Powered By Blogger

Friday, March 13, 2020

कढ़ी पत्ता
**************************** ***************************** *******************
मुराया कोएनिजी
**************************** ***************************** **************************

 मीठा नीम , करी या करी पत्ता , गन्धेला
**************************** ***************************** **************************
मीठा नीम/करी पत्ता
**************************** ***************************** ***

 मीठा नीम  उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाया जाने वाला रुटेसी परिवार का एक पेड़ है। इसकी उत्पत्ति भारत देश है। प्राय रसदार व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले मीठे नीम के पत्तों को कढ़ी पत्ता कहते हैं।        

ग्रामीण लोग इसे मीठी नीम की पत्तियां भी कहते हैं।  इसे काला नीम भी कहा जाता है क्योंकि इसकी पत्तियां कड़वे नीम की पत्तियों से मिलती-जुलती हैं। लेकिन कढ़ी पत्ता और नीम के पेड़ से कोई संबंध नहीं है। असल में कढ़ी पत्ता, तेज पत्ता खुशबू के लिए प्रयोग किया जाता है।
  यह पेड़ छोटा होता है जिसकी अधिकतम 4 मीटर होती है। इसकी पत्तियां नुकीली होती हैं। हर टहनी में पत्तीदार कमानियां होती हैं और हर कमानी लंबी एवं चौड़ी पत्तियां होती है। ये पत्तियां अति खुशबूदार होतीं हैं। इसके फूल छोटे-छोटे, सफेद रंग के और खुशबूदार होते हैं। इसके छोटे-छोटे, चमकीले काले रंग के फल तो खाए जा सकते हैं। प्रारंभ इनका रंग हरा होता है बाद में रग बदल जाता है। इनके बीज कुछ जहरीले होते हैं।
   कढ़ी पत्ता की पत्तियों को पीस कर चटनी भी तैयार की जाती है। इसे विभिन्न व्यंजनों में छौंक में, खासकर रसदार व्यंजनों में प्रयोग किया जाता है।         इसका उपयोग दाल और कढ़ी बनाने में भी किया जाता है। इसकी ताजी पत्तियां न तो खुले में और न ही फ्रिज में ज़्यादा दिनों तक ताजा रहतीं हैं। सूखने के बाद पत्तियों की खुशबू बिलकुल नहीं के बराबर होती है। मीठे नीम की पत्तियों का आयुर्वेदिक चिकित्सा में जड़ी-बूटी के रूप में भी होता है। इनके औषधीय गुणों में मधुमेहरोधी, एंटीआक्सीडेंट, सूक्ष्मजीव रोधी, जलन मिटाने वाला, कोलेस्ट्राल को घटाता है। कढ़ी पत्ता लम्बे और स्वस्थ बालों के लिए भी बहुत लाभकारी है।
हालांकि कढ़ी पत्ते का सबसे अधिक उपयोग रसदार व्यंजनों में होता है वहीं यह अन्य कई व्यंजनों में मसाले के साथ इसका इस्तेमाल किया जाता है।
पौधे उगाने के लिए बीज काम में आते हैं।  पत्तियों को ठीक से चबाएं और नाश्ते से पहले अति लाभप्रद होती हैं। यह बालों के लिए टानिक का काम करता है। खाली पेट कड़ी पत्ते का सेवन पाचन को स्वस्थ रखता है। कड़ी पत्ते पाचन एंजाइमों को उत्तेजित करते हैं और मल त्याग में मदद करते हैं। यह कब्ज से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।
कढ़ी पत्ता सुबह-सुबह होने वाली कमजोरी, मतली और उल्टी से लडऩे में भी सहायक है। यह पाचन क्रिया को बढ़ाता है। कड़ी पत्ते को चबाने से वजन कम होता है। बेहतर पाचन, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना, बेहतर कोलस्ट्राल का स्तर बढ़ाने में होता है।
कड़ी पत्ते में ब्लड कोलेस्ट्राल कम करने का गुण होता है। इससे दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं। इसमें मौजूद एंटीआक्सीडेंट गुण कोलेस्ट्राल की मात्रा कम करता है।
मीठा नीम शरीर में खून की कमी के कारण एनीमिया होता है और इस रोग से निजात पाने के लिए कड़ी पत्ते का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें अधिक मात्रा में आयरन और फोलिक एसिड होता है। शरीर में इंसुलिन की गतिविधि को प्रभावित कर ब्लड से शुगर से स्तर को कम करने में कड़ी पत्ता मदद करता है।
    फाइबर की मात्रा भरपूर होने से इस बीमारी से जूझ रहे रोगियों के लिए फायदेमंद है। मधुमेह रोग में कढ़ी पत्ता छुटकारा दिला सकता है। ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए यह बेहद फायदेमंद है। फेफड़ों में बलगम जमाव की स्थिति में कड़ी पत्ता का सेवन पाउडर शहद के करते हैं।आयरन और फालिक एसिड के एक बेहतरीन स्त्रोत है। कड़ी पत्ता एनीमिया जैसी सम्स्याओं से बचाता है।
   रोजाना खाली पेट कड़ी पत्ता और खजूर खाने से लाभ होगा।  त्वचा संबंधी रोग में कड़ी पत्ता फायदेमंद है। कील मुहासे या अन्य समस्याओं से परेशान हैं तो प्रतिदिन कड़ी पत्ता खाकर इसका पेस्ट लगाएं। बालों को घना, काला और मजबूत बनाने के लिए कढ़ी पत्ता नारियल के तेल के साथ प्रयोग करना चाहिए। पाचन संबंधी समस्या, दस्त लगने पर कढ़ी पत्ते को पीसकर छाछ में मिलाकर पिएं। यह पेट की गड़बड़ी, पेट के सभी दोषों का निवारण करने,त्वचा संबंधी रोगों में लाभप्रद होता है।
  नारियल के तेल में कढ़ी पत्तों, कच्चे पत्तों का चबाकर सेवन करने से बालों का झडऩा कम होता है। सूखी कढ़ी पत्तियों का चूर्ण शहद मिलाकर लेने से अपची में काम आता है। दस्त,जी मचलना और उल्टी में काम आता है। यह अमलता दूर करता है,शूगर और वजन को कंट्रोल रखता है।
  कढ़ी पत्ते में एंटी आक्सिडेंट, एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं। जो त्वचा को कई तरह के इंफेक्शन से बचाए रखते हैं।
मीठा नीम में विटामिन -ए पाया जाता है जो आंखों के लिए बहुत ही जरूरी है। खाली पेट करी पत्ते का सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती है। यह शरीर में सूजन की परेशानी दूर करके कैंसर से बचाता है।
  पंजाब में कढ़ी पत्ता के पौधे को मीठा नीम भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल यूं तो किसी भी व्यंजन का स्वाद और खुशबू बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसमें मौजूद पोषक तत्व कई लिहाज से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। मीठे नीम के पत्ते में भरपूर मात्रा में लोहा और फालिक एसिड होता है। इस वजह से यह खून की कमी से बचाव करने में कारगर है। यह लीवर को मजबूत बनाता है। इसमें मौजूद विटामिन-ए और सी लीवर को मजबूत बनाते हैं। यह मोटापा होने का खतरा कम हो जाता है। दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है। यह एंटी बैक्टीरियल की तरह भी काम करता है, जिसकी वजह से यह पेट से जुड़ी समस्याओं में लाभप्र











