जंगली करेला
(मोमोर्डिका डायोइका)
जब बारिश हो जाती है
नई-नई बहार आती है
जंगल में जड़ी बूटी उग
मन को बहुत लुभाती हैं,
कहीं बाड़ करेला उगता
फूलों में खुशबू आती है
बिट्टर मेलन, बिट्टर गार्ड
करेले की आहट लाती है,
हरी भरी एक बेल फैले
बाड़, झाड़ पर चढ़ जाती
नर-मादा फूल अलग हो
सुंदर फलों से लद जाती,
कुछ दिन में फल पकते
बीज बनते लाल रंग के
सब्जी फल की बनाकर
खाए खिले बाछे मन के,
फल, पत्ते, जड़ और तना
जन घर में तोड़कर लाते
सदियों से जग में प्रसिद्ध
औषधियों में काम आते,
खून रोकना हो तो इससे
बवासीर का रोग दूर हो
शुगर रोगी प्रयोग करे तो
यह रोग भी जल्द चूर हो,
पेट रोगों में रामबाण यह
कई पकवान बनाए जाते
लेकिन पके हुए फल खा
हैजा, उल्टी भी लग जाते,
बच्चों के रोग दूर करते हैं
ग्रामीण जन बाड़ करेले से
जीव जंतुओं का आहार है
धन कमाते गरीब करेले से,
बहु उपयोगी जंगली करेला
बन जाते कई बिगड़े काम
इसलिए हर जगह प्रसिद्ध
बिट्टर स्कवेस इसका नाम।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना*****
अर्जुन
(टेरमिनालिया अर्जुना)
भारत देश की समृद्ध भूमि
भरी हुई है जड़ी बूटियों से
प्रयोग करते आए ऋषि मुनि
रोग भगाते थे आहुतियों से,
जहां पांडव का नाम अर्जुन
एक पेड़ भी अर्जुन कहाता
भारतवर्ष में बहुत मिलता है
कई रोगों में खुशहाली लाता,
छाल गिरती रहती हर साल
ब्रुस जैसे लगते इस पर फूल
हरे खुरदरे लगते फिर फल
पहचानने में मत करना भूल,
इसके पत्तों पर पलता माथ
टसर बनाता काम आता है
हृदय रोगों में आता है काम
बुखार को यह दूर भगाता है,
घाव हो या हो फोड़ा, फुंसी
दर्द निवारक का यह है रूप
कई प्रकार के अमल मिलते
अचार बनाओ या फिर सूप,
त्वचा रोगों को दूर भगाता है
पेशाब नली रोगों से बचाए
सेक्स रोगों में यह रामबाण
मासिक धर्म में यह हंसाए,
पार्क, बगीचा हो या विरान
मिल जाए खड़ा अर्जुन वहां
औषधीय पौधा यह होता है
ढूंढ लो इसको मिलता जहां,
काष्ठकीय तना इसका होता
हरा भरा गर्मी में यह मिलता
गर्मी में मिलते बहुत से फूल
वर्षा, आंधी में खूब हिलता।।
*****होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
गरबूंदा(इंद्रायण)
(सिट्रूलस कोलोसाइंथिस)
रेतीली भूमि पर पैदा हो
तरबूज, मतीरा जैसा फल
इंद्रायण, कड़वा खीरा भी
नाम इसी के सीधे सरल,
एशिया की उपज बेहतर
जड़, बीज, फल उपयोगी
प्रोटीन, फैट से भरे हुए हैं
रोग दूर हो खाए गर रोगी,
बेल जाति का पौधा होता
वटामिन व लवण मिलते
गर्मी को सहन कर सकता
इस पर पीले फूल खिलते,
फल होता है अति कड़वा
पशुओं के पेट रोग दूर करे
जन के पेट में अगर दर्द हो
इसकी फांकी लेने से न डरे,
अनेक औषधियां इससे बने
सांप,बिच्छू काटे में उपयोगी
बदहजमी को दूर करता यह
उपयोगी है अगर खाए रोगी,
अमाशय में हाता जब कैंसर
या फिर ब्रेस्ट कैंसर का रोग
शुगर मरीज के लिए औषधी
ल्युकिमिया में करते उपभोग,
महिलाओं में बिगड़ माहवारी
या फिर पेट में हो गैस बीमारी
मूत्र नली को रखता यह साफ
