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Friday, March 20, 2020



फूलों का राजा
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गुलाब
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रोजा हाइब्रिड
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फूलों की रानी
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फूलों का राजा
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गुलाब एक बहुवर्षीय पौधा है। यह झाड़ीदार, एवं सुंदर एवं सुगंधित फूलों के लिए जाना जाता है। इसकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। ैइनका मूल एशिया, अमेरिका तथा अफ्रीका माना जाता है। इसका फूल कोमलता और सुंदरता के लिये प्रसिद्ध है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू हमेशा अपने कोट पर गुलाब का फूल लगाए रहते थे। कई बार छोटे बच्चों की उपमा गुलाब के फूल से देते हैं।
कश्मीर और भूटान में पीले फूल के जंगली गुलाब मिलते हैं वहीं भात में इसे व्यवसाय के लिए लगाया जाता है। गुलाब की टहनी द्वारा वर्धन किया जाता है वहीं इसकी विभिन्न प्रजातियों से हाइब्रिड गुलाब भी बनाए जाते हैं। गुलाब पंखुडिय़ों के आधार पर जाना जाता है। अधिक पंखुडिय़ों वाला गुलाब गुथ हुआ होता है तथा अधिक बेहतर माना जाता है। इसकी कलम भी लगाई जाती है।
 यूं तो फूल गुलाबी रंग के होते हैं किंतु गुलाब के फूल कई रंगों के होते हैं लाल, हरे,काले, पीले, सफेद इत्यादि प्रमुख हैं। सफेद फूल के गुलाब को सेवती कहते हैं। इसकी बेल भी पाई जाती है। गुलाब सदागुलाब और चैती गुलाब नामक प्रसिद्ध हैं। सदागुलाब हर ऋतु में फूलता और चैती गुलाब केवल बसंत ऋतु में फूलता है जिसमें अधिक एवं विशेष सुगंध होती है जो इत्र आदि बनाने के काम आता है।
गुलाब का इत्र बनाने में काम में लेते हैं। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि पहली बार गुलाब का इत्र नूरजहां के विवाह के अवसर पर निकाला गया था। था। विभिन्न राजाओं के समय गुलाब के फूल लगाए जाते थे जिनका विभिन्न कामों में उपयोग लेते थे।

