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Wednesday, March 25, 2020


बकायन
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महानीम, बकायन, बकैन, धरेक, डकानो
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मेलिया अजडार्च
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महानिम्ब
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बीड ट्री, चिनबेरी, चाइना ट्री, फ़ारसी लीलाक, प्राइड ऑफ इंडिया, महानीम, बकेन, , बेटेन, दीवाना, द्रेक और बाक़ीन
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बकायन नीम की जाति का एक पेड़ है। भारत में खूब पाया जाता है। यह नीम की बहन कहलाती है क्योंकि यह नीम से छोटी होती है।
 इसके पत्ते कड़वे नीम के समान तथा आकार में कुछ बड़े होते हैं। बकाइन की लकड़ी इमारती कामों के लिए बहुत उपयोगी होता है। यह छायादार पेड़ होता है। इसके फल भी कड़वे नीम के फल के समान होते हैं।
बकायन एक औषधीय पेड़ है। आयुर्वेद में बकायन का बहुत महत्व है। बकायन से विभिन्न रोगों का उपचार किया  जाता  है । बवासीर, नेत्ररोग, मुंह के छाले, पेट मे दर्द, आंतों के कीड़े, प्रमेह, श्वेतप्रदर, खुजली, पेट के कीड़े आदिआदि में अति महत्व होता है।
इसकी पत्तियाँ नीम की पत्तियों के समान तथा कुछ बड़ी और दुर्गन्धयुक्त होती है। जबकि

गुच्छों में नीम के फूल के आकार वाले कुछ नीलापन लिए होते हैं। झुमकों में नीम के फल के आकार वाले गोल होते हैं।
   यह एक सजावटी पेड़ है जिसमें कई उपयोग हैं। इसके पास महत्वपूर्ण औषधीय गुण हैं। पत्ते लंबे, लीफलेट गहरे हरे रंग के ऊपर और नीचे हल्के हरे रंग के होते हैं। फूल छोटे और सुगंधित होते हैं, जिनमें पांच पीली बैंगनी पंखुडिय़ां होती हैं जो गुच्छों में बढ़ती हैं। इसमें पांच पंखुडिय़ां पाई जाती हैं।
पौधे की छाल पतलीबाहरी सतह का काला और खुरदरा होता है। आंतरिक छाल बेहद कड़वी होती है। सर्दियों में पत्तियां गिर जाती हैं और पेड़ चेरी जैसे फलों के गुच्छे दिखाई देते हैं जो पहले हरे रंग के होते हैं और बाद में पीले रंग के हो जाते हैं।ये पक्षियों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं।
पेड़ की छाल का उपयोग अस्थमा, मलेरिया, मतली,बवासीर, चूहे के जहर को हटाने वाला, त्वचा रोग, उल्टी एवं मूत्र संबंधित विकारों को दूर करने के काम आता है।
  इसकी पत्ती में कृमिनाशक गुण पाया जाता है। बीज तेल कीटनाशक और एंटीसेप्टिक होता है। यह दर्द को दूर करने के लिए, परजीवी कीड़े को निष्कासित करने के काम आता है। पत्तियों के रस में ने फीताकृमि और हुकवर्म को नष्ट करने का गुण पाया जाता है। यह अस्थमा के रोकथाम, तेल जीवाणुरोधी, एंटीफर्टिलिटीका गुण पाया जाता है।
 बकायन गठन को रोकने, शरीर के संक्रमण को रोकने, मांसपेशियों की ऐंठन से राहत देने,वायरस के खिलाफ प्रभावी।को नष्ट करने के काम आता है। यह दर्द से राहत देता है और गहरी नींद लाने,फल मनुष्यों के लिए जहरीले होते हैं अगर बड़ी मात्रा में खाया जाए तो नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह मुंह के छाले, त्वचा की समस्याओं, सूजन, के इलाज के लिए किया जाता है। जड़ और छाल को एक कृमिनाशन के रूप में, बुखार और पेचिश के लिए उपयोग किया जाता है। मूत्र, त्वचा रोग, मतली, उत्सर्जन, अस्थमा, चक्कर आने में सूखे तने की छाल का उपयोग किया जाता है।
  बकायन के तने की अंदर का भाग दमा के हमलों को राहत देता है। इसकी पत्तियों का रस रूसी भगाने,एक्जिमा, दाद, त्वचा पर खुजली, जलन के काम आता है वहीं बाकायन की पत्तियों को उबालकर प्रभावित जोड़ों पर लगाने से दर्द से राहत मिलती है। इसकी पत्ती का काढ़ा हार्निया के इलाज में, छाल का पेस्ट जोड़ों के दर्द में,
गुर्दे की समस्या काम आता है वहीं फूलों का पेस्ट जूं ढेरा को नष्ट कर देता है। कुष्ठ एवं अल्सर में छाल काम में
लाई जाती है।बकायन के पत्तों का रस अनियमित मासिक, भारी मासिक धर्म के लिए जबकि छाल
मुंह के छाले, मसूड़ों की समस्या, सांसों की दुर्गंध, पत्तियों का पानी माउथ वॉश के रूप में,मसूड़े की सूजन कम करने में मददगार है।
जानवरों में आंतरिक परजीवी को हटाने के लिए फल एवं पत्तियों का उपयोग किया जाता है।
   इसके फलों के मोतियों को मठों में भिक्षुओं द्वारा मालाओं में बनाया जाता है। संक्रामक रोगों को कम करने के लिए उन्हें एक हार के रूप में पहना जाता है। पत्तियां चारे के लिए अत्यधिक पौष्टिक होती हैं।
    इसकी लकड़ी का उपयोग कृषि औजार, फर्नीचर, प्लाईवुड, बक्से, डंडे, उपकरण के हैंडल बनाने के लिए किया जाता है। इसके फल अगर
8 तक लिए जाए तो विषाक्त साबित होते हैं। यह गर्भावस्था और स्तनपान में,यह पीरियड्स की शुरुआत को बढ़ावा देने,मुंह में जलन, खून की उल्टी, मूत्र की असामान्य रूप से कम मात्रा में उत्पादन आदि हो सकता है। यह शुक्राणुओं की संख्या कम करके पुरुष प्रजनन क्षमता को कम करता है।













यह बकायन आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा पद्धति में चिकित्सीय उद्देश्य के लिए किया जाता है।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा** 


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