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Wednesday, January 22, 2020

करौंदा 
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क्रैनबेरी
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करोंदा
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करोंदा एक झाड़ीनुमा पौधा होता है जिसका वैज्ञानिक नाम कैरिसा कैरेंदस है।  इसके फल सब्जी और अचार बनाने में किया जाता है। यह पौधा भारत नेपाल और अफगानिस्तान सहित कई देशों में पाया जाता है। यह पौधा कटिंग से या बीज से लगाया जा सकता है। दो वर्ष के पौधे में फल लगने लग जाते हैं जो जुलाई से सितंबर के बीच फल पक जाते हैं।
       करौंदे के पेड़ पहाड़ी देशों में अधिक होते हैं। इस पौधे पर कांटे भी होते है। पत्तों के पास कांटे होते है जो मजबूत होते है तथा फूलों की गंध आती है। इसके फल गोल, छोटे और हरे रंग के होते है। पकने पर पीले, लाल तत्पश्चात काले रंग के होते है। ये फल सफेद व लालिमा सहित अण्डाकार दूसरे बैंगनी व लाल रंग के होते हैं देखने में सुन्दर तथा कच्चे फल को काटने पर दूध निकलता है। पक जाने पर फल का रंग काला हो जाता है।जिसमें चार बीज निकलते हैं। 

     फल का स्वाद खट्टा होता है तथा तासीर गरम होती है जो रक्त पित्त और कफ को उभारते है। पके हुए फल खाने में अच्छे लगते हैं। करौंदे का अचार तथा लकड़ी जलाने के काम आती है। ग्रामीण लोग इसकी सब्जी बनाकर भी खाते हैं।
     करोंदा भूख बढ़ाता है, पित्त को शान्त, प्यास को रोकता, दस्तों को बन्द करता है। कच्चे करोंदा भूख को बढ़ाते है, भारी होते है, मल को रोकते है और रुचि को उत्पन्न करते है और पके फल पित्त, रक्त, पित्त त्रिदोष और विष तथा वात विनाशक है। करोंदे की चटनी, अचार भी बना सकते है। इससे जूस भी बनाया जाता है।

     करौंदा कच्चा फल कड़वा खट्टा रक्तपित्त कारक है यह विष तथा वात नाशक भी है। बहुत छोटा सा फल है किंतु बहुत अधिक औषधीय गुण होते हैं। इसमें साइट्रिक एसिड, विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। यह शरीर की कई बीमारियों को दूर करने के काम आता है।

   इसकी जड़, पत्ती, फल सभी औषधीय प्रयोग में लाई जाती है। करौंदे के फल का स्वरस, पत्तियों का रस, फलों का शरबत इस्तेमाल किए जाते हैं। करौंदे के कच्चे फल की सब्जी खाने से कब्ज दूर होती है, बुखार होने पर पत्ते लाभप्रद होते हैं वही सूखी खांसी में करौंदे के पत्ते का रस शहद में मिलाकर पिलाया जाता है। कच्चे फल की चटनी खाने से मसूड़ों की सूजन, दांत कीड़ा में राहत  देती है। 
   करौंदे के मूल को उबालकर पिलाने से विष भी दूर हो सकता है। करौंदे के ताजा फल का रस निकालकर आंखों में डालने से मोतियाबिंद कम होने की संभावना होती है। करौंदे के बीज तेल में पकाकर लगाने से बिवाई खत्म होती है, करोंदे का मुरब्बा दिल की बीमारी दूर करता है, प्यास दूर होती है वही वायु दोष विकार दूर होते हैं।
    फल में लोहे की मात्रा पाई जाती है इसलिए रक्त की कमी को भी दूर करता है। पके फल रोजाना खाने से गैस की समस्या दूर होती है। सिर की जुएं भी समाप्त करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। मूत्र संक्रमण से होने वाली बीमारी, मूत्र नली में सूजन में करौंदा लाभप्रद है। जानवरों के रोग दूर करने में भी करोंदा लाभप्रद है। करोंदे की जड़ को पीसकर पशु को देने से पशु के पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
   क्रैनबेरी करौंदे का ही दूसरा नाम होता है उसका जूस भी कुछ लोग पीते हैं। इसके फल में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते किंतु अमल भी होता है। माना जाता है कि अमेरिका में यह फल सबसे पहले उगाया गया था। क्रेनबेरी कैंसर से बचाने, मुंह को स्वस्थ रखने, खराब कोलेस्ट्राल को खत्म करने, पेट को ठीक रखने, गुर्दे के संक्रमण से बचाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, वजन कम करने में लाभकारी है वही गर्भवती महिलाओं के इंफेक्शन होने से बचाता है। 

    करौंदा जुकाम दूर करता है। करौंदे के फल से निर्मित चूर्ण एसिडिटी और खट्टी डकार को दूर करता है, चेहरे की झुर्रियों को भी समाप्त कर देता है। करौंदा हड्डियों एवं दांतों को मजबूत करता है वही कैंसर दूर करने में सहायक सिद्ध होता है। इसके अतिरिक्त दांतों के स्कर्वी रोग उपचार, उम्र को बढ़ाने, फेफड़ों के सूजन को दूर करने, वजन कम करने आदि अनेकों लाभ प्रदान करता है।


  यह त्वचा में निखार लाता है वही करौंदे को सूखाकर भी प्रयोग में लाया जाता है जिसमें विटामिन-सी, कार्बोहाइड्रेट, पानी और पोटेशियम पाया जाता है। करौंदे में जहां वसा, रुक्षांस, चीनी,  विटामिन-ए ,विटामिन-सी, कैल्शियम, लोहा, विटामिन-डी, विटामिन-के के अतिरिक्त विटामिन बी-12 पाया जाता है वहीं इसमें कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, फासफोरस, पोटैशियम ,मैग्नीज, सेलिनियम, फ्लोराइड, तांबा आदि भी पाए जाते हैं। करौंदे को चटनी, अचार जूस, जैम आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है। 

   क्रैनबेरी जिसे करौंदा कहते हैं ज्यादा मात्रा में खाने से दांत खराब, पेट की समस्या, शुगर की समस्या, रक्तचाप का बढऩा, मुंह की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।









करौंदे से रेसिपी बनाई जाती है जिसमें अचार, लौंजी, सब्जी, चटनी, मुरब्बा, मीठा अचार, करौंदे की टमाटर संग चटनी, केक आदि भी बनाए जाते हैं।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

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