कट जाए रोग यह दुआ हमारी,
गर्भवती को नहीं लेना चाहिए
बच्चे और कमजोर भी न लेना
जंगल में यह खूब मिलता था
मिले कहीं तो रोगी को दे देना।।
*******होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
कैर, टींट, पीचू
(कैपारिस डेसिडूआ)
अति सूखे को झेलकर
देता है अमृतमय फल
टींट, पीचू लगते इससे
शरीर को मिलता बल,
महाभारत में वर्णन है
कहलाता है यह करीर
टींट नामक इसके फल
हर लेते हैं जन की पीर,
त्योहारों पर सब्जी बने
राजस्थान का है उपहार
कली, फूल, फल, बीज
औषधियों का हैं आधार,
पूरे विश्व में यह मिलता
झाड़ी व पौधे इसके रूप
कैर, करीर, केरिया आदि
नामों से प्रसिद्ध ये अनूप,
थार रेगिस्तान में भी मिले
दो बार साल में आते फूल
फल लगते वो टींट कहाए
तीखे कांटे लगे कहाए शूल,
पके फल कहलाते हैं पीचू
टींट सूखाकर फांकी बनती
सब्जी, अचार, कढ़ी बनती
पेट दर्द झटपट फांकी हरती,
बनी में अकसर मिल जाता
जीवों को देता यह संरक्षण
मिट्टी कटाव झटपट रोके
वृक्षों का करता यह रक्षण,
साग सब्जी में टींट को डाले
पक जाए तो पीचू भी खाए
पेट के रोगों का यह आधार
ढूंढकर इसे घर में ही लाए,
छोटे-छोटे पत्ते इस पर होते
खुद उगते इनको नहीं बोते
सरीसृप इनमें चैन से सोते
औषधीय गुण बहुत से होते।
****होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
अमरबेल
(कस्कुटा एप्रोक्सिमाटा)
क्लोरोफिल रहित एक पौधा
पत्ते और शाखा पाई जाती है
चूषण अंगों से टहनी जकड़े
परजीवी पादप कहलाती यह,
बबूल, कीकर, बेरी पर मिले
नष्ट कर देती मेजबान को यह
आधा जीवन धरा पर बीतता
शेष जीवन पेड़ पर बीताए यह,
कस्कुटीन मिलता जाता इसमें
अमरबेलीन भी इसी में मिलता
पूरे विश्व में मिलता यह पौधा
डोडर, अमरबेल यह कहलाता,
शाखा से अलग नहीं हो सकती
चूषण अंगों से चूसती मेजबान
पीले रंग की हवा में ही मिलती
अमरबेल इसकी होती है शान,
सूखा डालती है कितने ही पौधे
रहती है सदा धरा पर भी अमर
आंधी आए या सूखा पड़ जाए
आकाश बेल को नहीं कोई डर,
धरती पर आधा चक्र चलता है
उस वक्त इसे कर सकते हैं नष्ट
किसी भी पौधे को होस्ट बनाए
किसानों के पौधों को देती कष्ट,
रक्त शोधक, पीत-कफ नाशक
कमजोर हड्डियों में आती काम
खुजली, फोड़े फुंसी ठीक करे
जंगल में मिले नहीं इसके दाम,
इसका काढ़ा गर्भपात करा देता
पीला वर्ण इसका अति निराला
जिस किसी पौधे के पीछे पड़ती
समझो उसका ही दम निकाला।।
****होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
सांटी या पुनर्नवा
(बोराहविया डिफूजा)
शास्त्रों और आयुर्वेद में
भरा हुआ जिसका नाम
सांटी उसे गांवों में कहते
पुनर्नवा कहलाए बेदाम,
पूरे विश्व में मिलता शाक
गर्मी में यह सूख जाता है
बारिश में फिर हो जीवित
अत: पुनर्नवा कहलाता है,
तीन प्रकार का यह होता
सफेद फूल का सर्वोत्तम है
खाए बुजुर्ग हो फिर जवान
शरीर का मिटाता सारे तम,
कढ़ी बनाओ या खाटा साग
फिर बनाकर खा लो भाजी
या सब्जी में डालकर खाओ
कर देता यह मन को राजी,
