शहतूत
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मोरस एल्बा
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शहतूत मोरासी कुल से संबंधित पेड़ है जिसकी करीब एक दर्जन प्रजातियां पाई जाती है। ये जंगलों में भी पाए जाते हैं और खेती भी की जाती है। ब्रूसोनेटिया शहतूत से मिलता जुलता पौधा है।
शहतूत तेजी से बढऩे वाले पौधे होते हैं जिसके चलते लोग छाया के लिए घरों के आस पास लगाते हैं। इनकी पत्तियां सरल होता हैं और पत्तियों का फलक दांतेदार होते हैं। ये अक्सर एकलिंगी मिलते हैं किंतु कुछ पौधे द्विलिंगी भी होते हैं।
शहतूत का फल सफेद, हरे या पीले रंग के होते हैं। अनेकों शहतूत की प्रजातियों में फल पकने पर गुलाबी, लाल फिर गहरे काले किंतु खट्टे होते हैं जो पकने के बाद मीठा स्वाद के होते हैं। कुछ प्रजातियों में सफेद रंग के फल भी मिलते हैं। फल गोलाकार, हरे, लंबे भी हो सकते हैं।
शहतूत एक मीठा फल है जो। सबसे पहले चीन में उगाया गया था लेकिन आप पूरे ही दुनिया में पाया जाता है। भारत में भी भारी मात्रा में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मोरस एल्बा है। इसके अनेकों किस्में है। इनके फलों से शरबत, जेली, शराब, चाय आदि के लिए भी उपयोग किया जाता है। शहतूत की पत्तियों पर रेशम के कीड़े पाले जाते हैं। इनमें राइबोफ्लेविन, विटामिन बी, ए, ई, के के अलावा कैल्शियम एवं अनेकों तत्व भी पाए जाते हैं।काली शहतूत पर रेशम के कीड़े पाले जाते हैं तथा दाद के इलाज में काम आता है। अमेरिकी शहरों ने बड़ी मात्रा में पराग के उत्पादन के कारण शहतूत के रोपण पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि नर पौधे पराग उत्पन्न करते हैं जो एलर्जी करता है। मादा शहतूत के पेड़ सभी मादा फूलों का उत्पादन करते हैं, जो हवा से पराग और धूल खींचते हैं।
शहतूत में चीनी, रुक्षांस, प्रोटीन, विटामिन ए, थायोमिन, राइबोफ्लेविन, नियासीन,विटामिन बी-6,फोलेट,विटामिन सी,विटामिन ई, विटामिन के,कैल्शियम,लोहा, मैगनीशियम,फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम,जस्ता आदि पाए जाते हैं।
शहतूत में रुक्षांस मिलते हैं जो हमारे पाचन तंत्र ,कब्ज, गैस आदि को दूर करते हैं। इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित करते हैं। शहतूत से जहां रक्त संचार नियमित बनता है। ये आक्सीजन के वितरण में सभी अंगों में वृद्धि करते है। रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
कैंसर से भी बचाने में शहतूत बहुत लाभप्रद है क्योंकि इसमें विटामिन-सी आदि पाए जाते हैं। इसमें एंटीआक्सीडेंट भी पाए जाते हैं जो कैंसर से बचाते हैं। शहतूत में खाने से जहां विटामिन-ए मिलता है जो आंखों की रोशनी, रतौंधी रोग से बचाता है। यह आंखों के लिए लाभप्रद है। शहतूत में विटामिन सी पाया जाता है, खनिज लवण मिलते हैं जो शरीर में प्रतिरक्षी तंत्र को सुचारु रूप से रखते हैं। हड्डियों के लिए भी बहुत लाभप्रद होते हैं क्योंकि इनमें कैल्शियम तत्व पाए जाते हैं। त्वचा के लिए भी लाभप्रद है क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन तत्व पाए जाते हैं। यह माना जाता है कि मधुमेह टाइप-2 में लाभकारी है। मस्तिष्क को दुरुस्त रखता है, बालों की सुरक्षित रखता है।
वही शहतूत खाने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जिनमें शहतूत खाने से त्वचा का रोग, गुर्दे की बीमारी, गुर्दे की पथरी, रक्त शर्करा को कम करने में इसका योगदान होता है, वही कार्बोहाइड्रेट अवशोषण में बाधित बनता है। कुछ लोगों में से शहतूत एलर्जी करते हैं। वहीं लीवर की समस्या होती है। स्तनपान करने वाली महिलाओं को और गर्भवती महिलाओं को नुकसान कर सकता है।
गर्मी के मौसम में बाजार में शहतूत की आवक खूब होती है। खट्टा-मीठा, रसीला शहतूत स्वाद में तो मजेदार होता है। शहतूत एक स्वादिष्ट मीठा नर्म फल है। यह शरीर में फैले प्रदूषण को साफ करके संक्रमित चीजों को बाहर निकालता है। शहतूत का जूस पीने से झुर्रियां खत्म हो जाती हैं, चेहरा चमकदार और ताजा हो जाता है। शहतूत में उम्र को रोकने वाला गुण होता है। यह तनाव को दूर करता है साथ ही शरीर में रक्त के थक्के बनने से रोकता है। यह आंखों की गड़बड़ी, लंग कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकता है।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**