 शिव पुराण में गुलाब को देव पुष्प कहा गया है। ये रंग बिरंगे नाम गुलाब के वैविध्य गुणों के कारण इंगित करते हैं।
कितने ही कवियों एवं लेखकों ने गुलाब का वर्णन किया है। कविताओं के अतिरिक्त फिल्मी दुनियां, प्रेम आदि की निशानी, मंदिर एवं धार्मिक स्थानों पर गुलाब को चढ़ाया जाता है वहीं फूल मालाओं एवं विवाह शादियों में गाडिय़ों को सजाया जाता है। अलग अलग कवियों ने गुलाब का अर्थ अलग अलग लगाया है। गुलाब संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है।
 पंडित जवाहर लाल नेहरू गुलाब के प्रतीक माने जाते हैं। कुछ देशों में गुलाब को राष्ट्रीय पुष्प माना जाता है। अब तो ग्रामीण किसान गुलाब की खेती कर अपनी आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करते है।भारत में पुराने समय से गुलाब की खेती की जाती है। पौधों को उनकी ऊंचाई, फूलों का आकार आदि के आधार पर वर्गीकरण किया गया है।    हाइब्रिड बड़े फूलों वाला महत्वपूर्ण वर्ग है इस वर्ग के पौधे झाङीनुमा, लम्बे और फैलने वाले होते है। फ्लोरीबण्डा पौधे छोटे होते है और अधिक संख्या में फूल लगते है। इसके अतिरिक्त कई अन्य प्रकार भी पाए जाते हैं।
फूल दुकानों पर गुलाब के गजरे खूब बिकते हैं। गुलाब की पंखुडियों और शक्कर से गुलकन्द बनाया जाता है। गुलाब जल और गुलाब इत्र के उद्योग चलते है। भारत में भी गुलाब के उत्पाद के उद्योग चलते हैं।  मन्दिरों, मण्डपों, समारोहों, पूजा-स्थलों आदि स्थानों में गुलाब फूलों की मांग होती है। यह अर्थिक लाभ का साधन है। अत्यधिक तनावग्रस्त होता है तो फूलों को सूंघकर तनाव दूर कर सकता है। यह मानसिक शांति तक प्रदान करता हैं। गुलाब की पंखुडिय़ां प्राकृतिक तरीके से वजन घटाने में सहायता करती हैं। गुलाब की पंखुडिय़ां चय अपचय क्रियाओं को तेज करते हैं। शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
कुछ लोग जीभ का स्वाद बढ़ाने के लिए दही के साथ पंखुडिय़ां खाते हैं। यह तनाव और अवसाद से निपटने में आपकी मदद करता है।इसमें अनिद्रा से राहत पाने और नींद की कमी से संबंधित मुद्दों का इलाज करने का गुण है। नींद में गुलाब की चाय बहुत राहत प्रदान करती है।
गुलाब के फूलों से निकाले गए तेल में मवाद न बनने देने के गुण पाए जाते है। गुलाब जीवाणुरोधी माना जाता है। कील मुहासे के इलाज में काम लेते हैं। मासिक धर्म के लक्षण के रूप में उत्पन्न होने वाली ऐंठन के इलाज के लिए गुलाब चाय का उपयोग किया जाता है।
गुलाब की चाय मासिक धर्म के दर्द को कम कर देती है। गुलाब को कैल्शियम, विटामिन सी, विटामिन बी, और विटामिन-के से भरपूर माना जाता है।  यह कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करने में भी मदद करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है। गुलाब रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने मदद करता है। आयरन की एक महत्वपूर्ण मात्रा पाई जाती है जो एनीमिया को रोकता है। गुलाब स्कर्वी के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया है क्योंकि इसमें विटामिन-सी पाया जाता है। महिलाओं में हड्डियों के विकारों के खतरे को कम करता है। गुलाब का तेल सूजन के दर्द को कम करने में मदद करता है। कई बार गुलाब एलर्जी, सिरदर्द, मतली आदि कर सकता है।
 गुलाब शरीर को ठंडा करने और भावनाओं को गर्म करने में मदद करने के लिए एक अद्भुत जड़ी बूटी है। गुलाब प्यार के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। कामोत्तेजक व्यंजन बनाने के लिए गुलाब का उपयोग किया जाता है।
गुलाब एलर्जी की गर्मी को शांत करने में मदद करता है, और खांसी को शांत करता है। हर्बल सिरका बनाने, सनबर्न और खुजली वाली बग के काटने की परेशानी को शांत करता है। विभिन्न पेय बनाने के काम आता है।
  गुलाब जलसेक, सिरका, सिरप आदि बनाने के काम आता है। मसाज तेल भी बनाए जाते हैं। गुलाब से ऐरों पकवान बनाए जा सकते हैं।गुलाब कान के दर्द, दाद, आंखों के रोग, श्वेत प्रदर रोग, पेट के रोग, खुजली, सिरदर्द, अंधा सीसी, सीने की जलन, धूप में झुलसना, त्वचा के रोग, आंखों का कालापन, नपुंसकता, नकसीर में काम आता है वहीं गुलकंद बनाने में काम आता है, शरीर की रक्षा के लिए, अच्छी नींद, हृदय की कमजोरी दूर करने, यकृत रोग दूर करने, स्मरण शक्ति बढ़ाने में काम आता है। गुलाब जल बहुत काम आता है। गुलकंद भी बहुत महत्वपूर्ण मिश्रण है जो पशुओं के रोग दूर करने, पेट की बीमारी दूर
























करने और कुछ तो दूध बढ़ाने में काम में लेते हैं। यह आंतों की कब्ज दूर करने के भी काम आता है। इसके अधिक प्रयोग करनेे से जुकाम हो सकती है वही शरीर के कुछ दोष भी उत्पन्न हो सकते हैं।
   **होशियार सिंह, लेखक,कनीना,जिला महेंद्रगढ़,हरियाणा**

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