खून की कमी तन में आए
झटपट यह खून को बढ़ाता
पशुचारा कहलाए ये उत्तम
सर्वोत्तम ये फोडर कहलाता,
आंखों में जब हो जाते रोग
खा रही है इसको पूरी सृष्टि
खा लो इसको जी भर कर
बढ़ जाएगी आंखों की दृष्टि,
जब ब्लड शूगर बढ़ जाता
या फिर दिल का रोग सताए
औरत में हार्मोन असंतुलन
पुनर्नवा को घर में ले आए,
पेचिस के रोगाणु को मारती
कैसर में कहलाती गुणकारी
थकान मिटाती खून बढ़ाती
करो दोस्तों सांटी से ही यारी।
****होशियार सिंह, लेखक, कनीना****
भाखड़ी
(ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस)
अल्प जल में भी पनपता
गोक्षुर, गोखरू कहलाता
दशमूल में है एक औषधि
कठोर भूमि में मिल जाता
पीले फूल आते हैं इस पर
चने जैसे फिर लगते फल
किसानों के पैरों में लगते हैं
जब वो चलाते खेत में हल,
भाखड़ी, भाखरी, भाखड़ा
कहते इसी को गांवों में जन
आयुर्वेद में है छोटा गोखरू
अनमोल फल कीमती धन,
भेड़ बकरी अगर खा ले तो
रोग होने का भय बन जाए
शीतल, मधुर, पुष्ट, दीपन
खाए इसे जन रोग भगाए,
गरीब लोग आटा बनाकर
खाते हैं गोखरू का आटा
मूत्रविरेचक, पुष्टीवर्धक है
सैकड़ों रोगों को कहे टाटा,
वीर्यक्षीणता में है रामबाण
नपुंसकता को कर देता दूर
महिलाओं के रोग मिटाता
वायु और कफ को करे चूर,
ग्रामीण लोग इसे फाड़कर
बनाते हें सुंदर ऊंट का चारा
सैकड़ों रोगों को मिटा देता
बहु औषधीय गोक्षुर हमारा,
किसानों के लिए खरपतवार
सूखे तो बिखरे कांटे हजार
7 वर्ष तक बीज उग सकता
कर लो कर लो इससे प्यार।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
पलपोटा
(फाइसेलिस मिनिमा)
भूल गया इंसान आज का
होते हैं जंगल में पलपोटा
सोलानेसी कुल का पौधा
पड़ा जंगल में आज टोटा,
हरे रंग का शाक कहलाए
फूल खिलेंगे आएंगे फल
अपने हाथों खो दिया इन्हें
नहीं रहा कोई इसका हल,
जंगल में किसान जब जाता
इसके मधुर फलों को पाता
टमाटर जैसे स्वाद के फल
इनका स्वाद जन को भाता,
बच्चे बूढ़े जब फल खाए
मधुर स्वाद उनको लुभाए
फसल खरपतवार कहलाए
पक्षी भी खा खुश हो जाए,
इसके फल स्वास्थ्य वर्धक
भूख बढ़ा देता मूत्र बढ़ाता
दर्द नाशक पौधा कहलाता
शरीर की जलन भी घटाता,
जूस इसका मिला सरसों में
कान में डाले दर्द मिटा देता
कैंसर रोग को समूल मिटाता
खेतों में किसान को सुहाता।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
मकोय
(सोलानम निग्रम)
आलू जैसे पत्तों वाला
मकोय पौधा मिलता है
यहां वहां खड़ा मिलेगा
सफेद फूल खिलता है,
विभिन्न रंगों के रसभरी
खाने को ललचाए मन
इस पौधे के वर्षभर लगे
खा ले तो विष भरे तन,
सभी भाग होते जहरीले
खा लेना मत कच्चा कभी
बुखार, उल्टी, डायरिया
लग जाते हैं ये रोग सभी,
अधिक मात्रा में खा ले तो
हो सकती है जन की मौत
सोलानम कुल का पौधा है
जीवों के लिए भोजन स्रोत,
कई दवाएं बनाई जाती हैं
कितनी जिंदगी बचाई जाती
नमक के पानी में पकाकर
मकोय जग में खाई जाती,
कैंसर रोग में सहायक होती
ज्वलनशीलता कम कर देती
जंगल का कहलाए पलपोटा