द होता है।
मीठे नीम में मौजूद पोषक तत्व बालों को जल्दी सफेद नहीं होने देते और बालों का झडऩा भी कम करते हैं। यह हर सब्जी अथवा दाल में भी डालकर प्रयोग किया जा सकता है।
कढ़ी पत्ता पौधे के पत्ते मसाला है।लगभग पूरे भारत में, 1500 मीटर तक की ऊंचाई तक मिलता है। इस पौधे के पत्ते, छाल और जडों का प्रयोग देशी दवाइयों में टानिक, उत्तेजक, वातहर और क्षुधावर्धक के रूप में किया जाता है।  
    विशेषज्ञों के मुताबिक कढ़ी पत्ते के तेल में पाए जाने वाले पोषक तत्व बालों के लिए भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। कढ़ी पत्ते का तेल बालों पर लगाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। इसका नियमित इस्तेमाल बालों के विकास में मदद करता है।
कढ़ी पत्ता में कैल्शियम,फास्फोरस,लोहा
कैरोटीन,विटामिन सी पाया जाता है।भोजन पकाते वक्त करी पत्ता का इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जाता है। इसे सब्जी, दाल, सांभर चावल और तरह-तरह के व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। चटनी बनाकर भी प्रयोग में ला सकते हैं। इसका जूस का सेवन भी किया जा सकता है। आहार में कढ़ी पत्तियों की करीब 8 से 10 पत्तियों को इस्तेमाल में लाया जा सकता है। त्वचा के लिए उपयोगी है।
    गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लेनी चाहि। यह पशुओं के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। पशु के पेट के रोग, भाजन के रूप में कई जीव खाते हैं।
**होशियार  सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

No comments: