की शक्ति को बढ़ाता,

                आंखों की रोशनी बढाता
                बालों का झडऩा भी घटाता
                 बुद्धि को बढ़ाने में सहायक
                अचार, मुरब्बा जग हंसाता,

विभिन्न रूपों में फल खाते
तेल और शैंपू इससे बनाते
हेपेटाइटिस में उपयोगी है
तनाव व बुखार को घटाते,

                खून की कोशिका बढ़ाता
               आंतों को साफ कर जाता
                मूत्र में जब दर्द कोई पाए
                आंवला फल दूर भगाता,

आंतरिक खून को रोकता
दांतों के मसूडा ठीक करे
फेफड़ों के रोग दूर करता
खून की कमी को दूर करे,

               बदहजमी का रोग लगता
              आंवले का चूर्ण काम का
             कई देशों में यह मिलता है
              थोड़ा थोड़ा रस पीते रह तो
              मानव का सुंदर तन खिलता।

 
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना महेंद्रगढ़, हरियाणा**

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