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Saturday, January 18, 2020

मूंगफली
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चिनिया बादाम
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गरीबों के बादाम
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पीनट/सिंगदाना
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मूंगफली एक प्रमुख तिलहन फसल है। मूंगफली प्रोटीन का बेहतर एवं सस्ता स्रोत हैं। इसमें प्रोटीन की मात्रा मांस, अण्डों एवं फलों से अधिक होती है। इसका पौधा एक वर्षीय तथा शाक रूप में पाया जाता है। यह पोषक तत्वों की खान है। एक लीटर दूध नहीं पी सकते वो 100 ग्राम मूंगफली खा सकते हैं। मूंगफली में 25 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। मूंगफली का मक्खन बहुत अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। मूँगफली पाचन शक्ति बढ़ाने में भी कारगर है।  मूंगफली में 45 प्रतिात से अधिक तेल पाया जाता है।
  मूंगफली को पीनट या ग्राउंडनट या गुब्बर या मंकी नट नामों से जाना जाता है वहीं इसका वानस्पतिक नाम आर्किज हाइपोजी है। यह लेगुमाइनोसी कुल अर्थात तिलहन जाति की एक फसल है जो शाक रूप में पैदा होती है। यह एक वर्षीय यह पौधा है जो खाद्य बीज प्रदान करता है। यह पूरे ही संसार में उगाई जाती है। इसे तिलहन फसलों में शामिल किया गया है। प्रमुख तेल देने वाली फसल नाम से जानी जाती है।

मूंगफली में फली पाई जाती है। इनकी जड़ों में सूक्ष्मजीव निवास करते जो खेत में नाइट्रोजन की आपूर्ति करते हैं। मूंगफली की जड़ों में गांठें पाई जाती है जिनमें ये सूक्ष्मजीव जिन्हें नाइट्रोजन फिक्सिंग जीवाणु नाम से जाना जाता हैं, पाए जाते हैं। ये सूक्ष्मजीव हवा की नाइट्रोजन को नाट्रोजन यौगिकों में बदल देते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। ये फसल चक्र में यह बहुत लाभप्रद है।

मूंगफली अखरोट, बादाम की भांति स्वाद वाला बीज होता है। इसे पीनट नाम से जाना जाता है। मूंगफली पुराने समय से उगाई जाती रही है। लेगुमाइनोसी कुल का पौधा है जिसमें सेम और मटर शामिल किए जाते हैं। इसके पीले एवं संतरी फूल आते हैं जिन पर धारियां पाई जाती है। मूंगफली की फली जड़ों में पैदा होने वाला एक फल है। इसे पोड नाम से जाना जाता है। एक पोड में क से चार तक बीज पाए जाते हैं जो बहुत ही पौष्टिक होते हैं। जिस खेत में मूंगफली उगाई जाती है उस खेत में बहुत कम खाद की जरूरत होती है। मूंगफली उत्पादन में चीन पहले नंबर पर है जबकि भारत का स्थान दूसरे नंबर पर आता है। मूंगफली को कच्चा या फिर भूनकर दोनों रूपों में खाते हैं लेकिन भुना हुआ विशेष स्वादिष्ट एवं पौष्टिक होता है। मूंगफली तेल निकाला जाता है जो असंतृप्त तेल नाम से जाना जाता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से ज्यादा लाभप्रद होता है।
मूंगफली पौधे का सूखा तथा बचा हुआ भाग पशुओं के लिए चारे के रूप में काम में लाया जाता है। जब मूंगफली का तेल निकाला जाता है तो खल बचती है जो पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग जाता है। इसका तेल उद्योग धंधों में, पेंट, वार्निश लेदर ड्रेसिंग, फर्नीचर पालिश और नाइट्रोग्लिसरीन नामक पदार्थ बनाने के काम आता है। इससे साबुन भी बनाई जाती है। कुछ जगह कपड़ा उद्योग में भी काम आती है।
 मूंगफली में जहां कार्बोहाइड्रेट, वासा, प्रोटीन विटामिंस जिनमें बी-1, बी-2,नियासीन, बी-6, बी-9, विटामिन-सी, विटामिन-ई के अलावा कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फास्फोरस, पोटाश, जिंक खनिज लवण पाए जाते हैं। कुछ लोगों में एलर्जी भी उत्पन्न करती है।

