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Wednesday, February 5, 2020


खीफ
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खींप
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लेप्टोडेनिया
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खीफ/खींप एक झाड़ीनुमा पौधा होता है जो अक्सर बहुत कम पानी में भी लंबे समय तक जीवित रह सकता है। इस पौधे की सारी टहनियां हरे रंग की होती है जिन पर या तो पत्ते होते ही नहीं या कभी कभार पत्ते आते हैं। वैज्ञानिक भाषा में खीफ का नाम लेप्टएडेनिया पायरोटेक्निका होता है।
यह पौधा अक्सर रेगिस्तान में देखा जा सकता है। कई-कई वर्षों तक यह जीवित रहता है।    
          राजस्थान के रेगिस्तान में मिलने वाला यह पौधा अक्सर घास के रूप में जाना जाता है। मक्का, धान बाजरा, बास आदि भी इसी में शामिल किए गए हैं।  इसके तने से निकलने वाला पानी शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। यदि शरीर पर रगड़ दिया जाए तो खुजली हो जाती है।
खीफ को अक्सर झोपड़ी आदि बनाने के काम में लेते हैं वही झाड़ू बनाने के लिए भी काम में लाया जाता है।
 इस पर पीले रंग के छोटे-छोटे फूल भी आते हैं। फूल के बाद फल भी लगते हैं। खींफ के फल बिल्कुल मूली की फलियों से मिलते जुलते होते हैं। कई कई बार तो इनको पहचानना भी कठिन हो जाता है। खीप एक ऐसा पौधा होता है जिसके तने भोजन बना सकते हैं। इसके पत्ते नहीं होते रेगिस्तानी पौधों की यह विशेषता होती है कि उन्हें पत्ते नहीं पाए जाते या फिर बहुत कम पाए जाते हैं। भारत में काफी स्थानों पर खीफ मिलती है। यह सूखे के प्रति प्रतिरोधकता रखती है। सूखे में आसानी से लंबे समय तक रह सकती है। भूमि को जकड़े रखने में इसका अहम रोल रोल होता है। 
जहां ग्रामीण क्षेत्रों में रस्सी बनाने के काम में लाई जाती है वही ऊंटों का बेहतर चारा बनता है।
 इसे सब्जी के काम में भी इसे लेते हैं। इसके तने पर पत्ते न होने के कारण पूरा तना भोजन बनाता है। रेगिस्तानी पौधे को यदा-कदा कभी खेतों में देखा जा सकता है। उसकी टहनियों को तोड़कर प्राप्त दूध को कपड़े पर लगाया जाता है और दूसरी ओर से फूंक मारने पर गुब्बारे जैसी आकृतियां बनती हैं जो मनमोहक लगती है।

  खीफ झोपड़ी बनाने के काम में आती है। इसकी फलियों को खिफोली कहा जाता है। जो मार्च-अप्रैल में पक जाती है। जिसकी अनेकों औषधियां बनाई जाती है। इसके हरे तने सब्जी बनाने के काम में लाए जाते है। इसके तने से फाइबर रेशे बनाने के काम में लाया जाता है। अच्छा पशु चारे के रूप में काम में लाया जाता है।
जलाने के लिए भी काम में लाया जाता है जिसमें अनेकों जीव रहते हैं।  रेगिस्तानी क्षेत्रों में ध्यान मिट्टी कटाव को रोकना वहां इस प्रकार के पौधे उगाए जाते हैं। शुष्क क्षेत्र का पौधा है। इस पौधे के फूल खाए जाते हैं वहीं इसकी पत्तियां एवं हरि टहनियां फूल का सूप भी बनाकर लोग प्रयोग करते हैं।

मूत्र संबंधी विकारों में काम में लाया जाता है। इसके बीज आंखों का लोशन बनाने के काम में लाया जाता है। इसका रस छोटी माता के इलाज में काम मिलाया जाता है। पौधे से कंटेनर बनाने के काम में लाए जाते हैं जिसमें दूध पानी आदि रख कर लाया ले जाया जाता है। इसकी टहनिया टूथ ब्रश करने के काम में लाई जाती है।
इसकी टहनियों शाखाओं को कुछ स्कूलों में हल्के दंड देने के लिए किया प्रयोग किया जाता है। ईंधन के रूप में भी काम में लाया जाता है। यह विभिन्न देशों में पाया जाता है।

खीफ का रस फोड़े फुंसी के इलाज में क्या मिलाया जाता है वहीं एंटीआक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी के रूप में भी काम में लाया जाता है। शरीर से बहते खून को रोकने के लिए इसकी टहनियां पीसकर लगाई जाती है। गुर्दे के रोगों में भी लाभप्रद है वही।अमाशय के विकारों को दूर करने में काम में लेते हैं। सिर दर्द एवं जोड़ों के दर्द में काम में लेते हैं वही एक्जिमा में उपयोगी होता है। इसके पत्तों का जूस दमा, जोड़ों के दर्द में काम में लाया जाता है। इसकी जड़े भी अस्थमा रोग में काम में लाई जाती है। खीफ रेगिस्तानी पौधा होते हुए कई कामों में लेते हैं।
**होशियार सिंह,










लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़, हरियाणा**

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