झुंडा
खेत क्यार में खड़े हुए
पानी, मूंज कहलाते हैं
पशुचारे के रूप में जन
इनको ही काट चराते हैं,
सक्रम बेंगालेंस कहाए
गन्ना कुल में पाया जाए
जंगली जीवों का आहार
गैंडा इसको चाव से खाए,
भारत देश का यह पौधा
गर्मी में हरा भरा हो जाए
झोपड़ी इसकी ही बनती
छप्पर को जन ललचाए,
जब कभी रस्सी बुननी हो
सामने मूंज मंजोली आए
कूट पीटकर बनती रस्सी
लो उससे चारपाई बनाए,
तुली झुंडे से ही बनती है
खिलौने बच्चों को खिलाए
सिरकी इनकी ही बनती है
गरीब सुंदर सा घर बनाए,
पान्नी होती अति तीखी है
ब्लेड की भांति करे काम
छांद बनाकर करते यापन
सर्दी गर्मी करती है तमाम,
इंसान स्वर्ग को पधारता है
पुला उठाकर जल्दी लाते
दाह संस्कार जब होता है
अग्नि इससे ही धंधकाते,
होटल में जब झोपड़ी दिखे
याद आता खेत का झुंडा
जंगली जीव इसी में छुपते
आग लगा देता कोई गुंडा।
*******होशियार सिंह, लेखक, कनीना******
खेत क्यार में खड़े हुए
पानी, मूंज कहलाते हैं
पशुचारे के रूप में जन
इनको ही काट चराते हैं,
सक्रम बेंगालेंस कहाए
गन्ना कुल में पाया जाए
जंगली जीवों का आहार
गैंडा इसको चाव से खाए,
भारत देश का यह पौधा
गर्मी में हरा भरा हो जाए
झोपड़ी इसकी ही बनती
छप्पर को जन ललचाए,
जब कभी रस्सी बुननी हो
सामने मूंज मंजोली आए
कूट पीटकर बनती रस्सी
लो उससे चारपाई बनाए,
तुली झुंडे से ही बनती है
खिलौने बच्चों को खिलाए
सिरकी इनकी ही बनती है
गरीब सुंदर सा घर बनाए,
पान्नी होती अति तीखी है
ब्लेड की भांति करे काम
छांद बनाकर करते यापन
सर्दी गर्मी करती है तमाम,
इंसान स्वर्ग को पधारता है
पुला उठाकर जल्दी लाते
दाह संस्कार जब होता है
अग्नि इससे ही धंधकाते,
होटल में जब झोपड़ी दिखे
याद आता खेत का झुंडा
जंगली जीव इसी में छुपते
आग लगा देता कोई गुंडा।
*******होशियार सिंह, लेखक, कनीना******
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