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Wednesday, March 4, 2020


जई
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ओट
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ऐवना स्टाइवा
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जौ से मिलता जुलता जई का पौधा होता है जो घास कुल का पौधा है। इसका उपयोग अनाज, पशुओं के दाने तथा हरे चारे के लिए होता है।यह पशुओं के लिए जितना बेहतर है उतना ही बेहतर इंसानों के लिए होता है। ऊर्जा का अच्छा स्रोत होता है।
प्राय यह रबी फसल बतौर उगाया जाता है। यह हरे चारे के रूप में अधिक उगाई जाती है यही कारण है कि इसकी दो तीन बार कटाई की जा सकती हैं।
  यह गेहूं के साथ खड़ा होने पर फूल एवं बीज के रंग ढंग से अलग ही पहचाना जा सकता है। यह एकबीजपत्री पौधा है जो अनाज में शामिल किया गया है। इसके गेहूं एवं जौ जैसे ही लंबे पत्ते होते हैं जिनमें समानांतर शिरा विन्यास पाई जाती है। इसमें झकड़ा या रेशेदार किस्म की जड़े पाई जाती हैं। जई को गर्मियों की शुरुआत में ठंडे क्षेत्रों में बोया जाता है, जैसे ही मिट्टी में काम किया जा सकता है। जई गर्मियों की गर्मी में सुप्त हो जाते हैं। गर्म क्षेत्रों में, जई देर से गर्मियों में या जल्दी गिर जाते हैं। जई ठंडे-सहिष्णु हैं और  ठंढ या बर्फ से अप्रभावित हैं।
 जई मिट्टी से नाइट्रोजन की पर्याप्त मात्रा को हटा देती है।  जई एक तरह का दलहन है। इसका जई को मुख्य रूप से खाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे ज्यादातर लोग नाश्ते के तौर पर उपयोग करते हैं। इसकी खेती की शुरुआत स्काटलैंड में हुई और आज लगभग सभी देशों में इसका उपयोग किया जाता है। इसका सेवन आपको स्वस्थ रखने के साथ-साथ कई रोगों से छुटकारा दिलाने में भी सहायता कर सकता है।
 जई पेट को भरे रखता है और भूख घटाता है जिससे वजन को नियंत्रित रख सकते है। इसमें बहुत अधिक रेशे पाए जाते हैं जो रक्त में कोलेस्ट्राल कम करने में मदद करते हैं। जई उत्पादन में रूस प्रथम स्थान पर आता है।
जई का खाद्य पदार्थों में कई उपयोग हैं। यह आटा या दलिया के रूप में खाया जाता है।  जई का उपयोग ओट मिल्क के उत्पादन के लिए भी किया जाता है। जई के ब्रेड का निर्माण सबसे पहले ब्रिटेन में 1899 में किया गया था।
जई को व्यापक रूप से सूप में प्रयोग किया जाता है। घोड़ों के लिए फीड बनाने के काम आता है। जई वसंत में हरे उर्वरक के रूप में लगाया जाता है, या शुरुआती गर्मियों में काटा जाता है। उनका उपयोग चारागाह के लिए भी किया जा सकता है। उन्हें थोड़ी देर के लिए चरने दिया जा सकता है। यह लगातार चराई की जाती है ताकि दूध की बढ़ोतरी हो सके।
जई का भूसा मवेशियों और घोड़े के बिस्तर बनाने,मकई की गुडिय़ा बनाने में जई का भूसे का उपयोग किया जा सकता है। जई कभी-कभी कई अलग-अलग पेय में भी उपयोग किया जाता है। कभी-कभी बीयर पीने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ओट माल्ट के निर्माण में काम आता है। ओट्स और दूध से बना अवेना नामक एक ठंडा, मीठा पेय बनाया जाता है।
ओट के अर्क सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है।
ओट का उपयोग मासिक धर्म को संतुलित करने, कमजोर हड्डियों को ठीक करने डिसमेनोरिया का इलाज करने, मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने, मूत्र मार्ग के संक्रमण के उपचार करने में किया जाता है। उबले हुए ओट नूडल्स और रोल बनाए जाते हैं।
