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Tuesday, March 3, 2020

अरंडी
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कैस्टर
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रिसिनस कम्यूनिस
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रेंडी/अरंड/वंडर ट्री
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रिकिनस कम्यूनिस एक मजबूत झाड़ीदार पौधा होता है जिसे छोटा पेड़ होता है। इसमें मुलायम लकड़ी के तने होते हैं। तने चिकनी, गोल और बार-बार लाल होती हैं। जिस देश में वृक्ष नहीं होते वहां अरंड को भी वृक्ष माना जाता है। पत्तियां सरल और वैकल्पिक हैं। पत्ती  बड़े बड़े आकार की चमकदार गहरे हरे या लाल रंग का होती है।
  फूल गुच्छे में लगते हैं और पुष्पक्रम के शीर्ष पर मादा फूल एवं नर फूल अलग अलग होते हैं। फल एक चमकदार प्राय हरे रंग के होते हैं। गुच्छे के रूप में मिलते हैं जिनमें नवजात फल बैंगनी/लाल रंग के होते हैं। फलों में अंडाकार, चमकदार, बीन जैसे, जहरीले बीज होते हैं।बीजों पर रंगीन धब्बे मिलते हैं। पूरा पौधा जहरीला होता है। यह पौधा
जेट्रोफा से मिलता जुलता होता है। आजकल इसकी खेती की जाने लगी है ताकि औषधियों के रूप में काम आ सके। यह द्विबीजपत्री पौधा होता है जिसकी लकड़ी प्राय अंदर से खोखली एवं कमजोर होती है। मुलायम तना होता है। तने सफेद पाउडर से ढंके होते हैं और वे अंदर से खोखले होते हैं। तने काटे जाने पर साफ, पानी की धार पैदा करते हैं। नर फूल पुंकेसर के साथ पीले-हरे होते हैं जबकि मादा फूल में लाल कलंक पाए जाते हैं।
  अरंडी का फल कांटेदार प्राय 3-लोब वाला कैप्सूल होता है।  प्रत्येक लोब में एक बीज होता है। चमकदार काले बीज होते हैं। अरंडी एक अल्पकालिक बारहमासी, सदाबहार पौधा है जो बीज द्वारा जनन करता है।अरंडी का फल जब फट जाता है तो पके और बीजों को कई मीटर दूर फेंक देता है। बीज कई वर्षों तक निष्क्रिय रह सकता है और अनुकूल परिस्थितियों में अंकुरित हो सकता है। बीज विषैले तथा पत्तों में एक गंध होती है। बीज मनुष्य और घोड़ों के लिए पाए जाते हैं। यह हर स्थान पर मिल सकते हैं। इसका मूल अफ्रीका माना जाता है।

अरंडी के तेल का उत्पादन करने के लिए बीज का उपयोग किया जाता है। बीज बहुत जहरीले होते हैं और पत्तियों और जड़ों का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है।
यह एक सामान्य खरपतवार है जो कभी-कभी बारहमासी फसलों में पैदा हो जाती है।
अरण्डी का तेल बहु प्रयोजनकारी होता है।  बीज में 40-60 फीसदी तेल होता है। इसके बीज में रिसिन नामक एक कुछ विषैला पदार्थ भी होता है जिसके कारण इसे रिसिनस कहा जाता है।

