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Friday, February 7, 2020



कटहल
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फनस
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जैकफ्रूट
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आर्टोकार्पस हेट्रोफिलस
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कटहल को अंग्रेजी में जैकफ्रूट नाम से भी जाना जाता है। इसे फनस भी कहते हैं। यह एक शाखायुक्त, पुष्पधारी तथा बहुवर्षीय वृक्ष है। इसका मूल दक्षिण-पूर्व एशिया है। पेड़ पर होने वाले फलों में इसका फल विश्व में सबसे बड़ा होता है। फल के बाहरी सतह पर छोटे-छोटे कांटे पाए जाते हैं। इस प्रकार के फल को सोरोसिस कहते हैं।
कटहल का लैटिन नाम/वानस्पतिक नाम आर्टोकार्पस हेट्रोफिलस है। इसके पत्ते लम्बे, चौड़े ,गहरे हरे रंग के होते हैं। इसके फूल मोटी शाखाओं पर लगते हैं जिनका पीला रंग होता है। फल बहुत बड़े -बड़े लम्बाई युक्त गोल होते हैं। उसके ऊपर कोमल कांटे होते हैं। इसी प्रकार के कांटेवाले फल शहतुत,अंजीर,आनानाश, जैकफ्रूट में वाए जाते हैं।  ये 15 से 20 किलो वजन तक के हो सकते हैं। इसके बीज अति पौष्टिक होते हैं जो वीर्यवर्धक ,वात ,पित्त तथा कफ नाशक होती है। ऐसे में जिनके पेट में जलन रहती है उन्हें मंदाग्नि रोग वालों को कटहल नहीं खाना चाहिए। कटहल ना सब्जी है और न ही फल है।
कटहल बड़ी रहस्यमयी सब्जी है। इसके सब्जी और फल होने पर भी कई मतभेद हैं। कहीं इसका सेवन बड़ा गुणकारी माना जाता है वहीं कुछ लोग इसे देखना तक पसंद नहीं करते। कहीं इसे तंत्र-मंत्र के लिए उपयोग में लिया जाता है तो कहीं इसका स्पर्श भी अशुभ मानते हैं। लेकिन यह अति गुणकारी लाभ जानकर आप इसे आजमाएं बिना नहीं रह सकते। सब्जी, अचार और पकौड़े के अलावा इसे तल कर भी खाया जाता है।
 कटहल में कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जैसे, विटामिन-ए, विटामिन-सी, थाइमिन, खनिज लवण पोटैशियम, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, आयरन, नियासिन और जिंक आदि। इसमें खूब सारा फाइबर पाया जाता है।

कटहल में ऊर्जा न के बराबर होती है। पके हुए कटहल के पल्प को अच्छी तरह से पानी में उबालकर पीने से ताजगी आती है वहीं यह दिल के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है। कटहल में पोटैशियम पाया जाता है जो कि दिल की हर समस्या को दूर करता है। यह उच्च रक्तचाप को कम कर देता है। कटहल में आयरन पाया जाता है। जिसके चलते रक्त अल्पता दूर करता है। इससे शरीर में रक्तसंचार बढ़ता है। कटहल की जड़ अस्थमा के रोगियों के लिए लाभदायक मानी जाती है। 















इसकी जड़ को पानी के साथ उबाल कर लेेने से अस्थमा पर नियंत्रण होता है। थायराइड के लिए भी कटहल उत्तम है इसमें मौजूद सूक्ष्म खनिज और कापर थायराइड चयापचय के लिये प्रभावशाली होता है।
  कटहल हड्डियों के लिए बहुत गुणकारी होता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम हड्डी में मजबूती लाता है तथा अस्थिमृदुता से बचाता है। इसमें विटामिन सी और  विटामिन-ए खूब पाया जाता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है वहीं जीवाणु और वाइरल इंफेक्शन से बचाता है। यह अल्सर और पाचन संबंधी समस्या को दूर करता है। कब्ज की समस्या से निजात दिलाती है। कटहल का लाभ आंखों तथा त्वचा पर देखा जा सकता है। इस फल में विटामिन ए पाया जाता है जिससे आंखों की रोशनी बढ़ती है और त्वचा में निखार लाता है।
 

