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Wednesday, March 25, 2020













भांग
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कैनबिस
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 कैनाबिस सैटाइवा /  कैनाबिस इण्डिका
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मारिजुआना/गांजा
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भांग का पौधा नाम लेते ही दिलों दिमाग में एक तस्वीर उभरकर आती है जिसे नशे के रूप में प्रयोग करते हैं। भांग का पौधा कभी देखने को नहीं मिलता था किंतु अब ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर उग रहा है। यह एक खरपतवार का रूप ले रहा है जो आने वाले समय में एक समस्या बनकर उभर सकता है। 

 अब तो भारत के हरियाणा प्रांत के महेंद्रगढ़ जैसे रेतीले क्षेत्र में नहर के किनारे, पुराने खेतों में तथा जहां भी कहीं सड़क किनारे जगह मिलती बस भंग खड़ी मिलती हे। वास्तव में यह जंगली भांग है। इसका भी लोग दुरुपयोग कर रहे हैं और इसे नशे के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। यह अति दुखद पहलु है। 
    भांग/गांजा/कैनाबिस भांग के पौधे से तैयार किये जाते हैं जिसे एक औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। इसे मारिजुआनानाम से भी पुकारा जाता है। भांग अक्सर अपने मानसिक और शारीरिक प्रभाव के लिए लिया उपयोग करते हैं। इसके प्रयोग करने से कई समस्याएं देखने को मिल सकती हें जिनमें प्रमुख रूप से याददास्त में कमी होना, मुंह का सूखना, लाल आंखें आदि प्रमुख हैं। इसे धुआं के रूप में प्रयोग करते हैं वहीं इसे खाते भी हैं। चिलम, हुक्का,बीड़ी, सिगरेट, सिगार आदि में डालकर धुआं के रूप में प्रयोग करते हैं। कई घंटों तक नशे की हालात बनी रह सकती है।
   यह दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। जब आराम करना हो या फिर दुर्घटना में पीड़ा हो रही हो तो उसे दिया जाता है ताकि उसे आराम मिल सके।
भांग दुनिया के सबसे ज़्यादा उपयोग किया गया अवैध ड्रग है। यह कीमोथेरेपी के वक्त मतली और उल्टी कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एचआईवी या एड्स के रोगियों दिया जाता है।
कुछ लोग भांग को शिवभोले से जोड़कर देखते हैं। नित्य नए गाने एवं संगीत शिवभोले पर बनाए जाते हैं जिनमें अक्सर भांग का जिक्रा किया जाता है। भारत के लोग वैसे तो श्रद्धा भक्ति से भरे रहते हें किंतु अपने ही देवी देवताओं पर लांछल लगा देते हैं। कहीं भी यह वर्णन नहीं मिलता कि शिवभोले भांग पीते थे। अगर थोड़ी देर के लिए वे भांग पीते थे तो उनसे बुरा कोई नहीं हो सकता। इसका अर्थ होगा कि हम बुराई का साथ दे रहे हैं। परंतु पूरे विश्व में सबसे अधिक पूजा जाने वाला देव शिव कभी नशा नहीं करता था। हां वे ध्यान एवं तप करते थे जो लबी अवधि के होते थे।  इसकी आड़ में शिवभोले का बहाना कर न जाने कितने लोग कांवड़ लाते वक्त या साधु संत कहलाने वाले लोग भांग पीते हैं। कुछ जगह तो भांग को घोटकर पिलाया जाता है। दुर्भाग्य है कि युवा वर्ग भी इसके नशे का आदि हो गया है।
इससे भांग चाय भी बनाते हैं। मादा भांग के पौधे के फूल, आसपास की पत्तियों एवं तने को सुखाकर बनाया गया पदार्थ गांजा कहलाता है
गांजा एक ड्रग है जो गांजे के पौधे से कई विधियों से बनाया जाता है। मादा भांग के पौधे के फूल, आसपास की पत्तियों एवं तनों को सुखाकर बनने वाला गांजा सबसे सामान्य है जिसके सेवन करने पर व्यक्ती की उत्तेजना बढ़ जाती है। ये पदर्थ कैंसर का कारण बन जाते हैं। गांजा पीने वाले लोगों के चेहरे पर काले दाग पड़ जाते है। जहां आत्मविश्वास बढाने के लिए गांजा का सेवन करते है। दुनिया का सबसे बेहतरीन गांजा हिमाचल में में पाया जाता है।
  गांजा बहुत हरा तीखी गंध वाला शाक होता है। इसकी पत्तियां कई भागों में बटी होती है। नर पुष्प मंजरियाँ लंबी, नीचे लटकी हुई और रानी मंजरियां छोटी होती हैं। फल गोलाकार होते हैं। पौधे से गाजा, चरस और भाग काम आते हैं। तरल तथा फल, बीज का तेल और रेशानुमा पदार्थ उपयोगी होते हैं।
नारी पौधों से जो रालदार पदार्थ निकलता है उसी को इकट्ठा किया जाता है। इसे ही चरस कहते हैं।  वायु के संपर्क में रखने से इसका नशा कम होती जाती है। चरस के खेतों से नर पौधों को छांट कर निकाल दिया जाता है। चरस गांजे के पेड़ से निकला हुआ गोंदनुमा पदार्थ होता है। इसे लोग तंबाकू की तरह पीते हैं। गांजा एवं चरस नशे में एक जैसे होते हैं। 
गांजे के पेड़ जितना दूर दूर होंगे चरस अधिक प्राप्त होगा।  चरस में गांजे और भांग की अपेक्षा बहुत अधिक हानिकारक होता है। 
कैनाबिस के जंगली अथवा कृषिजात, नर अथवा नारी, सभी प्रकार के पौधों की पत्तियों से भाँग प्राय तैयार की जाती है। जंगली पौधों से, हल्के दर्जे की भांग तैयार की जाती है।
गांजा और चरस का तंबाकू के साथ धूम्रपान के रूप में और भांग घोटकर पीते हैं। ये पदार्थ निद्राकर, कामोत्तेजक, वेदनानाशक होते हैं जिनका उपयोग पाचनविकृति, अतिसार, प्रवाहिका, काली खांसी, अनिद्रा और आक्षेप में इनका उपयोग होता है। बाजीकर, शुक्रस्तंभ में भांग का उपयोग होता है। इसके निरंतर सेवन से क्षुधानाश, अनिद्रा, कमजोर और कामावसाद भी हो जाता है।
 
