पलपोटा
(फाइसेलिस मिनिमा)
भूल गया इंसान आज का
होते हैं जंगल में पलपोटा
सोलानेसी कुल का पौधा
पड़ा जंगल में आज टोटा,
हरे रंग का शाक कहलाए
फूल खिलेंगे आएंगे फल
अपने हाथों खो दिया इन्हें
नहीं रहा कोई इसका हल,
जंगल में किसान जब जाता
इसके मधुर फलों को पाता
टमाटर जैसे स्वाद के फल
इनका स्वाद जन को भाता,
बच्चे बूढ़े जब फल खाए
मधुर स्वाद उनको लुभाए
फसल खरपतवार कहलाए
पक्षी भी खा खुश हो जाए,
इसके फल स्वास्थ्य वर्धक
भूख बढ़ा देता मूत्र बढ़ाता
दर्द नाशक पौधा कहलाता
शरीर की जलन भी घटाता,
जूस इसका मिला सरसों में
कान में डाले दर्द मिटा देता
कैंसर रोग को समूल मिटाता
खेतों में किसान को सुहाता।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
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