मूंगफली दुनिया भर में पैदा की जाती है। इसे सिंगदाना भी कहा जाता है। मूंगफली में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इसे मेवा कहा गया है। गुजराती में इसे सिंगदाना कहते हैं। इसका तेल खाना बनाने में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मूंगफली के तेल में जैतून के तेल जैसे गुण पाए जाते हैं क्योंकि इसमें मेवा जैसे गुण पाए जाने के कारण इसे नट नाम से जाना जाता है। मूंगफली में जितना प्रोटीन पाया जाता है उतना बादाम, अखरोट आदि में भी नहीं पाया जाता मूंगफली के गुण और फायदे में उसे मिलते जुलते हैं। इसलिए इसे गरीबों के बादाम नाम से जाना जाता है।
 जिन व्यक्तियों में मेवा खाने में एलर्जी होती है उसे मूंगफली खानी चाहिए। मूंगफली में असंतृप्त तेल पाया जाता है जो हृदय के लिए बहुत लाभप्रद है। सब्जी बनाने, पराठा बनाने में, पूरी तलने के लिए मूंगफली का तेल सर्वश्रेष्ठ है। इसका स्मोकिंग प्वाइंट अधिक होता है। मूंगफली को अच्छे-अच्छे चबाकर खाना चाहिए तभी इसके पोषक तत्वों का लाभ मिलता है। यदि कम चबाकर मूंगफली को खाया जाए तो अधिकांश पौष्टिक तत्व मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। जिन मूंगफली के बीजों में एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है उनके छिलके गुलाबी रंग के होते हैं। मूंगफली बारीक छिलके निकाले बिना(बीज पर मिलते हैं) खाना ज्यादा लाभप्रद है। मूंगफली को यूं तो विभिन्न रूपों में खाते हैं जिनमें मूंगफली की गजक बनाई जाती है जो पौष्टिक और लाभप्रद नाश्ता होता है। गुड़ एवं मूंगफली की चक्की सर्दियों में बहुत खाई जाती है। सर्दी के मौसम में छिलके सहित भुनी हुई मूंगफली को छीलकर खाने का आनंद बहुत अधिक लोग लेते हैं। कुछ लोग इसमें हल्का नमक चढ़ाकर खाते है जिसे सिंगदाना कहते हैं।
मूंगफली से बना मक्खन बहुत पौष्टिक होती है। मूंगफली का मक्खन घर पर ही आसानी से बनाया जा सकता है। मूंगफली के दाने अंकुरित करके भी खाए जाते हैं जो अत्यधिक पौष्टिक होते हैं जिनमें विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। मूंगफली को धनिए की चटनी के साथ पीसकर खाने से चटनी का स्वाद बढ़ जाता है। मूंगफली का सब्जी में डाला जाता है इससे भी सब्जी स्वादिष्ट और पौष्टिक बन जाती है।
 मूंगफली पर बेसन चढ़ा कर भी लोग इसे प्रयोग करते हैं। मूंगफली बहुत अधिक लाभप्रद होती है जिसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। दूध, मांस एवं अंडे आदि में जो प्रोटीन पाया जाता उससे कहीं अधिक प्रोटीन मूंगफली में पाया जाता है। शरीर में नई नई कोशिकाएं बनती हैं जिनकी मरम्मत के लिए यह प्रोटीन बहुत लाभप्रद है। जिन बच्चों में प्रोटीन की कमी होती है उन बच्चों को मूंगफली खिलानी चाहिए।
व्यक्तियों के दांत नहीं काम करते उन्हें मूंगफली को विभिन्न रूपों में जैसे चटनी एवं मूंगफली के मक्खन के रूप में प्रयोग करना चाहिए। मूंगफली का मक्खन बनाने के लिए कच्ची मूंगफली चीनी व नमक, तेल आदि द्वारा बनाते हैं। कच्ची मूंगफली को बिना तेल डाले कड़ाही में भूनते हैं। हाथ से मसलकर छिलका उतार दिया जाता है। मूंगफली के छिलका उतर जाए तो ग्राइंडर में पेस्ट बनाया जाता है जिसमें चुटकी भर नमक डाला जाता है। अच्छे स्वाद के लिए इसमें चीनी और तेल भी डालते हैं। तेल डालना कोई जरूरी भी नहीं है।

