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Sunday, February 2, 2020

लौकी
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घिया/कद्दू
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लेजिनेरिया
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कद्दू/लौकी/घिया /बोतल गार्ड/ व्हाइट फ्लावर गार्ड
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लोंग मेलन/ न्यू गिनी बिन/ तस्मानिया बिन
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घिया भारत में उत्पन्न होने वाली सब्जी की प्रमुख बेल है। इसका वानस्पतिक नाम लेलेजिनेरिया सिसेरेरिया है। इसे कद्दू/लौकी/घिया /बोतल गार्ड/ व्हाइट फ्लावर गार्ड/लोंग मेलन/ न्यू गिनी बिन/ तस्मानिया बिन आदि नामों से भी जाना जाता है। इसकी उत्पत्ति भारत में मानी जाती है जो पूरे संसार के विभिन्न देशों में पहुंचा। इसके दो प्रमुख प्रकार है लंबी बेलनाकर लोकी तथा गोल लौकी।
 यह सब्जी के रूप में खाई जाती है और उगाई जाती है। इसे सुखाकर इसे बर्तन के रूप में भी काम में लेते हैं। इसके अनेक प्रकार होते हैं। कोई गोल, कोई छोटी, कोई लंबी, बोतल के आकार की पतली आदि प्रमुख हैं। यह एक मीटर तक लंबी तक ही बढ़ जाती है। इसे कैलाबेसिस नाम से भी जाना जाता है। इसकी एक लंबी बेल पाई जाती है जिस पर नर और मादा फूल अलग-अलग होते हैं या फिर दोनों फूल एक ही टहनी पर भी मिल सकते हैं और अलग-अलग टहनियों पर भी मिल सकते हैं।
 एक बेल पर भारी संख्या में फल लगते हैं। भारत में इसकी खेती की जाती है और बाजारों में बेचकर लाभ कमाया जाता है। लौकी प्राय ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत प्रसिद्ध होती है।
 लौकी से अनेकों प्रकार के पदार्थ बनाए जाते लौकी पर सफेद रंग के फूल आते हैं। प्रतान भी पाई जाती है तथा पत्ते चौड़े होते हैं, जो गहरे हरे रंग के होते हैं। जहां सब्जी बनाई जाती है वहीं अनेक रूप में प्रयोग किया जाता है जिनमें लौकी का हलवा, चटनी, चीला, पराठे, लौकी की खीर, लौकी का कोफ्ता, कटलेट्स, लौकी का भुरता, लौकी की बर्फी, लौकी की दाल फ्राई और अनेकों प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। जहां खाने से कुछ लोग बचना चाहते किंतु यह बहुत पौष्टिक होती है।
  लौकी में जहां 96 प्रतिशत तक पानी पाया जाता है वही विटामिन एवं खनिज लवण भी मिलते हैं। लौकी को थोड़ी सी जगह पर भी पैदा की जा सकती है। घर की बगिया हो तो वहां पर भी लोकी खूब पैदा की जा सकती है। लौकी को खाया जाता है लौकी के अनेक प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। लौकी के जूस बहुत प्रसिद्ध हो रहा है। 