    अरंडी का तेल साफ, हल्के रंग का होता है जो गंधरहित होता है। यह शुद्ध  रूप में नेत्र शल्य चिकित्सा में प्रयुक्त होता है। यह मुख्य रूप से कृत्रिम चमड़े के निर्माण में उपयोग होता है।  अरंडी पारदर्शी साबुन के निर्माण में कैाम आती है।  तेल को दवा में एक मूल्यवान जुलाब माना जाता है। अरंड अस्थायी कब्ज में उपयोग में आता है और यह बच्चों और वृद्ध के लिये विशेष उपयोगी होता है। यह पेट के दर्द और तीव्र दस्त में धीमी पाचन के कारण प्रयोग किया जाता है। अरंड़ी तेल दाद, खुजली, आदि विभिन्न रोगों के लिए विशेष उपयोगी होती है। इसके ताजा पत्तों को नर्सिंग माताओं दूध का प्रवाह बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।. यह आंखों में विदेशी निकायों को हटाने के बाद की जलन को दूर करने के लिए डाला जाता है।
अरंडी के तेल उत्पादकों में भारत , चीन एवं ब्राजील हैं। अरंडी तेल एक बहुत पुराना औषधीय तेल है जो कई समस्याओं के इलाज के रूप में उपयोग होता है। इस तेल को बनाने के लिए सबसे अधिक इसके बीजों का उपयोग किया जाता है, इसके बीजो को दबाकर तेल निकाला जाता है। तेल सूजन को कम करने और जीवाणुरोधी गुणों के काम आता है। यह विभिन्न सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, वस्त्र, मालिश तेलों और यहां तक कि दवाओं में प्रयोग किया जाता है। अरंडी त्वचा, बालों और स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। अरण्डी का तेल या कैस्टर आयल थोड़ा गाढ़ा और दिखने में हल्के पीले रंग का होता है।  
   अरंडी का तेल  त्वचा की सूजन का उपचार करने के लिए काम आता है जो सनबर्न, मुहासे और सूखी त्वचा के कारण हो सकती है। कैस्टर तेल त्वचा को बूढ़ा होने से रोक सकता है। अरंडी के तेल को जब त्वचा पर लगाया जाता है तो यह त्वचा के अंदर गहराई से प्रवेश करता है।  यह झुर्रियों की उपस्थिति को कम करता है और त्वचा को चिकनी, नरम बनाता है। यह प्राकृतिक त्वचा माइस्चराइजऱ की तलाश में है तो अरंडी का तेल सबसे बेहतर है।
 अरंडी के तेल का उपयोग अक्सर काले धब्बों और निशानों को मिटाने लिए किया जाता है। यह स्ट्रेच निशान जो गर्भावस्था के कारण बनते हैं को हटाने के काम आता है। यह बालों के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है। इसके साथ सिर की मालिश करने से घने और लंबे बाल मिल सकते हैं।
अरंडी का तेल बालों ने सफेद होने से बचाता है। अरंडी का तेल शुष्क और क्षतिग्रस्त बालों के उपचार में बहुत उपयोगी हो सकता है। यह दाद के इलाज में काम आता है। यह घावों को भरने में प्रभावी है जो रोगाणुरोधी रखता है। यह सूजन को कम करने वाले गुण रखता है वहीं गठिया का इलाज भी अरंडी का तेल करता है। अरंडी का तेल जोड़ो और ऊतकों के दर्द से राहत प्रदान कर सकता है। यह जोड़ों के दर्द, तंत्रिका सूजन और गले की मांसपेशियों को राहत देता है। यह शरीर के रक्षा तंत्र को बढ़ाता है। यह पीठ दर्द के इलाज के लिए अरंडी ऑयल सबसे अच्छा प्राकृतिक उपाय है। 
वैंैसे तो अरंडी के तेल के उपयोग हैं तथा यह कई काम आता है लेकिन फिर भी अरंडी के तेल के कुछ नुकसान हो सकते हैं। इसके अधिक सेवन से दस्त या पेचिश हो सकता है। पेट में ऐंठन, मतली, उल्टी, चक्कर आना, स्किन पर रैश, खुजली और सूजन इसके मुख्य लक्षण होते हैं।