भांग, चरस या गांजे  की लत शरीर के लिए नुकसानदायक होती है। यदि गांजे की सही खुराक ली जाये तो वह सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है। यह कई तरह की बीमारियों से बचाता है।
शुगर से ग्रस्त ज्यादातर लोगों के हाथ या पैरों को नुकसान होता हैं और इससे बदन के कुछ हिस्से में जलन का अनुभव होता है।यह उनके दर्द के कम करता है। गांजा स्ट्रोक की स्थिति में ब्रेन को नुकसान से बचाता है।
 गांजे से थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और डिप्रेशन जैसे बुरे प्रभाव हैं।
गांजा का उपयोग आंखों के रोग मोतियाबिंद को रोकने और इसके इलाज के लिए किया जाता है।
गांजा कैंसर से लडऩे में सक्षम होता है। अमेरिका में हुए एक शोध के अनुसार गांजा में पाया जाने वाला कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।

मारियुआना यानी गांजा एक पेड़ की सूखी पत्तियों का चूर्ण है जो मिट्टी की चिलम या कागज के रोल में भर कर सिगरेट की तरह पिया जाता है. ये एक हर्बल नशा है।
सामान्य भाषा में जिसे भांग का पौधा कहते हैं उसकी पत्तियों को पीस कर भांग बनती है। इसे दूध या ठंडाई के साथ लिया जाता है।

गांजा अलग तरह का नशा है. इसे धुंए के तौर पर लिया जाता है जिसके चलते ये फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। गांजा भारत के कई हिस्सों में जंगली खरपतवार की तरह उगा मिलता है। बिने चुने पशु भी इसके पौधे को खा जाते हैं। यह पौधा वातावरण में भी प्रदूषण करता है वहीं समाज में भी समस्या है। यह पशु उपचार में  भी काम आता है।


                     भांग
               (कैनाबिस इंडिका)
भांग नाम का अजीब पौधा
यहां वहां खड़ा  देखा  जाए
विभिन्न दवाओं का आधार
हशीश बनाने के काम आए,
                       लेमार्क वैज्ञानिक बताया इसे
                        भारत में भी यह उगाया जाए
                       धर्म-आस्था से जोड़ते हैं जन
                      कष्ट दूर करके उसको हंसाए,
वैदिक काल से ही साधु जन
रोजाना प्रयोग करते आ रहे हैं
होली के दिन भांग का नशा
टोली बनाकर जन खा रहे हैं,
                        पत्ते एवं फूल ही काम आते हैं
                        तंतु, तेल बनाने के काम आए
                         इसके भागों से ही दवा बनती
                         एड्स रोग भगाने के काम आए,
कैनाबिनोइड पदार्थ निकालाते
दीये, लेकर, पेंट बनाए जाते हैं
धूम्रपान व चाय बनाकर पीते
दवाएं और औषधियां बनाते हैं,
                            होली पर्व पर खाते सभी भांग
                            शिव भोले से जोड़ते हैं भांग
                             हेम्प आयल इससे ही बनता
                             नशेड़ी इसको लेते इसे टांग ,
कितने ही रोगों में काम आए



कितने जनों की जान बचाए
खेतों में खड़ा मिलता भयंकर
खाने पर रोए तो कभी हंसाए।
                          ***होशियार सिंह, लेखक, कनीना***


 
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**








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