Powered By Blogger

Monday, February 10, 2020

अमरबेल/आकाशबेल
************************
********************
************************

डोडर/शैतान के बाल
************************
***********************
*************************
कसकुटा
**************************
*******************
**************************

अमरबेल अक्सर पीले रंग का परजीवी पौधा होता है जिसकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती है
अमरबेल कई नामों से जाना जाता है जिनमें  जादूगर का जाल, अमरबेेल, शैतान की हिम्मत, शैतान का बाल, सुनहरा बालों वाला, प्रेम बेल। आदि प्रमुख हैं। इसे डोडर कहा जाता है।

अमरबेल एक प्रकार की लता है जो विभिन्न पौधों पर पीले जाल के रूप में लिपटी रहती है। यह एक परजीवी शाक है जिसमें पत्तियों और पर्णहरिम का पूर्णरूप से अभाव होता है।  इसका रंग प्राय पीला होता है। इसका तना लंबा, पतला, शाखायुक्त और चिकना होता है जिस पर अनेक मजबूत पतली-पतली शाखाएं निकलती हैं। इसके फूल छोटे, सफेद या गुलाबी, हल्की सुगंध वाले होते हैं।
यह बहुत विनाशकारी लता है जो जिस पौधे पर मिलती है उसे धीरे-धीरे नष्ट कर देती है। इसकी लता और बीज का उपयोग औषधि के रूप में होते हैं।
 इसके रस में कस्कुटीन नामक ऐल्केलायड, अमरबेलीन तथा पीले रंग का का तेल पाया जाता है। इसका स्वाद कड़वा होता है। इसका रस रक्त शोधक, पित्त कफ को नष्ट करने वाला होता है। फोड़े-फुंसियों और खुजली पर भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग गर्भपात कराने में भी होता हैं।

डोडर को पत्ती रहित दिखने वाला पौधा है। अनुकूल मौसम में बेल पर छोटे फल लगते हैं जो पीले रंग के होते हैं। इसका वनस्पतिक नाम कसकूटा यूरोपाआ/ कस्कुटा रिफ्लैक्सा है। इसकी कुछ प्रजातियां अपना भोजन बना सकती हैं किंतु कुछ पूर्णरूप से होस्ट पर आश्रित होती हैं। पौधे पर भारी मात्रा में बीज बनते हैं जिन पर कठोर परत होती है। यही कारण है कि ये 10 सालों तक मिट्टी में पड़े जीवित रह सकते हैं।
  अमरबेल के बीज धरती पर अंकुरित होते हैं और तुरंत किसी मेजबान पौधे की जरूरत होती है। यदि अंकुरण एक सप्ताह तक एक पौधे तक नहीं पहुंचा जाता है तो डोडर अंकुर मर जाएगा।
    अमरबेल खुद को एक पौधे के साथ संलग्न करने के बाद यह उसके चारों ओर लिपट जाता है।पौधे पर पहुंचते ही इसके तने से होस्टेरियां पैदा होते हैं जो मेजबान पौधे के तने में घुस जाते हैं। यह एक वार्षिक पौधा है और जो पूरी तरह से मेजबान पौधे पर निर्भर करता है। यह प्रकाश संश्लेषण क्रिया नहीं कर सकता है।
 यह मेजबान पौधे को कमजोर करता हुआ उसका अंत कर देता है। यहां तक कि पैदावार को भी घटा सकता है। यह कई पेड़ों को अपना निशाना बना सकता है। एक बार किसी पेड़ पर आ जाता है तो कैंसर के रोग की भांति उसका अंत करके ही दम लेता है। अमरबेल की जड़े जिन्हें होस्टोरिया कहते हैं,मेजबान पौधे के फ्लोएम उत्तक से शर्करा और पोषक तत्वों को निकालती रहती हैं।
कई देशों के पास अमरबेल के बीज के आयात पर रोक लगाने के कानून हैं।
आयुर्वेद में यह बताया गया है कि अमरबेल पुरुष तत्व को बढ़ाता है, पाचनशक्ति ठीक करता है और आंख के रोगों में लाभदायक होता है। हृदय को स्वस्थ रखता है। यह पित्त, कफ के विकार और खराब पाचन से बनने वाले वात को भी ठीक करता है। यह एक रेचक पदार्थ है।
अमरबेल वृक्षों पर फैली रहती है। इसमें से महीन धागे के समान तन्तु निकलकर वृक्ष की डालियों का रस चूसते रहते हैं।

यह जिस पेड़ पर एक बार पहुंच जाती है तो अमर हो जाती है। पेड़ मर सकता है किंतु डोडर नहीं जिसके कारण इसे अमरबेल कहते हैं। यह वृक्षों के ऊपर फैलती है, जमीन से बिना जुड़े केवल पेड़ पर ही होने के कारण इसे आकाश बेल भी कहा जाता है। इससे यह तो फलती-फूलती जाती है, लेकिन जिस पेड़ पर यह रहती है वह धीरे-धीरे सूखकर खत्म हो जाता है। अमरबेल के अनेकों उपयोग हैं।
  अमरबेल तेल में पकाकर सिर पर लगाने से बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं तथा गंजेपन में लाभ होता है। अमरबेल से बालों को धोने से बाल में चमक आती है और बाल सुनहरे होते हैं। इससे बालों का झडऩा रुक जाता है वहीं रूसी खत्म होती है। यह मस्तिष्क रोग ठीक करने, आंख आना और आंखों की जलन की परेशानी से आराम देती है। जीभ के घाव ठीक करने, पेट पर लेप करने से पेट के रोग ठीक होते हैं। इसे पेट की गैस और पेट के दर्द की समस्या दूर होती है। यह खूनी बवासीर में लाभकारी, बुखार, लिवर विकार तथा कब्ज में लाभ हीतकर, पेशाब को बढ़ाने के लिए तथा गुर्दे की बीमारियों के इलाज में भी काम आती है।
प्रसूता स्त्री की अपरा निकालने, अण्डकोश की सूजन ठीक कर देती है। यह जोड़ दर्द,गठिया जैसी बीमारी में लाभकारी, पुराना घाव भरने, खुजली शांत करने, शरीर की कमजोरी दूर करने,बुखार उतारने, वायरल बुखार ठीक करने,यहां तक कि कैंसर में भी लाभकारी साबित हो सकती है।
  अमरबेल मधुमेह, हड्डियों की मजबूती, चोट लगी को ठीक करने में काम आती है। यह आंखों के रोगों में ,कैसी भी खुजली हो, अमरबेल पीसकर उस पर लेप करने से खुजली खत्म हो जाती है। पेट फूलने,अफारा दूर करने,याददाश्त में वृद्धि,दांत चमकीले बनाने, महावारी नियमित होती है।







   यह पशुओं के अनेक रोगों में लाभकारी होता है। अफारा, पशु की आंख के रोग, पशु के पैर पर सुजन को दूर करने, घाव को ठीक करने के काम में लेते हैं। पशु की जेर को निकालने में काम में लेते हैं।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

No comments: