शहतूत
लो गर्मी के दिन आए
मीठे-मीठे फल लाए
कहीं ककड़ी मन भाए
तो कहीं शहतूत लुभाएं,
मोरस एलबा नाम होता
मिलता जंगल उजाड़ में
घर में उगकर छाया देता
मिले जाए खड़ा बाड़ में,
गहरे रंग का पौधा होता
रेशम का कीड़ा पलता है
कई रंगों के फल लगते
प्राकृतिक रंग मिलता है,
इसका सफेद रस विषैला
फलों में विटामिन मिलते
एशिया दीप यह पौधा है
इस पर फूल नहीं खिलते,
कई पदार्थ बनते इससे ही
बच्चे फल चाव से खाते हैं
बर्फ में ठंडा करने पर ही
सभी के मन को लुभाते हैं,
फल नहीं यह मल्टी फल
शुक्रोज इसमें भरा हुआ है
हर जन बड़े चाव से खाते
खट्टे मीठे स्वाद का घर है।
**होशियर सिंह, लेखक, कनीना**
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