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Tuesday, March 10, 2020

शुगरकेन
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गन्ना
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इक्षु
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गन्ना/ईख
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शुगरकेन/दीर्घपर्वन/मधुरस
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सैकरम ओफिसिनेरम
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जीवन में मिठास घोलने वाली पूरे विश्व की एक प्रमुख नकदी फसल कहलाती है। घास कुल का यह पौधा एकबीजपत्री पौधा होता है जिसकी रेशेदार या कड़ा जड़े पाई जाती हैं। शराब,गुड़,चीनी एवं विभिन्न उत्पादों में काम आता है। इसका भाई झुंडा या पान्नी है।
 गन्ना, ईख, इक्षु,शुगरकेन बारहमासी
घास होती है जिसकी अनेकों प्रजातियां पाई जाती हैं। इसका वैज्ञानिक नाम सैकरम ओफिसिनेरम होता है। इसके पत्ते लंबे तथा समानांतर शिराविन्यास वाले होते हैं। इसके पत्ते ब्लड का काम करते हैं और शरीर के किसी भी अंग को चीर सकते हैं।
  गन्ने का उपयोग चीनी उत्पादन के लिए किया जाता है। पौधा 3-4 मीटर लंबा होता है। रेशेदार डंठल होते हैं जो सुक्रोज से भरे होते हैं। इनको नोड तथा इंटरनोड नाम से जानी जाती हैं। आम भाषा में इसे पोरी कहते हैं। दो पोरियों के बीच एक कली पाई जाती है जो गन्ने के कायिक वर्धन में सहायता करती हैं। इस पौधे में बीज नहीं बनते हैं।
 गन्ना एक आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण नकदी फसल है जिसके परिवार में मक्का, गेहूं, चावल, और कई चारा फसलों में शामिल है। घास परिवार कैा यह पौधा जीवन में मिठास लाता है। इसे पानी अधिक चाहिए।  विश्व में सबसे अधिक मात्रा में उगाया जाने वाली फसल गन्ना है जिसका उत्पादन विव में पहले स्थान पर ब्राजील है तत्पश्चात भारत का स्थान आता है। गन्ने की खेती एवं चीनी उत्पादन बहुत अधिक लोगों को रोजगार देती है। यह 90 से अधिक देशों में उगाया जाता है तथा विश्व की लगभग 70 फीसदी चीनी गन्ने से आती है। चीनी चुकंदर से भी बनाई जाती है।
गन्ने में कार्बोहाइड्रेट, चीनी,प्रोटीन, खनिज लवण, कैल्शियम, पोटैशियम , लोहा,सोडियम एवं विटामिन पाए जाते हैं। गन्ने को रस के रूप में पीते हैं वहीं गन्ने से गुड़,शक्कर आदि बनाए जाते हैं। गन्ने को चारे के रूप में पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  चीनी मिलों में गन्ने से निकाला जाता है। इथेनाल का उत्पादन करने के लिए किण्वन क्रिया से गुजारा जाता है। गन्ने से चीनी के अतिरिक्त, गुड़, रम, बगास आदि तैयार किए जाते हैं। गन्ने के छिलके का उपयोग झोपड़ी, मैट, शराब बनाने के काम में ले सकते हैं। गन्ने का फूल कुछ लोग खाने के काम में लेते हैं।
कभी चीनी को एक शानदार और महंगा मसाला माना जाता था।
गन्ना एक उष्णकटिबंधीय फसल है। गन्ने कातना जिसे पोरी कहते हैं चीनी बनाने के काम आता है। जो परिपक्व होने पर पूरे पौधे का लगभग 75त्न बनता है। गन्ने के लिए न्यूनतम 24 इंच वार्षिक नमी होती है। यह पौधे के साम्राज्य में सबसे कुशल प्रकाश संश्लेषण में से एक है। गन्ने की पैदावार लेने के लिए  छह से सात महीने से अधिक समय तक पानी की भरपूर आपूर्ति की जाती है।
कुछ गन्ने की किस्में वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक करने में सक्षम हैं। ये सूक्ष्मजीव गन्ने के तने के बीच के रिक्त स्थान के भीतर रहता है। गन्ने से कच्ची चीनी निकाली जाती हैं। और चीनी-निष्कर्षण मिलों में पहले चरण के तुरंत बाद कभी-कभी चीनी का उत्पादन किया जाता है, जिसका उपयोग स्थानीय खपत के लिए किया जाता है। तत्पश्चात इसे सफेद क्रिसटल में बदलकर चीनी प्राप्त की जाती है।
