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Sunday, March 8, 2020




गुलदाउदी  
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जाड़े की रानी
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ग्लोरी आफ  ईस्ट ***************************** ***************************** ***********
मम
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गुलदाउदी
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क्राइसैंथिमम इंडिकम
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 गुलदाउदी एक बारहमासी सजावटी फूलों का पौधा है। इसकी करीब 150 प्रजातियां पाई जाती हैं।  इसका जीनस क्राइसैंथिमम है जिसका शाब्दिक अर्थ स्वर्णपुष्प है। इस जाति का पुष्प छोटा तथा एनीमोन सदृश होता है।
गुलदाउदी में नर तथा मादा फूल एक ही फूल में पाए जाते हैं अर्थात द्विलिंगी होता है।। यह एक शाकरूपी पौधा होता है। इसे द्विबीजपत्री पौधा होता है। यह सर्दियों में बहुत फूल प्रदान करता है। इस पौधे को गेंदे कुल में श्शामिल किया गया है। यह कीटों को बहुत आकर्षित करता है।
गुलदाउदी संसार के सबसे अधिक शरद ऋतु में फूलने वाला पौधा होता है। इसकी उत्पत्ति चीन है। 1780 में फ्रांस में इसे सबसे पहले उत्पन्न किया। इसके सुंदर तथा मोहक रूप के कारण और इसके फूलों में कीटनाशक पदार्थ पाईथ्रोम  होने के कारण गुलदाउदी का प्रसार बहुत ही विस्तृत हो गया। गुलदाउदी का वैज्ञानिक नाम क्राइसैंथिमस इंडिकम  हैं।

गुलदाउदी का पौधा शाक की श्रेणी में आता है। इसकी जड़ें मूसलादार होती हैं जिससे अनेकों रेशेदार जड़े निकलती हैं। तना कोमल, सीधा तथा कभी कभी रोएदार होता है। पत्ती एकांतर, सम तथा कोर कटी तथा विभाजित होती हैं। पुष्पों के संग्रहीत होने के कारण एक इंफ्लोरेंस के रूप में होता है। पूर्ण इंफ्लोरेंस पौधे के शिखर पर एक लंबे डंठल के ऊपर स्थित रहता है। इस डंठल के निचले भाग से और भी इंफ्लोरेंस निकलते हैं। फूल सफेद पीली, नीली अथवा गुलाबी होते है। फूल द्विलिंगी होते हैं।
गुलदाउदी कायिक वर्धन तथा बीजों द्वारा उगाई जाती है। दोमट मिट्टी में गुलदाउदी की अच्छी वृद्धि होती है। तने से निकलने वाली शाखाएं ही नए पौधे के निर्माण में काम आती हैं।
सुंदरता होने के अतिरिक्त कुछ जातियों के फूल कीटनाशक गुणवाले होते हैं। सबसे पहले ईरान में गुलदाउदी के फूल कीटनाशक रूप में प्रयुक्त हुए।  व्यापारिक स्तर पर गुलदाउदी की खेती भारत सहित कई देशों में की जाती है।

गुलदाउदी सामान्य रूप से छोटी दिन अवधि का पौधा है। लंबे दिन की अवधि में फूल खिल नहीं पाएगा। पौधे के वानस्पतिक विकास के लिए ज्यादा लंबे दिन की आवश्यकता होती है। भारत के कई राज्यों में इसकी खेती होती है। गुलदाउदी को उनकी वृद्धि के आधार पर, बहुवार्षिक गुलदाउदी,फूल खिलने के आकार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। कुछ गुलदाउदी बड़े फूल वाली किस्में, छोटे फूल वाली किस्में आदि इसकी प्रकार पाई जाती हैं। जंगली गुलदाउदी भी पाई जाती हैं। गुलदाउदी की खेती पहली बार चीन में फूल की जड़ी बूटी के रूप में की गई थी।
 अलग अलग देशों में गुलदाउदी का नाम अलग अलग है।  जापान में तो गुलदाउदी दिवस त्योहार मनाया जाता है। गुलदाउदी की कई संकर प्रजातियां हैं जो बागवानी प्रयोजनों के लिए विकसित की गई हैं। पारंपरिक पीले रंग के अलावा सफेद, बैंगनी और लाल रंगों की गुलदाउदी काम में लाई जाती हैं।
जापान में, सदियों से बोन्साई गुलदाउदी का एक रूप विकसित किया गया था। सुसंस्कृत फूल की उम्र लगभग 5 वर्ष होती है।

गुलदाउदी के फूलों का प्रयोग चूर्ण अथवा अर्क के रूप में होता है। साधारणतया इससे प्राप्त पाईथ्रोम कीड़ों पर ही प्रभाव डालता है। मनुष्यों को इससे कोई हानि नहीं होती। अत: इसका प्रयोग घर में खटमल, मच्छर आदि के नाश के लिए किया जाता है।
 पाईथ्रोम तेल का छिड़काव पशुओं के लिए हानिकारक मक्खियों को मारने में किया जाता है पाईथ्रोम का अत्यंत महीन चूर्ण उद्यानों में कीटनाशक के रूप में सफल सिद्ध हुआ है। यद्यपि आजकल पाईथ्रोम का छिड़काव ही मुख्यतया उपयोग में लाया जाता है।
पाईथ्रोम का कीटनाशक गुण इसके फूल को एकत्र करने के समय तथा सुखाने के ढंग पर निर्भर करता है। छाया में सुखाए हुए फूलों से कीटनाशक अंश की प्राप्ति अधिक मात्रा में की जा सकती है।  विस्तृत रूप से बगीचे में उगाया जाता है तथा भारत में व्यावसायिक रूप से खेती किए जाने वाले पांच फूलों में से एक है।

