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Thursday, February 13, 2020

तंबाकू
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निकोटियाना टैबेकम
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तम्बाकू एक शाक होता है। पेड़ के पत्तों को सुखा कर नशीली वस्तु तंबाकू बनाई जाती है। यह सोलानेसी कुल का पौधा होता है जिसमें टमाटर, बैंगन आदि शामिल किए गए हैं। यह एक धीमा जहर जो आदत डालता है और आदमी की जान लेता है।
एक बार तंबाकू की लत तो पड़ जाती है किंतु जब पता चल जाता है कि तम्बाकू का सेवन हानिकारक है किंतु बाद में लाख छुड़ाने पर भी यह लत छूटती नहीं। आखिरकार एक ना एक दिन उसे मौत की नींद सुलाकर ही दम लेती है।
 भारत जैसे विशाल देश में इसका उपयोग बीड़ी, हुक्का, चिलम गुल, गुड़ाकु, जर्दा, खैनी, गुटखा आदि के रूप में किया तम्बाकू का प्रयोग किसी भी रूप में किया जाए वह दुष्प्रभाव डालता है। इसे धुआं के रूप में पीते हैं, खाते हैं,चबाते हैं और कई रूपों में प्रयोग करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में धुआं के रूप में पीने के लिए इसे उगाते हैं और यहां तक कि खेती करते हैं।
तम्बाकू को जब किसी भी रूप में प्रयोग करते है तो इसके कारण मुंह में सफेद दाग, मुँह का नहीं खुल पाना तथा कैंसर रोग भी हो सकता है।  इसके कारण हृदय के धमनियों में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। हृदय रोग हो सकता है। रक्तचाप बढ़ सकता है। सांस की बीमारी दमा तथा फेफड़ो का कैंसर हो सकता है। शरीर के स्नायु तंत्र पर कुप्रभाव पड़ता है।
युवा वर्ग उत्सुकता या मित्रों के संग तंबाकू का सेवन शुरू होता है फिर इसके नशा का आनन्द आने लगता है। उनका शरीर इस मादक पदार्थ का आदि हो जाता है और फिर वह उसको छोड़ नहीं पाते। यदि छोडऩा भी चाहे तो बेचैनी, घबराहट होने लगती है।
खैनी, जर्दा खाना या गुल, गुड़ाकू का अधिक प्रयोग किसी भी तरह धूम्रपान के उपयोग से अलग नहीं है। कई बार व्यक्ति चाह कर भी तम्बाकू तथा उससे संबंधित मादक पदार्थ बंद नही कर पाता है। तम्बाकू को जहर भी कहा जा सकता है।
तम्बाकू में हानिकारक तत्व निकोटीन पाया जाता है। इसकी मात्रा शरीर में बढ़ जाने से मौत हो सकती है।तंबाकू में 28 तरह के कैंसरजनी तत्व होते है। इनमें निकोटीन तथा कार्बन मोनोआक्साइड गैस प्रमुख हैं। तंबाकू  की कार्बन मोनोआक्साइड गैस शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देती है जिससे शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग जैसे कि दिमाग, हृदय, फेफड़े ठीक तरह से कार्य नही कर पाते। तम्बाकू में कैंसर उत्पन्न कर सकता है।
तम्बाकू के सेवन से अनेक प्रकार के होने वाले रोगों में कैंसर प्रमुख हैं। इससे फेफड़े का कैंसर हो सकता है, मुँह का कैंसर हो सकता है या फिर गले अथवा श्वसन नली का कैंसर हो सकता हैं।
इसके अलावा पेट का कैंसर, किडनी तथा पैंक्रियाज में होने वाले कैंसर, ब्लैडर और मूत्राशय संबंधी रोगों में भी तम्बाकू  भूमिका निभाता हैं।