 कटहल को बड़े और भारी फलों में गिना जाता है। यह फल पकने पर बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट हो जाता है। कटहल से सब्जी, आचार और जायकेदार व्यंजन बनाए जाते हैं। कटहल वजन घटाने से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बचाव कर सकता है।कटहल आकार में छोटे और काफी बड़े दोनों प्रकार के हो सकते हैं। इस फल की बाहरी त्वचा नुकीली होती है। इसकी सब्जी बनने के बाद बिल्कुल मांस जैसी दिखती है। पकने पर यह फल अंदर से पीला हो जाता है, जिसे लोग खाते हैं।
हृदय स्वास्थ्य के लिए कटहल का सेवन किया जा सकता है। इसमें मौजूद विटामिन-सी सूजन को रोक सकता है, जो हृदय रोग जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। इसका पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित कर दिल के दौरे को रोक सकता है। इस फल में मौजूद आयरन हृदय को मजबूत रखता है। कटहल रूक्षांस पाए जाते हैं जो आंतों की सफाई एवं पाचन क्रिया को बढ़ाता है। यह कब्ज, डायरिया व गैस आदि को ठीक करते हैं। चूंकि कटहल विटामिन-सी से समृद्ध होता है, इसलिए यह मोटापे को कम करने में मदद कर सकता है। यह एंटीआक्सीडेंट का अच्छा स्रोत है। कटहल हड्डियों की मजबूती को बना रखने में मदद करता है चूकिं इसमें कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों की मजबूती और विकास के लिए जरूर तत्व है। कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए भी कटहल का सेवन किया जा सकता है। कटहल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण  कैंसर को भी रोकते हैं। कटहल विटामिन-सी का भी अच्छा स्रोत है और विटामिन-सी कैंसर को रोकने में एक अहम भूमिका निभा सकता है। यह पेट एवं गर्भाश्य के कैंसर को रोकता है।
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए कटहल के फायदे बहुत हैं। कटहल में विटामिन-सी होता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का काम करता है।
  कटहल विटामिन-ए और सी से भरपूर होता है और ये दोनों ही पोषक तत्व आंखों के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। वहीं विटामिन-सी मोतियाबिंद के खतरे को भी कम कर सकता है। यह रक्ताल्पता जैसी बीमारी के लिए भी लैंाभकारी होता है। कटहल आयरन का अच्छा स्रोत है। आयरन की कमी होना ही है रक्तअल्पता का कारण बनता है। शरीर में रक्त संचालन के लिए भी कटहल के फायदे होते हैं। कटहल पोटैशियम और सोडियम से समृद्ध होता है, जिस कारण यह रक्तचाप के लिए लाभकारी होता है।
  

  मधुमेह की रोकथाम के लिए भी कटहल के गुण देख सकते हैं। कटहल विटामिन-बी से समृद्ध होता है। थायराइड की स्थिति में कटहल अहम भूमिका निभा सकता है। कटहल में तांबा का एक अच्छा स्रोत है। इसके अलावा तांबा थायराइड विकारों के लिए भी फायदेमंद होता है। कटहल
त्वचा स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
कटहल त्वचा को शुष्क होने से बचाता है। कटहल फाइबर का भी अच्छा स्रोत है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।  कटहल में पानी,प्रोटीन,वसा,कार्बोहाइड्रेट,वसा
फाइबर, शूगर,कैल्शियम,लोहा, मैग्रेशियम,फास्फोरस,पोटैशियम, सोडियम,,जस्त, विटामिन-सी, एस्कॉर्बिक अमल, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासीन,, विटामिन-बी6, बी-12, विटामिन-ए,विटामिन-ई, लिपिड आदि पाए जाते हैं। कटहल एक खास फल है, जिसका सेवन पक जाने पर फल के रूप में खा सकते हैं। ऐसे में यह फल तथा सब्जी दोनों है।  कटहल का अचार भी बना सकते हैं, पल्प से चिप्स भी बना सकते हैं। कटहल वास्तव में जैकफ्रूट का बहुत करीबी है। कटहल खाने के फायदे अनेक है, लेकिन इसकी अत्यधिक मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती है जिनमें मधुमेह की आशंका, एलर्जी, डायरिया भी हो सकता है।

