झड़बेरी
(जिजिफस नुम्मुलेरिया)
एक समय था जब खेतों में
किसान झड़बेरी से परेशान
बार-बार काट डालता परंतु
झड़बेरी की नहीं मिटे शान,
समय आया फिर वो सामने
मिट गया जंगल से झड़बेरी
ढूंढता फिरता रहता जन उसे
हो चली है अब बहुत ही देरी,
थार सहित कई देशों में मिले
कांटों वाला कहाए छोटा बेरी
बहुत उपयोगी पौधा कहलाता
ले आओ खेत से मत करो देरी,
गहरे हरे रंग के छोटे पत्ते होते
सूखाकर पशुचारा बन जाता है
पाला, चिंदी भूल चुके अब जन
त्वचा रोगों के यह काम आता है,
जेली, बांकड़ी से काट कर लाते
जब सूख जाता इससे बाड़ बनाते
घर, बाड़े की करता है रखवाली
जड़ इसकी उबालकर दवा बनाते,
जब कभी आंधी वर्षा आती है तो
झड़बेरी मिट्टी कटाव को रोकते हैं
फोड़ा, फंसी अगर हो जाता है तो
झड़बेरी के ऊष्ण पानी से सेकते हैं,
चूहों को झड़बेरी के फल पसंद हैं
अत: चूहों को मारने के काम आते
आंख रोग, लिवर की समस्या आए
दमा, फोड़ा को जड़ से ही मिटाते हैं,
भार बढ़ाने, मांस पेशी शक्ति चाहे तो
झड़बेरी का करते रहना थोड़ा सेवन
कितने ही रोगों में काम आता पौधा
आग जलाने के भी काम आए ईंधन,
ड्रिंक बनाए या फिर पका हुआ खाए
बेर मधुर अति पाउडर भी काम आए
बहु उपयोगी किसान का जंगली पौधा
मिटने जा रहा है अरदास है इसे बचा।
******होशियार सिंह, लेखक, कनीना****
No comments:
Post a Comment