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Wednesday, March 18, 2020


















फराश
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फ्रास
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एथेल का पेड़, पत्ती रहित इमली, एथेल इमली, मोरक्को की ताली
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टमारिक्स अफिला
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एथेल इमली, एथेल ट्री, ऐथेल पाइन और साल्टेडर
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फराश विशालकाय पेड़ होते हैं। यह एक सदाबहार वृक्ष है जो जो कई देशों में पाया जाता है। यह शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है। यह खारा और क्षारीय मिट्टी के लिए बहुत प्रतिरोधी है।
  फ्रास ऊंचे पेड़ के रूप में बढ़ता है। छोटी पत्तियों को शाखाओं के साथ बढ़ता है और नमक को बाहर निकाल दिया जाता है। यह नमक नीचे जमीन पर टपकता है जिससे जमीन पर पपड़ी बन जाती है।
यह शुष्क क्षेत्रों में कृषि और बागवानी में पवन रोकने और छाया वृक्ष के रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी उच्च आग अनुकूलन क्षमता के कारण इसे आग में बाधा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके पत्तों में नमक की मात्रा अधिक होने के कारण  आग नहीं पकड़ता तथा यही हालात इसकी सूखी लकड़ी की होती है। आग लगने के बाद भी यह पुन: जीवित हो जाता है जब तक कि समूल नाश न हो जाए।
फराश के फूल उच्च गुणवत्ता का शहद पैदा करते हैं। यह दो क्षेद्धों की सीमा पर अक्सर लगाए जाते हैं ताकि लंबे समय तक बने रहे। ऑस्ट्रेलिया में एक गंभीर खरपतवार और आक्रामक प्रजाति बन गया है। आस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय महत्व का एक खरपतवार माना जाता है।
 अमेरिका के रेगिस्तान में छायादार वृक्ष के रूप में उपयोग किया जाता है। यह गंभीर आक्रामक प्रजाति है।
इसे बिना पत्तों का पौधा माना जाता है। उर्दू और हिंदी में इस पेड़ को फराश कहा जाता है। इससे
एक मीठा मन्ना जैसा पदार्थ जो टहनियों पर बनता है, गन्ने की चीनी को मिलाते हैं एक ताज़ा पेय बनाने के लिए इसे दलिया आदि के साथ भी खाया जा सकता है या पानी के साथ मिलाया जा सकता है।
येे गरारे करने के रूप में उपयोग किए जाते हैं। इसकी छाल कसैला और कड़वी होती है। इसका उपयोग एक्जिमा और अन्य त्वचा रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।
अपनी तेज वृद्धि, गहरी और व्यापक जड़ प्रणाली के कारण यह प्रजाति कटाव नियंत्रण के काम आती है। यह तटीय उद्यानों में एक अच्छा आश्रय स्थल बनाता है।
पत्तियों से नमक टपकने से पेड़ के नीचे की सभी जमीन की वनस्पतियां मर जाती हैं। हाईवे या रेलवे लाइनों के किनारे आग फैलने से रोकने के लिए फराश लगाते हैं।मिट्टी की प्रकार ज्ञात करने के लिए यह पौधा उगाया जाता है।

छाल टैनिन का एक स्रोत है जो रंगाई के समय इसका उपयोग किया जाता है।  टहनियों और फूलों पर उत्पादित गैस में 55 प्रतिशत तक टैनिन होता है।
शाखाओं का उपयोग टोकरी बनाने में किया जाता है। हल्की-भूरी लकड़ी घनिष्ठ, काफी कठोर, भारी, मजबूत होती है। इसका उपयोग हल, पहिए, गाड़ी, निर्माण, उपकरण के हैंडल, आभूषण, बढ़ई गीरी, फर्नीचर और फलों के बक्से बनाने के लिए किया जाता है।
लकड़ी का उपयोग ईंधन के लिए और लकड़ी का कोयला बनाने के लिए किया गया है। यह बहुत अच्छी तरह से जलता है, हालांकि यह आग पकडऩे के लिए धीमा है।
अगर लकड़ी को जला दिया जाता है तो लकड़ी एक विशेष गंध देती है।
यह बीजों द्वारा या कायिकवर्धन अर्थात पौधे की टहनी आदि तोड़कर लगा देने से पैदा हो जाता है।कुछ जगह इसकी टहनी का इस्तेमाल चारे के रूप में और ऊंटों में खुजली को ठीक करने के लिए किया जाता है। भारत में छाल का उपयोग एक  एक्जिमा जैसे त्वचा विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। एक सहायक पौधे के रूप में, टैमरिक्स एफि़ला, टिंचर, मिट्टी के संरक्षण और स्थिरीकरण और आश्रय और पवनचक्की के रूप में अच्छी तरह से अनुकूल है।यह आग को रोकने के लिए प्रभावी है क्योंकि पत्तियों में नमक होता है। छाल को कभी-कभी चमड़े के उत्पादन में और रंगाई में उपयोग किया जाता है।
फराश की एक प्रजाति बंज एक छोटा पेड़ है जिसकी लकड़ी का उपयोग घर के निर्माण और जलाऊ लकड़ी के लिए किया जाता है।  छाल  उपयोग बुखार और सर्दी के इलाज के लिए किया जाता है। इसकी एक प्रजाति सेनेगल में टहनियों से बने काढ़े को आंखों के रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है।
इसकी एक प्रजाति की पत्तीदार शाखाओं को पशुधन द्वारा खाया जाता है। दस्त और अपच को ठीक करने और पेट के दर्द को दूर करने के लिए जड़ों का काढ़ा पिया जाता है।
एफीला की लकड़ी का पाउडर ते
ल में तला जाता है। यह मवाद के उपचार के लिए प्रयोग होता है। इसकी लकड़ी का पेस्ट जले हुए स्थान पर लगाया जाता है।
सफेद धब्बों को दूर करने के  लिए , फोड़ा के इलाज में दाद के इलाज में, एंटीऑक्सीडेंट गतिविधियों और घाव भरने के लिए उपयोग किया जाता है। सूजी हुई तिल्ली को ठीक करने के लिए काढ़े का उपयोग लोशन के रूप में किया जाता है।  एक्जिमा, हेपेटाइटिस और अन्य त्वचा रोगों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।
   कुछ लोग फराश को फ्रांस भी कहते हैंकिंतु इसका फ्रांस देश से कोई संबंध नहीं है।फराश की पत्तियों से गुजरती हवा बहुत तेज सायं सायं करती है।. यह अन्य पेड़ पौधे की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ता है। इसके अलावा इसकी गर्मी सहने की क्षमता होती है। यह भीषणतम गर्मी में भी बढ़ता है।
फराश की पत्तियां मोरपंखी के पेड़ की तरह कटी फटी और बारीक बारीक होती हैं। थोड़ी सी भी हवा चलने पर उनमें तेज आवाज होती है।

**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

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