नाइट शैड मन को हर लेती।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
ब्रह्मदंडी
(ट्राइकोलेपिस ग्लेबरिमा)
दुर्लभ जड़ी बूटी एक
रह गई बहुुत ही कम
ब्रह्मडंडी कहलाती है
धूप छांव में रहती सम,
किसी बंजर जमीन पर
मिल जाए आज खड़ी
देखकर इस पौधे को
समझो आई शुभ घड़ी,
मानव ने अपने हाथों
कितनी बूटियां खो दी
देखकर जन के करतूत
धरती माता भी रो दी,
हो सके बचा लो इन्हें
फिर वक्त नहीं आएगा
खुद पैरों में मार कटारी
बहुत समय पछताएगा,
ब्रह्मदंडी बड़ी है कड़वी
दवाओं में काम आए
पैर जारी जब हो जाए
यह बूटी उसे दूर भगाए,
शांतिदायक दवा बनती
जान फूंक दे इंसानों में
पी ले अगर रस अगर
स्फूर्ति आए जवानों में,
शरीर कमजोर जब हो
इसका ही प्रयोग करते
नपुंसकता को दूर करे
नपुंसकता से क्यों डरते,
गिली सूखी काम आए
ढूंढ लो कहीं मिल जाए
ला प्रयोग करना सीखो
जहां कहीं भी मिल जाए।
*****होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
सत्यानाशी
(आर्जिमोन मेक्सिकाना)
सत्यानाशी नाम से जानते
मिले, जुगल खेत क्यार में
एक वर्षीय शाक कहलाती
बदल सकती जीत हार में,
हरे रंग की कांटे पत्तों पर
पत्तों पर मिल सफेद लकीर
पीले फूलों से सजती रहती
बचना चाहता इससे फकीर,
मक्सिको देश का यह पौधा
आ भारत में आतंक मचाया
वर्ष 1998 में इसके बीजों ने
दिल्ली में ड्रोप्सी रोग फैलाया,
50 व्यक्तियों की गई थी जान
कितने ही रोए अस्पतालों में
कई देशों में आतंक मचाया
अंधेरा कर दिया उजालों में,
औषधीय पौधा यह कहलाए
बीज इसके अति जहर भरे
कभी बीजों को नहीं खाओ
सदा रहना बीजों से डरे-डरे,
मलेरिया, फोड़ा व त्वचा रोग
आर्जिमोन समूल कर दे नाश
इसका जूस बहुत काम आता
कामला, त्वचा रोग में दे सांस,
इसके भागों से निकालते रस
आंखों के रोगों को दूर भगाते
बीज इससे बन बायो डीजल
इंसान वाहनों को तेज चलाते,
इसके बीज सरसों से मिलते
मत नहीं कोई गलती करना
सरसों में अगर बीज मिले तो
जन को पड़े सहज ही मरना,
आर्जिमोन इसको ही कहते
ब्रह्मडंडी भी इसी का है नाम
पशुओं के रोगों में काम आता
सत्यानाशी इसी पौधे का नाम।
******होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
गोगा
(अचिरांथस एस्पेरा)
गोगा पर्व पर यह पूजा जाता
अपमार्ग यह शाक कहलाता
डविल्स होर्सहीप कहते हैं
खरपतवार के रूप में आता,
जंगल, खेत व पुराने घरों में
खड़ा मिलता बहुत अधिक
21 पत्ते गणेश पूजा के काम
हृदय के रोगों को करे ठीक,
सैकड़ों रोगों में काम आता है
गुर्दे की पथरी निकाल देता है
नारी रोगों में बहुत उपयोगी है
उल्टे कांटों से पकड़ लेता है,
हरे भरे पत्ते से लदा मिलता है
सर्प काटने पर काम में आता
एक वर्षीय हर्ब यह कहलाता
घर आंगन में सभी को सुहाता,
किसी प्रकार की ब्लीडिंग हो
कारगर औषधि का काम करे
ग्रामीण क्षेत्रों में गोगा कहलाए
देखकर इसको जन लगते डरे।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
बुई
( ईरवा जवानिका)
बुई नाम से जाना जाता
जंगली पौधा खड़ा हुआ
