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Monday, March 9, 2020

जुनेलो
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पर्ल मिलेट
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बाजरी/बाजरा
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पेनिसेटम ग्लूकम
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कंबु
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मोती बाजरा
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 सबसे अधिक उगाया जाने वाला अन्न बाजरा है। यह चारे,अन्न, पशु आहार, मुर्गी फार्म आदि के लिए वरदान है। भारत और अफ्रीका में पुराने समय से उगाया जाता रहा है। कम पानी में भी बेहतर पैदावार दे सकता है। भारत पूरे विव में बाजरा उत्पादन में एक नंबर पर है वहीं भारत के राजस्थान में बाजरा पैदा करने एवं खाने में एक नंबर पर है।
हजारों वर्षों से बाजरा उगाया जाता रहा है। भारत एवं अफ्रीका में हजारों वर्षों पूर्व खेती की जाती थी। इसे पर्ल बाजरा कहा जाता है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन का एक प्रमुख स्रोत है। सूखे और बाढ़ जैसी विषम परिस्थितियों में भी बेहतर ढंग से बढ़ सकता है।
बाजरा बीज की लंबाई 3 से 4 मिमी के बीच होती है। यह सफेद, पीले, भूरे, भूरे, स्लेट नीले या बैंगनी रंग का हो सकता है। बाजरे का पौधा तीन से चार मीटर तक बढ़ सकता है।

पर्ल बाजरा अच्छी तरह से सूखे, कम मिट्टी की उर्वरता और उच्च तापमान की विशेषता वाले क्षेत्रों के लिए अनुकूल है। यह उच्च लवणता या कम पीएच के साथ मिट्टी में अच्छा प्रदर्शन करता है। कठिन परिस्थितियों में इसकी सहनशीलता के कारण इसे उन क्षेत्रों में उगाया जा सकता है जहाँ अन्य अनाज की फसलें जैसे कि मक्का या गेहूँ, आदि बच नहीं पाएंगी। बाजरा एक खरीफ की फसल है जो अल्पावधि में ही पक जाती है।
  बाजरे का पौधा गन्ने एवं झुंडे से मिलता जुलता होता है। एकबीजपत्री पौधा होता है जिसके समानांतर शिरा विन्यास पाए जाते हैं। पौधे के पत्ते गहरे हरे तथा लंबे होते हैं। इसकी जड़ झकड़ा प्रकार की होती है जो एक झुंडी के रूप में पाई जाती हैं। इसके तने में मीठा रस पाया जाता है जिसे लोग गन्ने की भांति चूसते हैं। इसका रस कई गुणों से भरपूर होता है। लोहहीनता एनिमिया को कम कर देता है। इसके शीर्ष पर एक फुट तक भुट्टा पाया जाता है। भुट्टा के बड़ा डंठल होता है।
   भारत के राजस्थान में बाजरे की फसल एक अच्छी फसल होती है, सूखे की स्थिति में भी, उच्च तापमान और कम मिट्टी की उर्वरता के कारण, शायद यही कारण है कि यह राजस्थानी भोजन का एक अभिन्न अंग बन गया है।  राजस्थान में सबसे ज्यादा बाजरा पैदा होता है, और भारत इस अनाज का नंबर एक उत्पादक है। तकनीकी रूप से, बाजरे का एक दाना नहीं है - यह छोटे बीज वाली घास के एक परिवार का है जिसे सामूहिक रूप से मटके कहा जाता है। बाजरे के 100 ग्राम से 361 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है वहीं इसमें कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन,वसा,खनिज,फाइबर, कैल्शियम,फास्फोरस, लोहा आदि पाए जाते हैं।
    लोग इसे हरा चारा, अनाज, पशुचारा तथा विभिन्न कार्यों के लिए उगा रहे हैं। अब तो बाजरे से बिस्कुट एवं अन्य पौष्टिक पदार्थ निर्मित किए जाने लगे हैं। भारत के हरियाणा प्रांत में तो बाजरा मिड डे मील के रूप में दोपहर भोजन में भी शामिल किया गया है ताकि स्कूली विद्यार्थी इसका उपभोग कर सके।
बाजरा का उपयोग आमतौर पर उबालकर खाया जाता है तथा विभिन्न उत्सवोंं पर उबालकर बांटा जाता है। इससे ब्रेड भी बनाई जाने लगी है। यह एक तमिल दलिया बनाने के लिए भी काम आता है।
राजस्थानी व्यंजनों में बाजरे की खट्टी रबड़ी एक पारंपरिक राजस्थानी व्यंजन है जो मोती बाजरे के आटे और दही के साथ बनाया जाता है। यह आमतौर पर गर्मियों में भोजन के साथ परोसा जाता है। राजस्थान में तो इसे कई रूपों में प्रयोग किया जाता है। इसमें लोहा अधिक मिलता है। एसे में यह महत्वपूर्ण अन्न है किंतु इसके आटे में ग्लूटन नहीं होने से बाजरे की रोटी तैयार कर पाना थोड़ा मुश्किल है।
    कभी बाजरे की पैदावार कम होती थी किंतु अब उच्च उत्पादक किस्मों के आने से किसानों के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। सूक्ष्म पोषक कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए भी इसको प्रयोग में लाया जा रहा है।
बाजरा वजन घटाने में कारगर है क्योंकि थोड़ा खाने के बाद भी भूख नहीं लगने देता।यह पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखता है। बाजरे में प्रोटीन की मात्रा ग्लूटेन रहित होती है। बाजरा अघुलनशील फाइबर का एक समृद्ध स्रोत है जो हमारे पेट की काम करता है जो हमारे पाचन स्वास्थ्य में मदद करता है। 
