      कटहल एक ऐसा फल है जिसे भारत में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। इसकी सब्जी बनाने के साथ-साथ पकौड़े और आचार भी बनाया जाता है। इसका सेवन करने से पके शरीर में जबरदस्त स्फूर्ति आती है।
 कुछ लोग कटहल को फल तो कुछ इसे सब्जी मानते हैं। यहां तक कि कुछ लोग तो इसे मांंसाहार का विकल्प भी मानते हैं। कटहल के बीजों को शहद में मिलाने के बाद बने लेप को अपने चेहरे पर रंगत आती है वहीं चेहरे के दाग-धब्बे साफ हो जाते हैं। चेहरा का रूखापन समाप्त हो जाता है।
कटहल के छिलकों से निकलने वाले दूध को अगर सूजन, घाव और कटे-फटे अंगों पर लगाया जाए तो बहुत आराम मिलता है। गठिया की समस्या से ग्रस्त रोगियों के जोड़ों पर कटहल के पत्तों से निकलने वाले दूध को लगाया जाता है।
कटहल का सेवन करने वालों को अल्सर और पाचन से जुड़ी समस्याएं नहीं होतीं।  कटहल की पत्तियों से बना चूरण पेट के रोगियों के लिए बहुत गुणकारी होता है।  कटहल के पाउडर को दूध में मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की झुर्रियां समाप्त हो जाती हैं। ऐसे में कटहल एक अनूठा फल है जो सब्जियों के लिए अधिक लोकप्रिय है। कटहल कई तरह के पोषक तत्वों से भरा हुआ एक स्वादिष्ट फल है। कटहल का पेड़ अन्य फलों के पेड़ से काफी बड़ा होता है और इसके ऊपर बड़े-बड़े कटहल के फल लगते हैं।

अक्सर लोग कटहल का इस्तेमाल करते समय इसके बीजों को निकालकर फेंक देते हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कटहल के पल्प की तरह कटहल के बीज भी बहुत अधिक फायदेमंद होते हैं। कटहल फ्रक्टोज और सूक्रोज जैसी सरल शर्करा का स्रोत होता है जो शरीर को तुरंत एनर्जी देता है। कटहल में कोलेस्ट्राल नहीं पाया जाता है जिसकी वजह से यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है।
कटहल में आहार वसा उच्च मात्रा में होती है जो बड़ी आंत से हानिकारक पदार्थों को साफ करता है। कटहल में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो कैंसर, बढ़ती उम्र के लक्षणों से बचाता है।
यौन संबंधी बीमारियों के दूर करने के लिए कटहल का उपयोग हमेशा से किया जात रहा है। वास्तव में कटहल को कामोत्तेजक माना जाता है जो यौन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसका कारण यह है कि कटहल में भरपूर आयरन मौजूद होता है जो यौन क्षमता को बढ़ाने के साथ ही उत्तेजित करने में भी मदद करता है। इसलिए कटहल के बीज का इस्तेमाल यौन क्षमता सुधारने और जनन शक्ति बढ़ाने में किया जाता है।

   कटहल में विटामिन-सी सर्दी और संक्रमण से शरीर को बचाता है। कटहल के बीज में अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। यह अलग-अलग तरह के डिशेज बनाने में प्रयोग किया जाता है।
    कटहल में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है जिसकी वजह से पेट गड़बड़ हो सकता है वहीं    गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए कटहल का उपयोग करना अच्छा नहीं माना जाता है। कटहल का अधिक सेवन मधुमेह रोगियों में रक्त शूगर के स्तर को प्रभावित कर देता है। इसलिए डायबिटीज से पीडि़त व्यक्तियों को कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए।  शल्य चिकित्सा से पहले और बाद में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं को कटहल प्रभावित करता है। इसलिए सर्जरी कराने से कम से कम दो हफ्ते पहले से ही कटहल का सेवन

बंद कर देना चाहिए।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना, महेंद्रगढ़,हरियाणा**




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