लौकी कई रूपों में खाई जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो सब्जी के रूप में विख्यात है। लौकी को रायता, कोफ्ता, परांठे आदि के रूप में तो प्रयोग करते ही है वहीं सब्जी बनाते हैं। इसका का जूस जमकर पीते है। लौकी की एक बेल पर सैकड़ों फल लग सकते हैं। ऐसे में एक-एक लौकी घर में उगाकर गरीब परिवार भी अपने घर में सब्जी पर्याप्त मात्रा में गर्मियों में ले रहे हैं । लौकी को विभिन्न रूपों में प्रयोग करने के अतिरिक्त इसके पत्ते भी कुछ क्षेत्रों में सब्जी बनाकर खाए जाते हैं। लौकी जिसको आम भाषा में घिया नाम दिया गया है। इसको कच्चा एवं पक्का दोनों रूपों में लोग बखूबी से खाते हैं। वैसे भी इसकी सब्जी नुकसानदायक नहीं होती है। इसे बहुत से नामों से जाना जाता है।
लौकी बेशक खाने से लोग परहेज करते हो किंतु यह गंभीर बीमारियों को दूर करने में भी काम आती है। लौकी खाने से वजन कम हो जाता है, लौकी तेजी से वजन को कम करती है। चाहे लौकी का जूस नियमित रूप से पिये या इसे उबालकर नमक डालकर भी प्रयोग किया जा सकता है। प्राकृतिक चमक के लिए भी लौकी प्रयोग की जाती है। चेहरे की रंगत सुधरती है। इसका जूस सेवन करते हैं तो उसे कुछ हथेली पर लेकर चेहरे पर मसाज करनी चाहिए। यहां तक कि लौकी को काटकर टुकड़े चेहरे पर मसाज करने से चेहरे पर चमक आती है।
 मधुमेह रोगियों के लिए लौकी बहुत लाभप्रद है। प्रतिदिन सुबह खाली पेट लौकी का जूस पीने से फायदा होता है। पाचन क्रिया मेंभी लौकी बहुत लाभप्रद है लौकी का जूस बेहतरीन पदार्थ है। लौकी का जूस काफी हल्का होता है। इसमें अनेकों तत्व होते हैं, कब्ज और गैस की समस्या से राहत देते हैं। इसमें पोषक तत्वों की कोई कमी नहीं होती। प्रोटीन, विटामिन-ए, विटामिन-सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम आदि पाए जाते हैं। ये शरीर की कमियों को पूरा करते हैं। लौकी खाने से हृदय रोगियों को लाभ मिलता है क्योंकि यह हानिकारक कालस्ट्राल को कम कर देती है इसलिए लौकी सेहत के लिए खजाना है।
लौकी कॉलस्ट्राल को कम करती है। नियमित रूप से लौकी खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घट जाती है। लौकी को हरी सब्जियों में गिना जाता है क्योंकि इसे खाने से भारीपन नहीं रहता। ऐसे में ताजगी लाने में लौकी का अहम योगदान है।
 लोगी पाचन क्रिया को मजबूत करती है। एसिडिटी को समाप्त करती है। यदि मूत्र संबंधित बीमारी हैं तो लोग की लाभप्रद है क्योंकि इसमें सोडियम पाया जाता है। लौकी में भरपूर मात्रा में रेशे पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं लेकिन लौकी का जूस किसी अन्य सब्जी के साथ मिलाकर नहीं पीना चाहिए। यदि लौकी कड़वी है तो उसका जूस भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
लौकी खाने लौकी को बोतल गार्ड नाम से जाना जाता है। भारत की प्रमुख सब्जी है। लौकी को कद्दू नाम से भी जाना जाता है। लौकी में जहां सोडियम पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट, रुक्षांस, लोहा कैल्शियम मैग्नीशियम विटामिन सी आदि पाए जाते हैं। लौकी में सोडियम पोटैशियम साथ कई अन्य तत्व पाए जाते हैं इसलिए यह रक्तचाप को नियंत्रित रखती है। बवासीर में भी लौकी  लाभप्रद है। वही कब्ज पेट फूलने में भी लाभप्रद है। दिमाग की टेंशन को दूर करती है। लौकी खाने से पेशाब में जलन की समस्या कम हो जाती है। लौकी सामान्य सब्जी होते हुए भी बहुत लाभप्रद है। यह शरीर में शीतलता प्रदान करती है। इसे आमतौर पर गांव में अधिक प्रयोग करते हैं। यदि अनिद्रा से परेशान है नींद नहीं आती तो लौकी का जूस पीना चाहिए। लौकी कई रूपों में प्रयोग की जा सकती है। लौकी के नुकसान बहुत कम है किंतु लाभ अधिक हैं।

पाया गया है की टाइफाइड में भी लौकी को काटकर पैरों में रगडऩे से राहत मिलती है। गर्भावस्था में भी लौकी लाभप्रद बताई गई है इसलिए लौकी का सेवन करना चाहिए। यदि लाक्की पसंद ना हो तो भी इसे खाना चाहिए। 














**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़, हरियाणा***

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