तम्बाकू में निकोटीन , टार, बेंजीन, आर्सेनिक, क्रोमियम आदि कैंसर पैदा करने वाला प्रमुख तत्व पाए जाते हैं।  रक्त में निकोटीन तथा कार्बन की मात्रा बढ़ जाने से शरीर के नसों में थक्के जम जाते हैं, जिससे रक्त परिवहन में समस्या आ जाती है।
हृदय का कार्य शरीर में रक्त परिवहन को सुचारु रूप से बनाये रखना होता है। यदि शरीर के किसी भाग में रक्त परिवहन ठीक से नही होता है तब हृदय उन जगहों पर रक्त भेजने के लिए जोड़ लगाती है, जिसके फलस्वरूप नसों में रक्तचाप बढ़ जाता है, रक्तचाप बढ़ जाने के कारण खून की नसें फट सकती है तथा हृदयाघात हो सकता है।
मनुष्य का मुख्य श्वसन अंग फेफड़ा हैं। धुआं फेफड़ों पर बहुत ही बुरा असर डालते हैं। यदि आप किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा छोड़े गये तम्बाकू का धुआं ग्रहण कर लेते है तो आपके फेफड़ो का भी उतना ही नुकसान होगा जितना उस तम्बाकू पीने वाले के फेफड़ों का होगा।
फेफड़ो में करीब 30 करोड़ कूपिकाएं पाई जाती है जो रक्त में आक्सीजन मिलाने तथा कार्बन डाई-ऑक्साइड निकालने का कार्य करते है। तम्बाकू का धुआं कूपिकाओं की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है।
तम्बाकू का सेवन पुरुष या महिला दोनों के प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, नपुंसकता हो सकता हैं, जबकि स्त्रियों में तम्बाकू के सेवन से बांझपन हो सकता हैं। गर्भावस्था के दौरान गर्भपात हो जाने की आशंका बनी रहती है तथा भ्रूण का विकास प्रभावित होता है।
तम्बाकू के कारण टीबी रोग,दांत पीले, मैले और कमजोर हो जाते हैं। मसूड़े सडऩे लगते हैं।तम्बाकू का ज्यादा नशा करने से स्वाद तथा सूंघने की शक्ति प्रभावित होती हैं। मुंह से दुर्गन्ध आती रहती है। छाती में दर्द होना, जकडऩ होना, आंख से दिखाई कम पडऩा, सिर में दर्द होना, रक्तचाप बढ़ जाना तम्बाकू के प्रभाव के कारण हो सकता हैं। भारत में 28 फीसदी वयस्क आबादी तम्बाकू के लत से ग्रस्त हैं। पूरे विश्व में होनेवाली हर 5 मौतों में से एक मौत तम्बाकू के कारण होती हैं। हर साल 31 मई को तम्बाकू के कुप्रभाव से दुनिया को बचाने के लिये विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता हैं।
निकोटियाना टैबैकम एक मजबूत वार्षिक शाखाओं वाली शाकरूप है जिसमें बड़े हरे पत्ते सफेद-गुलाबी फूल होते हैं।
बीज को छोड़कर पौधे के लगभग हर हिस्से में निकोटीन होता है। निकोटीन की एकाग्रता पौधे की उम्र के साथ बढ़ जाती है। तम्बाकू के पत्तों में 2 से 8 प्रतिशत निकोटीन होता है।
 ताजे पत्ते का उपयोग फोड़े और संक्रमित घावों पर  में किया जाता है। गंजापन को रोकने के लिए बालों के उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है।
सूखे पत्तों को एक पेस्ट में मिलाया जाता है और बाहरी रूप से कीड़े को नष्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है। पत्ती का रस ठंड लगना और सांप के काटने के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। अस्थमा और अपच के लिए ताजा जड़ को मौखिक रूप से लिया जाता है। बीज को गठिया के लिए मौखिक रूप से लिया जाता है। पत्तियां वयस्कों द्वारा सिरदर्द और घावों के लिए बाहरी रूप से लागू की जाती हैं। सूखे पत्तों के गर्म पानी के अर्क को घाव, अल्सर, घाव, घाव, मुंह के घाव, के लिए लगाया जाता है। पत्ती गुर्दे की बीमारियों के लिए ली जाती है।
   सूखे पत्ती का आसव गंजापन, जिल्द की सूजन में किया जाता है।मेक्सिको तंबाकू को एक पवित्र पौधा माना जाता था। संपूर्ण तंबाकू पत्तियों का उपयोग  विभिन्न औषधीय मलहम और चाय की तैयारी में किया जाता है। थकावट को दूर करने के लिए, बीमारियों को दूर किया जाता है और भय को शांत किया जाता है। है।
पौधा कीटनाशक के रूप में निकाला और इस्तेमाल किया जा सकता है। सूखे पत्तों को सूंघने या सूंघने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। यह मुख्य प्रजाति है जिसका उपयोग धूम्रपान करने वालों के लिए सिगरेट, सिगार और अन्य उत्पादों








को बनाने के लिए किया जाता है। कुल मिलाकर तंबाकू जहर है जिसके लाभ न के बराबर होते हैं और हानियां अधिक होती हैं।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**



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