किसान निराई जब करते
करते बुई को तुरंत सुहा,
बार-बार खेत में पनपता
जहरीला पौधा कहलाता
खाना इसे महंगा पड़ता
कई दवा में काम आता,
जब जूतों में बदबू होती
बुई तोड़ जूतों में लगाओ
बदबू दूर तुरंत हो जाती
पैरों को कटने से बचाओ,
बुई तेल अति जहरीला
लिवर को कर दे खराब
पाचन तंत्र भी नष्ट होता
यह जहरीली एक शराब,
कुछ जहरीले पदार्थ मिले
घाव, ब्लीडिंग को रोकता
कई रोगों में काम आता है
शरीर के दर्द को शोखता,
डेजर्ट का कपास कहाए
बकरी इसे चाव से खाए
दांत दर्द अगर हो जाए तो
इसके कुल्ला करके भगाए,
जलन, घाव सभी मिटा दे
मिट्टी कटाव पर रोक लगाए
गुर्दे व गठिया रोगों जब हो
बुई पौधों का लाभ उठाए,
कपोक ब्रुस नाम पड़ा है
विभिन्न देशों में पाया जाए
इसके कोमल पत्ते देखकर
जीवों के मन को यह भाए।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना********
झोझरू
(टेफरोसिया पुरपुरिया)
बंजर भूमि कभी भरी होती थी
शरपुंखा(झोझरू)हरी झाड़ी से
ऊंट बड़ चाव से खाता है इसे
उत्साह भरकर जुड़ता गाड़ी से,
जहां पानी की कमी मिलती है
झोझरू आज भी मिल जाता है
भूल गया है इस जड़ी बूटी को
दांत दर्द दूर करने काम आता है,
पुराने वक्त से जन प्रयोग करता
जड़ की बढिय़ा दातुन बनाने को
काट पीट किसान घर लाता था
ऊंट को बेहतर चारा खिलाने को,
शिकारी इसका प्रयोग करते आए
मछली मारने का जहर बनाने को
तालाब, तालाबों से मारकर लाता
होला बनाकर मछली का खाने को,
कीट भी इससे दूर भागते हैं सभी
राजस्थान में मासा नाम से जानते हैं
त्वचा रोग, कोढ़, लिवर, हृदय रोग
खून के रोग, बवासीर में पहचानते हैं,
भूख बढ़ाता, गनोरिया रोग भगाता है
इत्र बनाने के भी यह काम आता है
डायरिया, दमा और मूत्र रोग आते हैं
यह कितने ही रोगों को दूर भगाता है,
भारत ही नहीं कई देशों में मिलता है
हरियाणा के जंगलों में पनपता रहता
कठोर भूमि में भी पनपता बखूबी से
झोझरू को पाड़ आओ लेखक कहता।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
झड़बेरी
(जिजिफस नुम्मुलेरिया)
एक समय था जब खेतों में
किसान झड़बेरी से परेशान
बार-बार काट डालता परंतु
झड़बेरी की नहीं मिटे शान,
समय आया फिर वो सामने
मिट गया जंगल से झड़बेरी
ढूंढता फिरता रहता जन उसे
हो चली है अब बहुत ही देरी,
थार सहित कई देशों में मिले
कांटों वाला कहाए छोटा बेरी
बहुत उपयोगी पौधा कहलाता
ले आओ खेत से मत करो देरी,
गहरे हरे रंग के छोटे पत्ते होते
सूखाकर पशुचारा बन जाता है
पाला, चिंदी भूल चुके अब जन
त्वचा रोगों के यह काम आता है,
जेली, बांकड़ी से काट कर लाते
जब सूख जाता इससे बाड़ बनाते
घर, बाड़े की करता है रखवाली
जड़ इसकी उबालकर दवा बनाते,
जब कभी आंधी वर्षा आती है तो
झड़बेरी मिट्टी कटाव को रोकते हैं
फोड़ा, फंसी अगर हो जाता है तो
झड़बेरी के ऊष्ण पानी से सेकते हैं,
चूहों को झड़बेरी के फल पसंद हैं
अत: चूहों को मारने के काम आते
आंख रोग, लिवर की समस्या आए
दमा, फोड़ा को जड़ से ही मिटाते हैं,
