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Thursday, February 6, 2020












इलायची
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कार्डामोम
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 एलेटेरिआ कार्डामोम
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कार्डामोम/कार्डामोन/कार्डामम
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इलायची का सेवन प्राय मुख शुद्धि एवं मसाले के रूप में किया जाता है। इलायची दो प्रकार की आती है- हरी या छोटी इलायची तथा काली या बड़ी इलायची। जहां बड़ी इलायची मसालों एवं व्यंजनों को लजीज बनाने में किया जाता है जबकि हरी इलायची पकवानों एवं मिठाइयों में काम आती है।
विवाह शादियों, पार्टियों आदि में मेहमानों की आवभगत में भी इलायची का जमकर प्रयोग होता है वहीं औषधीय गुणों से परिपूर्ण है जिसे संस्कृत में एला कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम/लैटिन नाम एलेटेरिआ कार्डामोमम हैं। इलायची पाचन वर्धक तथा रुचिवर्धक होते हैं। इलायची की तासीर शीतल, तीक्ष्ण, मुख को शुद्ध करनेवाली, पित्तजनक तथा वात, सांस रोग, खासी, बवासीर, क्षय,  सुजाक, पथरी, खुजली, मूत्र विकार तथा हृदयरोग में लाभदायक है।
इलायची के बीजों में एक प्रकार का वाष्पशील तेल होता है जिसके कारण इसमें खुशबू पाई जाती है। छोटी इलायची का पौधा हरा, 4 से 5 फुट ऊंचा, पत्ते दो फुट तक लंबे होते हैं। यह बीज और जड़ दोनों से उगाया जा सकता है। अदरक और इलायची एक ही कुल के पौधे हैं। यह झाड़ीनुमा होता है जिसकी फसल तैयार होने में अक्सर 3-4 साल लग जाते हैं तथा इतने ही काल तक इसमें गुच्छों के रूप में फल लगते हैं।
   इलायची के फल ही इलायची नाम से बिकते हैं। यह पौधा बहुवर्षीय है जिसके लिए हवा और छायादार भूमि जरूरी हैं। इसके बीज छोटे होते हैं। भारत के मैसूर, मंगलोर, मालाबार तथा श्री लंका में इलायची बहुतायत से होती है। यह विभिन्न देशों में उगाई जाती है।
इलायची की जो दो प्रमुख प्रजातियां मिलती हैं जिन्हें हरी या छोटी इलायची तथा बड़ी इलायची जिसे काली इलायची, भूरी इलायची, नेपाली इलायची, बंगाल इलायची या लाल इलायची भी कहते हैं।
यदि आवाज बैठी हुई है या गले में खराश है, तो छोटी इलायची काम आती है वहीं यदि गले में सूजन आ गई हो, तो मूली के पानी में छोटी इलायची पीसकर सेवन करने से, सर्दी-खांसी और छींक होने पर एक छोटी इलायची, एक टुकड़ा अदरक, लौंग तथा तुलसी के पत्ते एक साथ पान में खाने से,वहीं बड़ी इलायची पानी में उबालकर पीने से उल्टियां बंद हो जाती हैं।
यदि मुंह में छाले हो जाने पर बड़ी इलायची मिश्री मिलाकर, केले अधिक मात्रा में खा लेने पर, बस में बैठने पर चक्कर आते हैं या जी घबराता है तो छोटी इलायची काम में आती है।
बड़ी इलायची के सुखाये हुए फल और बीज भारतीय तथा अन्य देशों के व्यंजनों में मसाले के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इसके बीजों में एक विशेष प्रकार की खुशबू आती है। बड़ी इलायची का नाम संस्कृत में एला है वहीं वानस्पतिक नाम ऐमोमम कार्डामोमम है।
इसका पेड़ पांच फुट तक ऊंचा, फल तिकोने, कत्थे जैसे रंग के और बीज छोटी इलायची से कुछ बड़े होते हैं। इसके बीजों के लगभग वे ही गुण कहे गए हैं जो छोटी इलायची के बीजों के होते है।बड़ी इलायची मसाले के रूप में नमकीन व्यंजनों में ही इस्तेमाल की जाती है। इसकी दो जातियां पहचानी जाती हैं। जहां छोटी
इलायची काम आती है वहां बड़ी नहीं। बड़ी इलायची को पुलाव इत्यादि बनाने में प्रयोग किया जाता है। वहीं व्यंजनों एवं गरम मसाले,चाय में भी यह एक अहम सामग्री है। विभिन्न देशों में अलग अलग व्यंजनों में काम में लेते हैं।
बड़ी इलायची का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक नेपाल है।  चीन में इसका इस्तेमाल उदर विकार तथा मलेरिया के उपचार में किया जाता है।