वजन घटाने में मूंगफली बहुत महत्वपूर्ण है। मूंगफली वजन कम करने में मददगार है। मूंगफली खाने से जहां भूख नहीं लगती जिसके कारण दूसरी चीजें नहीं खाई जाती। इसमें रुक्षांस पाए जाते हैं जो सेहत को वजन को घटाने में कारगर होते हैं। मधुमेह रोगियों के लिए मूंगफली बहुत लाभप्रद है। चूंकि मूंगफली में वसा तथा रुक्षांस पाए जाते हैं इसके कारण खून में चीनी की मात्रा नहीं बढ़ती और यह मधुमेह रोगियों के लिए नुकसानदायक नहीं होती। जिन व्यक्तियों में खून की कमी है तथा लाल रक्त कणिकाएं कम होती है उन्हें मूंगफली खानी चाहिए। यहां तक कि गर्भवती महिलाओं को मूंगफली खाने से उन्हें लाभ मिलता है।  ऐसे में यह गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी है। यदि गुर्दे में पथरी बनने के अलावा पित्ताशय में भी पथरी बनने लगे तो उसके पीछे कारण कोलेस्ट्रॉल बढऩा हो सकता है। मूंगफली में कोलेस्ट्रॉल कम करने की शक्ति पाई जाती है इसलिए मूंगफली गुर्दे की पथरी तथा पित्ताशय की पथरी से बचाती है। इसमें मिलने वाला खनिज फास्फोरस कोशिकाओं के बनने में, हड्डियों के और दांतो की मजबूती के लिए लाभप्रद होता है। मूंगफली खाने से बच्चों के दांत खराब नहीं होते यहां तक कि दांतों में पायरिया भी नहीं लगता। हड्डियां भी मजबूत बनती हैं।
मूंगफली स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभप्रद है। कुछ लोग तो इसे टाइम पास का जरिया भी बताते हैं। विशेषकर डिश तैयार करने में इनका बहुत बड़ा योगदान होता है। मूंगफली का उद्गम स्थान ब्राजील और पैरू माना जाता है। व्रत के समय और त्योहारों पर मूंगफली का उपयोग किया जाता है। यह न केवल स्वास्थ्य की दृष्टि से अपितु त्वचा के लिए भी रामबाण है।
 बिहार में से चिनिया बादाम के नाम से जाना जाता है। मूंगफली खाने से जहां पेट के कैंसर को कम किया जा सकता है वही कैंसर में भी लाभप्रद है। महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ती है वही अल्जाइमर नाम रोग में लाभप्रद है। जो व्यक्ति डिप्रेशन की शिकार से गुजर रहे होते हैं उनके मन और दिमाग को शांत रखती है। मूंगफली सर्दी जुखाम में भी लाभकारी है। मूंगफली न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि बालों के लिए भी लाभप्रद है। त्वचा को स्वस्थ रखती है वही ऊर्जा प्रदान करती है। यदि लंबे समय तक कुर्सी पर बैठ कर काम करना हो तो मूंगफली ज्यादा लाभप्रद साबित हो सकती है।
यह भी माना जाता है की मूंगफली जहां गरीबों का बादाम है वही इसको खाने से शरीर में लाभ अधिक होते हैं। यदि कब्ज की शिकायत है तो यह लाभप्रद है। इसमें बुढ़ापा रोकने की क्षमता भी पाई जाती है। यदि पीसकर त्वचा पर लेप किया जाए तो रूखी त्वचा को भी लाभ होता है। मूंगफली को फलियों की श्रेणी में रखा गया है इसलिए इसे मूंगफली नाम से जाना जाता है। पाचन शक्ति बढ़ाने में बहुत कारगर है। शरीर में बहुत अधिक ऊर्जा प्रदान करती है, वही तनाव को कम करती है। ैं सूर्य की हानिकारक किरणों से भी मूंगफली बचाती है। गुड़ और मूंगफली खाने से बहुत लाभ होता है। 100 ग्राम मूंगफली से 567 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

बढ़ती उम्र में झुर्रियों को पडऩे से रोकती है।  हर रोज एक मुट्ठी सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती है। कच्ची मूंगफली खाने से नुकसान हो सकता है। इसलिए मूंगफली को कच्चे रूप में नहीं खाना चाहिए। मूंगफली हर प्रकार से शरीर के लिए लाभप्रद है। जोड़ों के दर्द पर मालिश करने से भी आराम मिलता है, सेहत बनाने वाले लोग भी मूंगफली, चना एवं मूंग आदि प्रयोग करते हैं जो रात भर भिगोकर सुबह प्रयोग करते हैं। पोहा एवं नमकीन चावल आदि बनाने में लोग इसका जायका का बढ़ाने के लिए भी मूंगफली प्रयोग करते हैं। मूंगफली खाने के बाद पानी पीना उचित नहीं होता। मूंगफली गुर्दों की बीमारियों में भी लाभप्रद है वहीं गुर्दों में सूजन नहीं आता।
*** होशियार सिं
ह,









 लेखक, कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा***

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