जांटी
(प्रोसोपीस सिनेरेरिया)
सुख दु:ख का साथी
जांटी पेड़ कहलाता
राजस्थान का खेजड़ी
किसान के काम आता,
शमी, सांगरी, कांडी
जंड इसके सब नाम
1880 में पड़ा अकाल
छीलके आए थे काम,
फसल का है रक्षक
दशहरे को होती पूजा
500 वर्ष जीवित रहे
आता इंसान के काम,
श्रीराम का प्रमुख पेड़
अर्जुन ने छुपाया धनुष
जन्माष्टमी को हो पूजा
यज्ञ करता इससे मनुष्य,
बिना पानी रहे जीवित
जड़ करती नहीं स्पर्धा
हर भाग इसका कीमती
यह बढ़ाए शक्ति मृदा,
राजस्थान का राज्य पेड़
1988 में चलाई टिकट
1730 में खेजरली में
आई थी समस्या विकट,
अमृता देवी का चिपको
363 लोगों ने दी जान
कल्पतरु यह कहलाता
रेगिस्तान की है शान,
वंडर ट्री यह कहलाए
राजस्थान का है राजा
छिलका कहाए अमृत
रोगों का बजाए बाजा,
फल हरे इसके सांगरी
सब्जी में आते है काम
सूखे मेवे सूखे फल हैं
खाओ सुबह और शाम,
अचार,कढ़ी और भाजी
कितने इसके हैं उपयोग
पत्ते जांटी कहलाए लूंग
पशु पक्षी करते उपभोग,
ईंधन, फर्नीचर, समीधा
नाइट्रोजन को यह सोखे
गर्मी, सर्दी शरण ले लो
यह नहीं दे कोई धोखा,
कोढ़, दमा व बवासीर
कई रोगों से यह बचाता
पक्षी कोई इस पर आए
खुुद हंसता उसे हंसाता,
रावण दहन के पश्चात
जन लूटकर लाते शमी
कर लो प्रशंसा इसकी
जांटी में नहीं है कमी,
शोध कर लो इस पर
पौधा बड़ा ही उपयोगी
नहीं पाया इसका भेद
पच मरे योगी व भोगी,
कई देशों में यह मिलता
फिर सुंदर फूल खिलता
गर्मी के दिन जब आए
लंबा फल एक लगता,
किसान का होता साथी
इस पर जलाओ दीया
बेहतर फल लगेंगे यहां
पेड़ पर उगा लो घिया,
नमन करता तुझे जांटी
तूने जग को दिया नाम
जब तक जीवित रहूंगा
रहेगा तुझ से मेरा काम।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
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