गन्ने का रस निकाले जाने के बाद गन्ने के छिलके को कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। यह बायलर और भट्टों के लिए ईंधन के रूप में काम आता है। कागज, पेपरबोर्ड उत्पादों और कई अन्य कार्यों में प्रयोग करते हैं। सबसे बड़ा और सबसे पुराना गन्ना प्रसंस्करण संयंत्र ब्राजील में है। सूखे छन्ने का उपयोग पशु आहार पूरक, उर्वरक और गन्ने के मोम के स्रोत के रूप में किया जाता है।
   गुड़ दो रूपों में निर्मित  एवं काम आता है। ब्लैकस्ट्रैप एक शुद्ध गुड़ सिरप होता है। ब्लैकस्ट्रैप गुड़ को भोजन और आहार पूरक के रूप में बेचा जाता है।जो पशु आहार काम आता है वहीं इथेनाल साइट्रिक एसिड और रम का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। शुद्ध गुड़ की चाशनी को गुड़ के रूप में बेचा जाता है।
चीनी को परिष्कृत करने से कच्ची चीनी को शुद्ध किया जाता है। इसे पहले भारी सिरप के साथ मिलाया जाता है । जटिल प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद चीनी बनाई जाती है।  चीनी बनाते वक्त बहुत सी प्रदूषित गैसें नाइट्रोजन आक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर आक्साइड शामिल हैं। इथेनाल आम तौर पर चीनी उत्पादन के उपोत्पाद के रूप में उपलब्ध है। यह गैसोलीन के लिए एक जैव ईंधन विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। गैसोलीन कारों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
  गन्ने के बगास को जलाकर बिजली उत्पादन में काम में लेते हैं। बगास से जैव ईंधन और बायोगैस बनाई जाती है। कच्चा गन्ना रस निकालने के लिए काम आता है। गन्ने की एक प्रकार के पौधे के तने से सूप बनाया जाता है। गन्ने के ताजे रस एक लोकप्रिय पेय बनाने के लिए नींबू और बर्फ के साथ मिलाकर पीने के काम आता है।
 गन्ने से गुड़ बनता है जिसका उपयोग मिठाइयों और मिठाइयों को पकाने में गजक, मुरमुरे के निर्माण में काम आता है। गन्ने के रस के आसवन से शराब बनाई जाती है। गन्ने के रस से बस्सी,राक कैंडी बनाने के काम आता है।
गन्ने के कई हिस्सों को आमतौर पर जानवरों के भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है। यह एक अच्छा चारा हैं। गन्ने का रस गर्मी को दूर करने में अहम भूमिका निभाता है। 
 गन्ने का रस गर्मियों में बहुत लाभप्रद होता है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है जो  कब्ज में लाभकारी है। गन्ने में कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन कैल्शियम फास्फोरस, लोहा, जस्ता, पोटेशियम, विटामिन ए विटामिन बी कंपलेक्स पाया जाता है इसलिए शरीर के लिए लाभकारी है।
 गन्ने में पोटैशियम होने के कारण उच्च रक्तचाप को कम करता है, कील मुंहासे जैसी त्वचा की बीमारियों को दूर करता है। गन्ने के रस से चेहरे की झुर्रियां खत्म की जा सकती है, गुर्दे की पथरी में लाभकारी है वही गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी है।
   सांस में बदबू आए तो गन्ने का रस पीना चाहिए क्योंकि गन्ने के रस में कैल्शियम पाया जाता है इसलिए हड्डी एवं दांतों को मजबूत करता है। बुखार में भी लाभकारी है वहीं लीवर को खराब होने से बचाता है। पेट के विकारों को दूर करता है वहीं कैंसर को रोकने में भी इसका योगदान हो सकता है। मांसपेशियों में शक्ति बढ़ाता है वहीं एसिडिटी को शांत करने, प्रतिरक्षा पढ़ाने में लाभप्रद है।
  गन्ने के रस को लंबे समय बाद या मक्खियों द्वारा दूषित होने पर न पीना चाहिए वरना यह दस्त का कारण बन सकता है। 
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**












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