ओट आटा भोजन के रूप में सेवन किया जाता है। तई में कार्बोहाइड्रेट,आहारी रेशे, प्रोटीन, विटामिन,थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासीन,पैंटोथेनिक एसिड
विटामिन बी-6, फोलेट,
कैल्शियम,लोहा,मैगनीशियम,मैंगनीज,फास्फोरस,पोटैशियम,सोडियम, जस्ता, घुलनशील फाइबर आदि पाए जाते हैं। जई कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद, पूरे जई से घुलनशील फाइबर होते हैं।
  ओट प्रोटीन, सोया प्रोटीन की गुणवत्ता के लगभग बराबर है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध ने मांस, दूध और अंडे के प्रोटीन के बराबर दिखाया है। जई कई बीमारियों को रोकने और उनसे निजात दिलाने के लिए जई का सेवन लाभदायक हो सकता है। जई में घुलनशील रेशे पाए जाते है। इंसुलिन के प्रभाव को सक्रिय करने का काम करते हैं। इससे रक्त में शुगर की मात्रा को संतुलित रखने में मदद मिलती है यह हृदय रोग और कोलेस्ट्राल की समस्या से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।
जई का उपयोग कैंसर जैसी गंभीर समस्या से निजात पाने में भी किया जा सकता है। जई कैंसर को बढ़ावा देने वाली कोशिकाओं को कम करती है। जई का उपयोग उच्च रक्तचाप की समस्या को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है। यह उच्च रक्तचाप के खतरे को दूर रखा जा सकता है
जई का सेवन वजन को कम करने में सहायक होता है।  इसके सेवन के साथ नियमित व्यायाम का भी ध्यान रखना जरूरी है। जई शारीरिक तंत्र को स्वस्थ रखता है। आहारी रेशे अधिक होने से आंतों को साफ रखता है। अपची में सहायक है।
जई खाने के फायदे में तनाव से राहत मिलता है। इसमें विटामिन बी-6 और बी-12 को खास एवं फोलेट तनाव के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो सकते हैं।
जई पाचन क्रिया को मजबूत बनाती है वहीं हड्डियों को स्वस्थ रखती है। शरीर में ऊर्जा को बढ़ावा देती है वहीं बेहतर नींद में सहायक है।
यह रजोनिवृत्ति के लक्षण से राहत दिलाने का काम करता है। जई बचपन के अस्थमा को ठीक कर सकता है। प्राचीन काल से जौ का उपयोग होता चला आ रहा है। जई में आसानी से पच जाने वाले फाइबर का जबरदस्त स्रोत है। यह बढ़ती उम्र वाले बच्चों के लिए बहुत उपयोगी होता है। गर्भवती महिलाओं और बढ़ते बच्चों को भी ओट खाना चाहिए। यह
स्तन और अन्य हार्मोन से संबंधित कैंसर की रोकथाम में सहायक है। यह मधुमेह में सहायक है।
  जई मुहासे, कील आदि दूर करने,चेहरे की सुंदरता बढ़ाने, चेहरे को माइस्चराज्ड रखने में, सूखी त्वचा एवं ख्राुजली के इलाज में, त्वचा को निखरी बनाने में, मोटी माता को दूर करने में, बालों के विकास के लिए, बालों की रूसी दूर करने, चमकदार बाल बनाने, बालों की जड़े मजबूत करने के काम में बाहृ रूप से उपयोग किया जा सकता है।

   जई को दूध मिलकर नाश्ते की तरह खाया जा सकता है,इसे सूप की तरह पिया जा सकता है।
इसको सामान्य दाल की तरह पकाकर चावल या रोटी के साथ खाया जा सकता है। जई के बीज को अंकुरित करके भी खाया जा सकता है। जई वैसे तो शरीर के लिए लाभकारी है किंतु यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
















सही रूप में न पकने पर पेट खराब हो सकता है। जई के अधिक मात्रा में सेवन करने से आपके आंत और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है।
  **होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

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