भार बढ़ाने, मांस पेशी शक्ति चाहे तो
झड़बेरी का करते रहना थोड़ा सेवन
कितने ही रोगों में काम आता पौधा
आग जलाने के भी काम आए ईंधन,
ड्रिंक बनाए या फिर पका हुआ खाए
बेर मधुर अति पाउडर भी काम आए
बहु उपयोगी किसान का जंगली पौधा
मिटने जा रहा है अरदास है इसे बचा।
******होशियार सिंह, लेखक, कनीना****
पुदीना
(मेंथा लोंगिफोलिया)
विशेष महक वाला पौधा
बाग बगीचे में खड़ा मिले
सूंघकर इसकी महक को
तन बदन जन खूब खिले,
पिपरमिंट, मिंट और मेंथा
विभिन्न नामों से जाना जाए
चटनी, अचार व ड्रिंक में
पुदीना ही मन को लुभाए,
कैंसर, पेट की बीमारी से
पुदीना बस काम में आए
तनाव घटाए, इमून बढ़ाए
खासी, दमा में काम आए,
मुंह में जीवाणु जब बढ़ते
माहवारी का जब दर्द बढे
कैंडी, टूथपेस्ट, पेय पदार्थ
इसकी अल्प मात्रा से सजे,
पूरे जग में मिलता है मिंट
मेंथा इसका ही जिनस है
गर्भवती महिला की दिक्कत
काम का अति पुदीना रस है,
छाछ, दही और सब्जी में
गीला-सूखा ही काम आए
कैंडी, पेय बहुत से बनते हैं
बच्चे बूढ़ों के मन को भाए,
अधिक पानी की जरूरत है
बहुत अधिक फैलता जाए
टहनी तोड़ गमले में लगाए
बढ़ता जाए यह बढ़ता जाए,
विभिन्न रंगों के फूल खिलते
बीज बनते चार सुंदर न्यारे
पेट की कोई बीमारी होती
दूर करे पल में यह हमारे।।
******होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
जांटी
(प्रोसोपीस सिनेरेरिया)
सुख दु:ख का साथी
जांटी पेड़ कहलाता
राजस्थान का खेजड़ी
किसान के काम आता,
शमी, सांगरी, कांडी
जंड इसके सब नाम
1880 में पड़ा अकाल
छीलके आए थे काम,
फसल का है रक्षक
दशहरे को होती पूजा
500 वर्ष जीवित रहे
आता इंसान के काम,
श्रीराम का प्रमुख पेड़
अर्जुन ने छुपाया धनुष
जन्माष्टमी को हो पूजा
यज्ञ करता इससे मनुष्य,
बिना पानी रहे जीवित
जड़ करती नहीं स्पर्धा
हर भाग इसका कीमती
यह बढ़ाए शक्ति मृदा,
राजस्थान का राज्य पेड़
1988 में चलाई टिकट
1730 में खेजरली में
आई थी समस्या विकट,
अमृता देवी का चिपको
363 लोगों ने दी जान
कल्पतरु यह कहलाता
रेगिस्तान की है शान,
वंडर ट्री यह कहलाए
राजस्थान का है राजा
छिलका कहाए अमृत
रोगों का बजाए बाजा,
फल हरे इसके सांगरी
सब्जी में आते है काम
सूखे मेवे सूखे फल हैं
खाओ सुबह और शाम,
अचार,कढ़ी और भाजी
कितने इसके हैं उपयोग
पत्ते जांटी कहलाए लूंग
पशु पक्षी करते उपभोग,
ईंधन, फर्नीचर, समीधा
नाइट्रोजन को यह सोखे
गर्मी, सर्दी शरण ले लो
यह नहीं दे कोई धोखा,
कोढ़, दमा व बवासीर
कई रोगों से यह बचाता
पक्षी कोई इस पर आए
खुुद हंसता उसे हंसाता,
रावण दहन के पश्चात
जन लूटकर लाते शमी
कर लो प्रशंसा इसकी
जांटी में नहीं है कमी,
शोध कर लो इस पर
पौधा बड़ा ही उपयोगी
नहीं पाया इसका भेद
पच मरे योगी व भोगी,
कई देशों में यह मिलता
फिर सुंदर फूल खिलता
गर्मी के दिन जब आए
लंबा फल एक लगता,
किसान का होता साथी
इस पर जलाओ दीया
बेहतर फल लगेंगे यहां
पेड़ पर उगा लो घिया,
नमन करता तुझे जांटी
तूने जग को दिया नाम