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मोरस एल्बा
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शहतूत मोरासी कुल से संबंधित पेड़ है जिसकी करीब एक दर्जन प्रजातियां पाई जाती है। ये जंगलों में भी पाए जाते हैं और खेती भी की जाती है। ब्रूसोनेटिया शहतूत से मिलता जुलता पौधा है।
शहतूत तेजी से बढऩे वाले पौधे होते हैं जिसके चलते लोग छाया के लिए घरों के आस पास लगाते हैं। इनकी पत्तियां सरल होता हैं और पत्तियों का फलक दांतेदार होते हैं। ये अक्सर एकलिंगी मिलते हैं किंतु कुछ पौधे द्विलिंगी भी होते हैं।
शहतूत का फल सफेद, हरे या पीले रंग के होते हैं। अनेकों शहतूत की प्रजातियों में फल पकने पर गुलाबी, लाल फिर गहरे काले किंतु खट्टे होते हैं जो पकने के बाद मीठा स्वाद के होते हैं। कुछ प्रजातियों में सफेद रंग के फल भी मिलते हैं। फल गोलाकार, हरे, लंबे भी हो सकते हैं।
शहतूत एक मीठा फल है जो। सबसे पहले चीन में उगाया गया था लेकिन आप पूरे ही दुनिया में पाया जाता है। भारत में भी भारी मात्रा में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मोरस एल्बा है। इसके अनेकों किस्में है। इनके फलों से शरबत, जेली, शराब, चाय आदि के लिए भी उपयोग किया जाता है। शहतूत की पत्तियों पर रेशम के कीड़े पाले जाते हैं। इनमें राइबोफ्लेविन, विटामिन बी, ए, ई, के के अलावा कैल्शियम एवं अनेकों तत्व भी पाए जाते हैं।काली शहतूत पर रेशम के कीड़े पाले जाते हैं तथा दाद के इलाज में काम आता है। अमेरिकी शहरों ने बड़ी मात्रा में पराग के उत्पादन के कारण शहतूत के रोपण पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि नर पौधे पराग उत्पन्न करते हैं जो एलर्जी करता है। मादा शहतूत के पेड़ सभी मादा फूलों का उत्पादन करते हैं, जो हवा से पराग और धूल खींचते हैं।
शहतूत में चीनी, रुक्षांस, प्रोटीन, विटामिन ए, थायोमिन, राइबोफ्लेविन, नियासीन,विटामिन बी-6,फोलेट,विटामिन सी,विटामिन ई, विटामिन के,कैल्शियम,लोहा, मैगनीशियम,फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम,जस्ता आदि पाए जाते हैं।
शहतूत में रुक्षांस मिलते हैं जो हमारे पाचन तंत्र ,कब्ज, गैस आदि को दूर करते हैं। इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित करते हैं। शहतूत से जहां रक्त संचार नियमित बनता है। ये आक्सीजन के वितरण में सभी अंगों में वृद्धि करते है। रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
कैंसर से भी बचाने में शहतूत बहुत लाभप्रद है क्योंकि इसमें विटामिन-सी आदि पाए जाते हैं। इसमें एंटीआक्सीडेंट भी पाए जाते हैं जो कैंसर से बचाते हैं। शहतूत में खाने से जहां विटामिन-ए मिलता है जो आंखों की रोशनी, रतौंधी रोग से बचाता है। यह आंखों के लिए लाभप्रद है। शहतूत में विटामिन सी पाया जाता है, खनिज लवण मिलते हैं जो शरीर में प्रतिरक्षी तंत्र को सुचारु रूप से रखते हैं। हड्डियों के लिए भी बहुत लाभप्रद होते हैं क्योंकि इनमें कैल्शियम तत्व पाए जाते हैं। त्वचा के लिए भी लाभप्रद है क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन तत्व पाए जाते हैं। यह माना जाता है कि मधुमेह टाइप-2 में लाभकारी है। मस्तिष्क को दुरुस्त रखता है, बालों की सुरक्षित रखता है।
वही शहतूत खाने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जिनमें शहतूत खाने से त्वचा का रोग, गुर्दे की बीमारी, गुर्दे की पथरी, रक्त शर्करा को कम करने में इसका योगदान होता है, वही कार्बोहाइड्रेट अवशोषण में बाधित बनता है। कुछ लोगों में से शहतूत एलर्जी करते हैं। वहीं लीवर की समस्या होती है। स्तनपान करने वाली महिलाओं को और गर्भवती महिलाओं को नुकसान कर सकता है।
गर्मी के मौसम में बाजार में शहतूत की आवक खूब होती है। खट्टा-मीठा, रसीला शहतूत स्वाद में तो मजेदार होता है। शहतूत एक स्वादिष्ट मीठा नर्म फल है। यह शरीर में फैले प्रदूषण को साफ करके संक्रमित चीजों को बाहर निकालता है। शहतूत का जूस पीने से झुर्रियां खत्म हो जाती हैं, चेहरा चमकदार और ताजा हो जाता है। शहतूत में उम्र को रोकने वाला गुण होता है। यह तनाव को दूर करता है साथ ही शरीर में रक्त के थक्के बनने से रोकता है। यह आंखों की गड़बड़ी, लंग कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकता है।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**
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