बड़ी या काली इलायची खाने के कई फायदे हैं। भारत में पैदा की जाने वाली यह बड़ी इलायची सिफऱ् एक मसाला भर नही हैं, बल्कि यह एक बढिय़ा औषधि भी हैं। इसके गुणों के कारण इसे मसालों की रानी भी कहा जाता हैं। बड़ी इलायची खाने से आपको कभी सांस की बीमारी नहीं होगी। अगर आपको अस्थमा, अंगों में इंफेक्शन है तो बड़ी इलायची का सेवन करने से ठीक हो सकती है। सर्दी खासी में लाभप्रद है। बड़ी इलायची शरीर से खराब और जहरीली चीजों को निकाल बाहर करने में मदद करता है। बदबू आने की शिकायत को बड़ी इलायची को चबाना दूर किया जा सकता है वहीं भी इनफेक्शन या घावो को ठीक भी करने का काम करती है। लगातार सिरदर्द की शिकायत बड़ी इलायची के तेल से सिर का मसाज करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
    बड़ी इलायची से कैंसर जैसी बड़ी बीमारियां भी दूर रहती है। यह शरीर के हाजमे पर बहुत ही अच्छा असर होता हैं। इसके सेवन से एसिडिटी की समस्या से छुटकारा मिलता हैं वहीं नियमित सेवन से गेस्ट्रिक अल्सर और दूसरी पाचन संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता हैं।
    फेफड़े से संबंधित बीमारियों में लाभदायक,दमा के रोगियों और सांस संबंधित बीमारियों में फायदेमंद हैं। इसके नियमित सेवन से अस्थमा, कुकुर खांसी, फेफड़े का सूजन और टीबी आदि रोगो से छुटकारा पाया जा सकता हैं। गुर्दे की बीमारी इसके सेवन से ठीक हो जाती है। बड़ी इलायची एंटी-आक्सिडेंट्स के गुण रखती है जिससे यह ब्रेस्ट, कोलन और गर्भाश्य कैंसर को रोकती है वहीं बालों को मजबूत बनाती हैं।
बड़ी इलायची जहरीले तत्वों को बाहर निकालती हैं। यह शरीर को सेहतमंद बनाती हैं।
बड़ी इलायची के नियमित सेवन से चमकती हुई त्वचा बन जाती है। बड़ी इलायची में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। बड़ी इलायची दर्द को दूर करने की क्षमता पाई जाती हैं। जिसमें सिरदर्द में यह रामबाण है वहीं टेंशन और थकान जैसी समस्याएं दूर होती है। शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता है वहीं एंटी-सेपटिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं।
  उच्च रक्तचाप के रोगियो के लिए लाभकारी है वहीं हृदय स्वस्थ रहता है वहीं यह खून के जमने की संभावना को भी काफी कम कर देती है। खून के प्रवाह को बेहतर बनाने में, दांतो की समस्या में रामबाण  है वहीं सांसों की बदबू भी दूर होती हैं। बड़ी इलायची को पीसकर मस्तिष्क पर लेप करने से एवं बीजों को पीसकर सूंघने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। शहद में मिलाकर छालों पर लगाने से छाले ठीक, दांत में दर्द हो रहा हो तो बड़ी इलायची और लौंग के तेल में दांत पर लगाएं, लार आती हो तो बड़ी इलायची और सुपारी को बराबर-बराबर पीसकर चूसते रहने से यह कष्ट दूर हो जाता है। बड़ी इलायची पाचन शक्ति बढ़ती है,दस्तों में लाभ होता है, बड़ी इलायची चूर्ण राई में लेने से लीवर सम्बंधित रोगों में लाभकारी है।
    इलायची स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। छोटी इलायची कफ, खांसी, अस्थमा, बवासीर और पेशाब की जलन में फायदेमंद है। हृदय और गले की मलीनता को दूर करती है। हृदय को बलवान बनाती है। मानसिक उन्माद, उल्टी और जी मिचलाना को दूर करती है। मुंह की दुर्गन्ध को दूर करके सुगन्धित करती है और पथरी को तोड़ती है। यह पीलिया, बदहजमी, मूत्रविकार, सीने में जलन, पेट दर्द, उबकाई, हिचकी, दमा, पथरी और जोड़ों के दर्द में भी इलायची का सेवन लाभकारी होता है।
पेट करना हो तो इलायची प्रयोग करे। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, बिटामिन बी-2,बी-6 और बिटामिन-सी, फाइबर पाए जाते हैं।बाल झडऩे की समस्या दूर होती हैबालों का डेंड्रफ भी दूर होता है। शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है वहीं रक्त संचरण सही, पाचन शक्ति बेहतर,आंतों और किडनी की सफाइ, कब्ज की परेशानी भी दूर हो जाती है।  इलायची के कारण भोजन स्वादिष्ट बन जाता है। सुगंधित बन जाता है। वही सिर दर्द में इलायची काम आती है। दांतों के रोग का शोधन सिरदर्द नपुंसकता में भी काम आती है। स्वप्नदोष पेशाब की रुकावट, पथरी में भी लाभप्रद है। इलायची को खरबूजे के बीज में मिश्री मिलाकर सेवन करने से गुर्दे की पथरी दूर हो जाती है। इलायची बुखार में दस्तों में उल्टी में, दांत के कीड़े। अधिकांश की पेट की गैस, यकृत के दोष के दाग आदि में भी काम में लाई जाती है। ऐसे में इलायची जरूर प्रयोग करनी चाहिए।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा**



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