इसका माला बनाने के लिए, खुले फूलों के लिए, वेनी में लगाने, गुलदस्तों में सजाने एवं प्रदर्शनी के लिए तथा बगीचा सजाने में इस्तेमाल करते हैं। जापान में इसे राजशाही का प्रतीक अभी भी माना जाता है। पीले या सफेद गुलदाउदी फूल एशिया के कुछ हिस्सों में चाय बनाने के लिए उबाले जाते हैं। परिणामी पेय को साधारण रूप से गुलदाउदी चाय के रूप में जाना जाता है।
गुलदाउदी के पत्तों को स्टीम या उबला हुआ और साग के रूप में उपयोग किया जाता है, खासकर चीनी व्यंजनों में।
पाइरेथ्रम कीटनाशक के प्राकृतिक स्रोत के रूप में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। फूलों का चूर्ण बनाया जाता है और सक्रिय घटक, पाइरेथ्रिन कहा जाता है। यह कीड़ों के तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और मादा मच्छरों को काटने से रोकता है। स्तनधारियों और पक्षियों के लिए कम विषाक्त हैं। वे निरंतर नहीं होते हैं, बायोडिग्रेडेबल होते हैं, और प्रकाश के संपर्क में आसानी से विघटित भी होते हैं। फ़ारसी पाउडर गुलदाउदी कीटनाशक के औद्योगिक उत्पाद का एक उदाहरण है।
पर्यावरण को साफ करने के लिए उपयोग होता है। वायु प्रदूषण रोकने में गुलदाउदी पौधा काम आता है।
कुछ देशों में में, चिड़चिड़ा गुलदाउदी मौत का प्रतीक है और केवल अंतिम संस्कार के लिए या कब्रों पर उपयोग किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, फूल को आमतौर पर सकारात्मक और हंसमुख माना जाता है।
ऑस्ट्रेलिया में मदर्स डे पर, जो मई में फूल के मौसम में आता है, लोग पारंपरिक रूप से अपनी मां को सम्मान देने के लिए सफेद गुलदाउदी या इसी तरह का सफेद फूल पहनते हैं। गुलदाउदी को अक्सर मातृ दिवस के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
कई जापानी शहरों में गुलदाउदी शो आयोजित होते हैं। गुलदाउदी काफी पौष्टिक और हृदय के लिए लाभकारी होती है। यह वीर्यवर्धक, शरीर की चमक बढ़ाने वाली, वात तथा पित्त को शान्त करने वाली तथा जलन को समाप्त करने वाली होती है। इसकी जड़ को चबाने से मुंह में चरमराहट उत्पन्न होती है। इसके फूल भोजन को पचाने वाले, हृदय को स्वस्थ रखने वाले तथा रक्त का प्रवाह ठीक करने वाले होते हैं।
गुलदाउदी के फूल सफेद, नारंगी, पीले, गुलाबी, बैंगनी अनेक रंगों के होते हैं। गुलदाऊदी की पत्तियां भी आकार में अलग-अलग होती हैं। यह सीधा, कम पत्तों वाला, कुछ ही वर्ष तक जीवित रहने वाला पौधा होता है। गुलदाउदी के फूल छोटे और बड़े दो प्रकार के होते हैं। छोटे तथा सफेद अथवा पीले रंग के फूल वाली गुलदाउदी औषधि के लिए अधिक गुणकारी है।
गुलदाउदी के पौधे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखते हैं, जिससे घर के सदस्यों का सामान्य स्वास्थ्य ठीक रहता है। गुलदाउदी के फूलों के अलावा पत्तियां और जड़ भी बहुत फायदेमंद होती हैं। बड़े फूलों की बजाय गुलदाउदी के छोटे फूल अधिक फायदेमंद होते हैं।
इसके फूलों और पत्तियों को सुखाकर रख लें और जरूरत पडऩे पर इन्हें पानी में उबालकर चाय के समान पीते हैं। यह प्रयोग अनेक प्रकार के रोगों में लाभ देता है। यहां गुलदाउदी के कुछ ऐसे प्रयोग बताए जा रहे हैं जिनसे कई गंभीर बीमारियों को ठीक कर सकते हैं।
गुलदाउदी माइग्रेन में फायदेमंद है। यह
माइग्रेन सिर दर्द का एक प्रकार है, जो सिर के केवल आधे हिस्से में होता है। माइग्रेन सिर के किसी एक हिस्से में बहुत ही तेज और असहनीय दर्द होता है। इसकी वजह से लकवा और ब्रेन हैमरेज होने की भी संभावना रहती है। गुलदाउदी के पत्तों को पीसकर मस्तक पर लगाने से माइग्रेन दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।
गुलदाऊदी के फूलों को पीसकर लगाने से आंखों की जलन, दर्द और खुजली आदि आँख की समस्याएं ठीक होती हैं। इसे आंखों में काजल की तरह लगाते हैं। पेट में गैस बनना और उसके कारण दर्द की परेशानी में लाभकारी है।
  गुलदाउदी बवासीर में, मूत्र रोग में ,पेशाब की समस्या दूर करने, पथरी निकालने में,
मासिक धर्म विकार में लाभकारी है वहीं सिर दर्द को दूर करने में काम में लेते हैं। गुलदाउदी
सूजन मिटाने, मुंह के छाले दूर करने, हदय विकारों को दूर करने,  शरीर में अंदरूनी शक्ति बढ़ाने में, सिरदर्द से राहत पाने,
कटे-जले में, घाव ठीक करने में काम आती है।
गुलदाउदी के पत्ते, जड़, फूल काम आते हैं। गुलदाउदी बाग बगीचों की शान होती है।
 
















**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

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