मधुमेह को प्रबंधित करने में मदद करता है मधुमेह नियंत्रण और रोकथाम दोनों हमारे दैनिक आहार में फाइबर के सेवन से प्रभावित होते हैं। बाजरे का मधुमेह पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि इसकी फाइबर सामग्री और धीरे-धीरे पचने वाले स्टार्च की उपस्थिति होती है जो ग्लूकोज में परिवर्तित होने में अधिक समय लेती है। यह मधुमेह के प्रबंधन और मधुमेह रोगियों के लिए एक निरंतर ऊर्जा जारी करने में मदद करता है। इसके अलावा, बाजरा मैग्नीशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो मधुमेह के कम जोखिम से जुड़ा हुआ है।
चूंकि बाजरे में मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत होता है, हृदय रोगियों के लिए यह अच्छा है कि वे अपने आहार में बाजरे को शामिल करें। मैग्नीशियम बीपी और मधुमेह जैसे हृदय रोगों के जोखिम कारकों को रोकने में सक्षम है।  बाजरा स्ट्रोक से भी बचाता है। बाजरे में मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय रोगियों के लिए अच्छा है।
बाजरा में भरपूर मात्रा में फाइटोकेमिकल्स मौजूद होते हैं। ये पदार्थ टयूमर तथा कैंसर रोग से बचाते हैं। ये शरीर में एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में भी मदद करते हैं।
 बाजरे में ओमेगा -3 वसा पाई जाती है जो बीपी को कम करने, धमनियों में पट्टिका के विकास को धीमा करने, नियमित रूप से दिल की धड़कन बनाए रखने में मददगार हैं। बाजरा में आयरन और फास्फोरस जाता है लोहा संज्ञानात्मक सोच, स्मृति और ऊर्जा के लिए भी एक बहुत महत्वपूर्ण पोषक तत्व है।  इसे पारंपरिक रूप से रोटी, खिचड़ी या दलिया के रूप में उपयोग करते हैं।
  

बाजरे से ऊर्जा मिलती है।  दिल से जुड़ी बीमारियों नहीं होती। पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है वहीं मधुमेह के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके नियमित सेवन से डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है।
बाजरा ग्रामीण क्षेत्रों में उत्तम आहार बन गया है यद्यपि बाजरे में ग्लूटन नहीं होता फिर भी यह लाभकारी चीज है। इसमें मैग्नीशियम पाया जाता है इसलिए दिल के लिए सुरक्षित है।
आहारी रेशे पाए जाते इसलिए यह कैंसर के इलाज में भी कारगर है। बाजरा कैंसर जैसे घातक रोग फैलाने वाले कारको को से भी शरीर को बचाता है। बाजरा अस्थमा पीडि़त लोगों को बचाता है। यह तनाव कम करता है तथा नींद अधिक लाता है। यह त्वचा के लिए भी बहुत लाभप्रद है क्योंकि इसमें सेलिनियम, विटामिन सी, विटामिन-ई पाए जाते हैं। बाजरा बालों के लिए भी उत्तम है क्योंकि इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन भी पाया जाता है।
 बाजरा खाने से जहां लाभ है वहीं कुछ लोगों के लिए हानि कर सकता है। यह आयोडीन अवशोषण को रोकता है इसलिए घेंघा और थायराइड की समस्या बढ़ सकती है।बाजरा घी और दही मक्खन आदि के साथ खाने में अलग ही स्वाद होता है। जहां इसकी स्वादिष्ट ढोकला, 
चूरमा,रोटी बनाई जा सकती हैं। इसमें लोहा बहुत अधिक पाया जाता है बाजरे की रोटी में सब्जी मिलाकर तेल या घी जला जा सकता है। बाजरे का पूड़ा दही के साथ उपयोग किया जा सकता है। बाजरा खाने से शरीर में लौह तत्व की पूर्ति होती है जिसे गेहूं के आटे में मिलाकर विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जा सकते हैं। बाजरे की लपसी बनाकर खाई जा सकती है वहीं पिज्जा में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। बाजरे के पराठे भी बनाए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त बाजरे को कई अन्य रूपों में भी प्रयोग किया जा सकता है। बाजरे की रोटी पनीर के संग, आलू की सब्जी और रोटी बनाकर खाई जा सकती है। ऐसे में बाजरा एक महत्वपूर्ण अन्न है जो पोएसी कुल का पौधा है जिसे अक्सर घास कुल से जोड़ा जाता है।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

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