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Friday, January 10, 2020

मदार/आक








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 आक जिसे प्राय मदार नाम से जाना जाता है, एक बहु उपयोगी झाड़ी होती है। यह बारहमासी आयुर्वेदिक पौधा है। मदार को आक , अकौवा, अर्क आदि नामों से जाना जाता है।
  आक शरीर की अनेक समस्याओं को दूर करता है। ऐसे में यह बहुत चमत्कारिक एवं उपयोगी पौधा है। उसके पत्ते, फल एवं फूल तथा पौधे से निकलने वाला दूध विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के निराकरण में काम में लाया जाता है। इस बहु उपयोगी पौधा है जिसे वानस्पतिक नाम कैलोटरोपिस जिजांटी नाम से जाना जाता है।
 कभी-कभी इसका वृक्ष बन जाता है। इसके पत्ते मोटे एवं बड़े आकार के होते हैं। पत्ते हरे रंग के होते हैं जिन पर सफेद पाउडर वाष्पोत्सर्जन क्रिया को रोकने के लिए प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। लेकिन जब ये पत्ते पककर गिरते हैं उस समय पीले रंग के बन जाते हैं।
 फूल पर रंगीन धारियां पाई जाती हैं। इसका फल हरे आम जैसा लगता है जिसमें रूई निकलती है और रूई पर बीज लगे होते हैं। पौधे का दूध विष का काम करता है। कम बारिश में भी यह पौधा अच्छी प्रकार रेतीली भूमि में पनपता है। इस पौधे को पानी की बहुत कम आवश्यकता होती है। अधिक पानी मिलते ही सूख जाता है।
 आक का पौधा बंजर भूमि, सूखे स्थानों तथा  पत्थरों पर भी उग जाते हैं। प्राय माना जाता है कि आक का
पौधा विषैला होता है और मनुष्य को मार देता है। यद्यपि इसमें कुछ सच्चाई है किंतु आयुर्वेद में इस पौधे की गणना उपविषों में की गई है।
यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाए तो मनुष्य की मृत्यु हो सकती है किंतु इसका उचित मात्रा में एवं अनुभवी वैद्य की निगरानी में उपयोग किया
जाए तो लाभ होता है।
मदार की प्राय तीन प्रजातियां पाई जाती है जो फूलों के आधार पर पहचानी जा सकती हैं। आंख के पीले पत्ते
देसी घी में सेककर रस निकालकर कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है वही दांत और कान की पीड़ा दोनों में उपयोगी है। आक के पत्ते जहां घाव पर तथा सोजन पर दर्द दूर करने, घाव ठीक करने के काम में लाए जाते हैं। वही कोमल पत्तों की धुआं से बवासीर जैसे रोग में राहत मिलती हैं।
 आक के पत्तों को गरम करके चोट पर बांधने से सूजन दूर हो जाता है। आक के फूल जीरा, काली मिर्च आदि में
अच्छी प्रकार मिलाकर बच्चों की खांसी दूर करने के लिए काम में लाए जाते हैं।     कुत्ते के जहर को शांत करने के काम में लाया जाता है वहीं आक को पैर के अंगूठे में लगाने पर दुखती हुई आंख भी ठीक हो जाती है। बवासीर के मस्सों पर लगाते हैं वही चोट लगने पर भी काम आता है। उड़े हुए बालों सिर के बालों पर जहां आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं वही मिर्गी रोग दूर करने के लिए पैर के तलवों पर इसका रस लगाया जाता है।
 लकवा ठीक करने, आक की छाल को पीसकर घी में चोट पर बांधते हैं वहीं आक की जड़ में को भी कई रोगों में काम में लाया जाता है। आक की जड़ पानी में घिसकर लगाने से नाखून रोग समाप्त हो जाते हैं। वहीं शीत ज्वर में भी काम में लाया जाता है। गठिया जैसे रोग भी उपयोगी है। नासूर एवं सुजाक जैसे रोग में कारगर है। आक की जड़ में तेल मिलाकर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है वही नाक के द्वारा इसका धुआं खींचने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
 शरीर की गर्मी को दूर करने, महिलाओं में प्रदर रोग को दूर करने के लिए दही में आक की जड़  मिलाई जाती है। आक की जड़ से पुरानी खांसी सुजाक रोग आदि दूर हो जाते हैं। आक का दातुन दांतो के दर्द को दूर करता है वहीं खांसी, दमा, प्लीहा रोग में भी कारगर है। कर आपका आक का दूध यदि आंखों में चला जाए तो आंखों की रोशनी जा सकती है इसलिए आक को प्रयोग करते समय शरीर की कोमल अंगों को बचा कर रखना चाहिए।
आक में फूल में सफेद दूध पाया जाता है जो बहुत लाभकारी होता है। कांटा लग जाए तो उसे आक के दूध से निकालते हैं। आक में जहां कई प्रकार के रासायनिक पदार्थ पाए जाते हैं जिनमें कैलोट्रोपीन प्रमुख है। इसके अतिरिक्त कैलोटॉक्सिन, कलेक्टिन भी पाए जाते हैं। कुष्ठ रोग, गर्भपात में आक प्रयोग किया जाता है वही पेचिश, एंटीफंगल, एंटी रूमेटिक, एंटी सिफीलिटिक जैसे गुण पाए जाते हैं।

  पत्ते का पेस्ट नमक मिलाकर लगाने से सांस के रोग, त्वचा के विकार, बांझपन को दूर हो जाते हैं। आक की जड़ों को लोग कामोद्दीपन के रूप में काम में लेते हैं। आक पाचन को ठीक करने के लिए भी काम में लाया जाता है वहीं उल्टी के उपचार में काम में लाया जाता है।
 बिच्छू के काटने पर मदार का दूध बार बार लगाना चाहिए, बाल झड़ते हैं, उंगलियों में सडऩ होती है तो भी आक काम में लाया जाता है। यदि छोटे सफेद दाग हो गए हैं तो काले नमक में मदार मिलाकर लगाने से लाभ मिलता है। मदार के फूल गुड़ में मिलाकर खाने से मलेरिया रोग नहीं होता।
 पेट को साफ करने के लिए तथा श्वसन प्रणाली को मजबूत करने, हैजा को नियंत्रित रखने के लिए भी काम में लाया जाता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन उल्टी, दस्त, हृदय की धीमी गति, बेहोशी और मृत्यु के कगार पर ले जा सकता है। गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। ऐसे में जहां लाभकारी है वही नुकसानदायक भी है। आक का उपयोग कुशल वैद्य की सलाह के ही करना चाहिए वरना लाभ की जगह नुकसान होने का खतरा होता है।
 मदार के फूलों को शिवलिंग पर भी चढ़ाया जाता है। श्वेत आक को जहां हिंदू धर्म में लाभकारी माना जाता है वहीं पूजा की जाती है।  इसके फूल भगवान शिव की पूजा के लिए अर्पित किए जाते हैं। ऐसे में यह घरों में उगाया जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव और गणेश की विशेष कृपा रहती है जहां सफेद आक उगाया जाता है। आक सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बनाता है। इसके अद्भुत गुणों के कारण इसे कल्पवृक्ष कहा गया है। अक्षय तृतीया के शुभ दिन इस पौधे को घर में लगाया जाता है ताकि घर में लाभ हो सके।

इसके अतिरिक्त कई अन्य लाभ इस पौधे से प्राप्त होते हैं। पशु के कई रोगों में भी यह कारगर है।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

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