  यह पूरे भारत में पाया जाता है। एरंड की खेती भी की जाती है और इसे खेतों के किनारे-किनारे लगाया जाता है।एरंड का तना हरा और चिकना तथा छोटी-छोटी शाखाओं से युक्त होता है। अरंड के पत्ते हरे, खंडित, अंगुलियों के समान खंडों में विभाजित होते हैं। अरंड के पौधे के तने, पत्तों और टहनियों के ऊपर धूल जैसा आवरण रहता है, जो हाथ लगाने पर चिपक जाता है। ये दो प्रकार का होते हैं लाल रंग के तने और पत्ते वाले एरंड को लाल और सफेद रंग के होने पर सफेद अरंड कहते हैं।: एरंड दो प्रकार का होता है पहला सफेद और दूसरा लाल। इनमें से एक अरंड  बरसात के सीजन में उगता हैजबकि दूसरा 15 वर्ष तक रह सकता है। अरंड का तेल पेट साफ करने वाला होता है।            अरंड आमाशय को शिथिल करता है, गर्मी उत्पन्न करता है और उल्टी लाता है। इसके सेवन से जी घबराने लगता है। अरंड आमाशय के लिए अहितकर होता है। इसकी तुलना जमालघोटा से की जाती है। अरंड का तेल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ लेने से योनिदर्द, वायुगोला, हृदय रोग, पुराना बुखार, कमर के दर्द, पीठ और कब्ज के दर्द को मिटाता है। यह दिमाग, रुचि, याददास्त, बल और आयु को बढ़ाता है और हृदय को बलवान करता है। इसके पत्ते, जड़, बीज और तेल सभी औषधि के रूप में इस्तेमाल किए जाते है। सफेद अरंड, बुखार, कफ, पेट दर्द, सूजन, बदन दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, मोटापा, प्रमेह और अंडवृद्धि का नाश करता है। वहीं लाल अरंड पेट के कीड़े, बवासीर, रक्तदोष , भूख कम लगना, और पीलिया रोग का नाश करता है। अरंड के पत्ते वात पित्त को बढ़ाते हैं,वायु, कफ और कीड़ों का नाश करते हैं। अरंड के फूल ठंड से उत्पन्न रोग जैसे खांसी, जुकाम और बलगम तथा पेट दर्द संबधित बीमारी का नाश करता है। बीजों का गूदा बदन दर्द, पेट दर्द, फोड़े-फुंसी, भूख कम लगना तथा यकृत सम्बंधी बीमारी का नाश करता है।
     शिशु जिनके सिर पर बाल नहीं उगते हो या बहुत कम हो या ऐसे पुरुष-स्त्री जिनकी पलकों व भौंहों पर बहुत कम बाल हों तो उन्हें एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से सोते समय करना चाहिए। इससे कुछ ही हफ्तों में सुंदर, घने, लंबे, काले बाल पैदा हो जाएंगे।
अरंड के तेल की मालिश सिर में करने से सिर दर्द की पीड़ा दूर होती है। इसकी जड़ को पानी में पीसकर माथे पर लगाने से भी सिर दर्द में राहत मिलती है। अरंड का तेल थोड़े-से चूने में फेंटकर आग से जले घावों पर लगाने से वे शीघ्र भर जाते हैं। अरंड के तेल में कपूर का चूर्ण मिलाकर नियमित रूप से मसूढों की मालिश करते रहने से पायरिया रोग में आराम मिलता है।
 मीठे तेल में अरंड के पीसे बीजों का चूर्ण गर्म कर लिंग पर नियमित रूप से मालिश करते रहने से उसकी शक्ति बढ़ती है। अरंड के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से मोटापा दूर हो जाता है।
 अरंड का तेल गर्म पानी के साथ देने से बच्चों को पिलाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। अरंड के पत्तों का रस बिच्छू का विष उतारने के काम आता है। सूंघने से पीनस नष्ट हो जाती है। अरंड की जड़ और सोंठ को घिसकर योनि दर्द ठीक करने,यह पीठ, कमर, कन्धे, पेट और पैरों के दर्द को दूर करने के काम आता है।  पिसा हुआ कांच खा लेने परअरंड का तेल पिलाने से लाभ मिलता है।

  इसके अलावा अरंड माथे का दर्द, होठों के फटने, हृदय रोग में काम आता है।
अरंड के बीजों का गूदा बदन दर्द, पेट दर्द, फोड़े-फुंसी, भूख कम लगना तथा यकृत सम्बंधी बीमारी का नाश करता है।वहीं इसका तेल पेट की बीमारी, फोड़े-फुन्सी, सर्दी से होने वाले रोग, सूजन, कमर, पीठ, पेट और गुदा के दर्द का नाश करता है।अरंडी का तेल पशुओं के पेट की समस्या दूर करने के काम आता है वहीं पशुओं के बाहृ चर्म रोगों को दूर करने के काम आता है। शरीर के बाहर कीड़े, चिचड़ आदि को भी मारने के काम आता है।





















**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**





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