जब तक जीवित रहूंगा
रहेगा तुझ से मेरा काम।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
पपीता
(करिका पपाया)
जग का हेल्दी भोजन
करिका पपाया होता है
मैक्सिको से उत्पत्ति है
चमक नहीं यह खोता है,
करिका एकमात्र जीनस
पूरे विश्व में उगाया जाए
भारत नंबर एक उत्पादक
ट्रांसजीनी फल कहलाए,
लाल और पीला रंग होता
नर मादा हो अलग-अलग
कितनी ही इसके उपयोग
खाने पर स्फूर्ति दे रग-रग,
विटामिन, वसा व खनीज
मिलता है सफेद पपायन
कैंसर, हृदयघात से बचाए
बीजों में मिलता है रसायन,
पत्ते की चाय मलेरिया रोके
गर्भधारण से पपीता बचाए
इमून शक्ति को यह बढ़ा दे
गठिया रोगों से यह बचाए,
सलाद, जेली इससे ही बने
पेट की परेशानी मिटाता है
हेयर कंडिसनर में मिलाते
डेंगू रोग जब लग जाता है
पत्ते से बनाकर चाय पिलाते
जन-जन के मन को भाता है
रस्सी भी इससे ही बनती है
एलर्जी का रोग भी लगाता है,
खेतों में यह खड़ा मिलता है
भारी मात्रा में लग जाते फल
सब्जी बने तो फल भी खाते
कई समस्याओं का हो हल।
*******होशियार सिंह, लेखक, कनीना*************
झुंडा
खेत क्यार में खड़े हुए
पानी, मूंज कहलाते हैं
पशुचारे के रूप में जन
इनको ही काट चराते हैं,
सक्रम बेंगालेंस कहाए
गन्ना कुल में पाया जाए
जंगली जीवों का आहार
गैंडा इसको चाव से खाए,
भारत देश का यह पौधा
गर्मी में हरा भरा हो जाए
झोपड़ी इसकी ही बनती
छप्पर को जन ललचाए,
जब कभी रस्सी बुननी हो
सामने मूंज मंजोली आए
कूट पीटकर बनती रस्सी
लो उससे चारपाई बनाए,
तुली झुंडे से ही बनती है
खिलौने बच्चों को खिलाए
सिरकी इनकी ही बनती है
गरीब सुंदर सा घर बनाए,
पान्नी होती अति तीखी है
ब्लेड की भांति करे काम
छांद बनाकर करते यापन
सर्दी गर्मी करती है तमाम,
इंसान स्वर्ग को पधारता है
पुला उठाकर जल्दी लाते
दाह संस्कार जब होता है
अग्नि इससे ही धंधकाते,
होटल में जब झोपड़ी दिखे
याद आता खेत का झुंडा
जंगली जीव इसी में छुपते
आग लगा देता कोई गुंडा।
*******होशियार सिंह, लेखक, कनीना******
टमाटर
मैक्सिको की उत्पत्ति
विश्व भर में पैदावार
लाल, हरा, पीला रंग
बच्चा, बूढ़ा करे प्यार,
चीन प्रथम स्थान पर
भारत का नंबर है दो
सस्ते कभी महंगे होते
सोलानम को खरीद लो,
7500 प्रकार के होते हैं
स्पेनिश भाषा से बना है
कैंसर से बचाता जन को
रसीला यह बहुत घना है,
विटामिन सी के ये स्रोत
बहुत से विटामिन मिलते
लाइकोपीन इसमें मिलता है
खनिजों से तन-मन खिलते,
कच्चा खाओ ,पक्का खाओ
जूस बनाओ, सूप बनाओ
पिज्जा, सब्जी, ड्रिंक बनाओ
खाते जाओ, पीते ही जाओ,
पैराबैंगनी किरणों से बचाता
जो कैंसर का होती बनती है
हरे पत्ते, टहनी थोड़े जहरीले
उनको खा पी दुनिया रोती है,
सलाद रूप में सबसे बेहतर
सारा ही जग प्रयोग करता है
पाचन शक्ति और भूख बढ़ाए
जग का यह पेट भी भरता है,
अमल अधिक मिलता इसमें
कई नामों से यह जाना जाता
टमाटर का रंग जग में प्रसिद्ध
जो भी खाए वो खुश हो जाता।
*****होशियार सिंह, लेखक, कनीना***