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Tuesday, February 18, 2020



अमरूद
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सीडियम ग्वायवा
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 अमरूद बहुवर्षीय पेड़ होता है जिसका वानस्पतिक नाम सीडियम ग्वायवा है। यह एक फल देने वाला वृक्ष है। इसकी उत्पत्ति वेस्ट इंडीज से हुई है। भारत में अमरूद की खेती बेहतर की जाती है। यह कई प्रकार की मिट्टी तथा जलवायु में पैदा हो सकता है। इसके वर्ष में दो बार फल लगते हैं। विटामिन, खनिज लवण, रुक्षांस आदि से परिपूर्ण होने के कारण स्वास्थ्य के लिए  लाभदायक फल है। इसमें कार्बोहाइड्रेट,शर्करा,
आहार रेशे,वसा, प्रोटीन, विटामिन-ए, बीटा-कैरोटीन,विटामिन बी-1,बी-2,बी-3,विटामिन बी-6, विटामिन सी,विटामिन-के, कैल्शियम,लौह, मैग्नेशियम,मैंगनीज़,फास्फोरस, पोटैशियम,सोडियम, जस्ता आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसका फल काटने पर सफेद पीला या फिर लाल रंग का पाया जाता है।
 















लाल अमरूद में विटामिन-सी अधिक पाया जाता है। अमरूद की जेली तथा चीज बनाई जाती है। इसे डिब्बों में बंद करके सुरक्षित भी रखा जा सकता है।
अमरूद के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु में भी बेहतर पनपता है। यह हर मौसम तथा हर मिट्टी को सहन कर सकता है। केवल छोटे पौधे ही पाले से प्रभावित होते हैं।  इलाहाबादी , लाल गूदेवाला जैसी अनेकों प्रसिद्ध किस्में हैं। अमरूद द्विबीजपत्री पौधा है जिसके ताजा तने पर धारियां पाई जाती हैं। पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। फूल सफेद आते हैं। फल हरे रंग के लगते हैं जो बाद में पीले हो जाते हैं। एक फल में सैकड़ों की संख्या में बीज पाए जाते हैं। नया पौधा बीज द्वारा या फिर कलम चढ़ाकर तैयार किया जा सकता है।
 बेहतर पेड़ प्राप्त करने के लिए आरंभ से ही डालियों की उचित कटाई व छटाई करनी चाहिए। पुरानी डालियों में जो नई डालियां निकलती हैं उन्हीं पर फूल और फल आते हैं। वर्ष में दो बार फल देता है। एक बार उगाया गया पौधा करीब 30 वर्ष तक फल देता है।

अमरूद खट्टा मीठा और स्वादिष्ट एवं कई औषधीय गुणों से भरा हुआ है।  दंत रोगों के लिए अमरूद रामबाण होता है। अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों के कीड़ा और दांतों से सम्बंधित रोग भी दूर हो जाते हैं। अमरूद पैदावार में भारत विव में पहले स्थान पर होता है। अमरूद भारत देश का एक प्रमुख फल है। यह आसानी से मिल जाता है। भारत में विभिन्न घरों में लोग पेड़ लगाते हैं।
 अमरूद की तासीर ठंडी होती है। ये पेट की बहुत सी बीमारियों को दूर करने के काम आता है। इससे कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। इसके बीजों का सेवन करना भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अमरूद को काले नमक के साथ खाने से पाचन संबंधी समस्या दूर हो जाती है। बच्चों के पेट में कीड़े पड़ गए हैं तो अमरूद का सेवन करना उनके लिए फायदेमंद होगा।
अमरूद की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बनाकर आंखों के नीचे लगाने से काले घेरे और सूजन कम हो जाती है। कब्ज की समस्या को सुबह खाली पेट पका हुआ अमरूद खोने से दूर हो जाती है। मुंह से दुर्गंध आती है तो अमरूद की कोमल पत्तियों को चबाना लाभ होता है वहीं इसे चबाने से दांतों का दर्द भी कम हो जाता है। यह पेट को जल्दी भर देता हैं। शुगर की मात्रा कम होने की वजह से यह डायबिटीज के मरीज के लिए लाभदायक है। इसके अलावा यह हरा और मीठा फल सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर रखने में सक्षम है।

   अमरूद वजन कम करने में भी मददगार है। एक अमरूद ही भूख का अहसास नहीं होता और धीरे-धीरे वजन भी कम होना शुरू हो जाता है।  संतरे के मुकाबले अमरूद में चार गुणा ज्यादा विटामिन-सी होता है। इससे खांसी,जुकाम बचा जा सकता है। अमरूद में एंटीआक्सीडेंट लाइकोपीन पाया जाता है जो कैंसर सैल को बढऩे से रोकता है वहीं आंखों को स्वस्थ रखने का काम करता है। अमरूद खाने से कमजोर आंखों की रोशनी बढऩे लगती है। इसमें मौजूद फाइबर और पोटैशियम रक्त में कोलेस्ट्राल नियंत्रित करने में मददगार है। अपरूद खाने से दिल की धड़कन और रक्तचाप नियमित रहता है। दांत और मसूढों के लिए भी अमरूद बहुत फायदेमंद हैं। मुंह के छाले को दूर करने के लिए अमरूद की पत्तियां चबाने से राहत मिलती है। अमरूद का रस घाव कभर सकता है।
अमरूद मधुमेह रोगियों के लिए भी लाभप्रद होता है वहीं मैग्निशियम तनाव को कम करने का काम करता है। थकावट दूर करना चाहते हैं तो अमरूद खाएं। अमरूद बुढ़ापे को रोकता है।
मुंह से दुर्गंध आती हैं तो अमरूद की कोमल पत्तियों को चबाएं दूर हो जाएगी। पाचन संबंधी परेशानी दूर कर देता है। इसके अतिरिक्त पेट के कीड़े, कब्ज,, पित्त की समस्या का समाधान करता है।
अमरूद वजन को कम करने वालों के लिए लाभकारी है। विटामिन, प्रोटीन, खनिज लवण आदि का अच्छा स्रोत है। इसमें कोलेस्ट्राल नहीं पाया जाता। अमरूद में उच्च मात्रा में रुक्षांस पाया जाता है, ऐसे में मधुमेह रोगियों के लिए लाभप्रद है। अमरूद खाने से मस्तिष्क के विकास में लाभप्रद है। पत्तियों के जल से मुंह धोने त्वचा निखार आता है। फुंसियों और फोड़ों से भी बचाता है। अमरूद जहां लाभकारी भी है वहीं हानिकारक भी होता है। गर्भवती महिलाओं को नहीं खाना चाहिए। इसके प्रयोग करने से अस्थाई रूप से गैस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इतने अधिक लाभों को देखते हुए इसे घर आंगन में उगाना चाहिए। यह पशु पालकों के लिए भी लाभकारी है। इसके पत्तों को सूखाकर पशु के पेट संबंधित बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है वहीं पशुओं के चारे के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। उपले बनाते समय भी इसके पत्ते काम आते हैं।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

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