कैर, टींट, पीचू
(कैपारिस डेसिडूआ)
अति सूखे को झेलकर
देता है अमृतमय फल
टींट, पीचू लगते इससे
शरीर को मिलता बल,
महाभारत में वर्णन है
कहलाता है यह करीर
टींट नामक इसके फल
हर लेते हैं जन की पीर,
त्योहारों पर सब्जी बने
राजस्थान का है उपहार
कली, फूल, फल, बीज
औषधियों का हैं आधार,
पूरे विश्व में यह मिलता
झाड़ी व पौधे इसके रूप
कैर, करीर, केरिया आदि
नामों से प्रसिद्ध ये अनूप,
थार रेगिस्तान में भी मिले
दो बार साल में आते फूल
फल लगते वो टींट कहाए
तीखे कांटे लगे कहाए शूल,
पके फल कहलाते हैं पीचू
टींट सूखाकर फांकी बनती
सब्जी, अचार, कढ़ी बनती
पेट दर्द झटपट फांकी हरती,
बनी में अकसर मिल जाता
जीवों को देता यह संरक्षण
मिट्टी कटाव झटपट रोके
वृक्षों का करता यह रक्षण,
साग सब्जी में टींट को डाले
पक जाए तो पीचू भी खाए
पेट के रोगों का यह आधार
ढूंढकर इसे घर में ही लाए,
छोटे-छोटे पत्ते इस पर होते
खुद उगते इनको नहीं बोते
सरीसृप इनमें चैन से सोते
औषधीय गुण बहुत से होते।
****होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
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