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Saturday, May 2, 2020

मसाले ...............
 जीरा
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क्यूमिनम सायमिनम
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जीरक
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जीरा मसाले के रूप में अक्सर सब्जियों में डालते हैं। मसाले पिसे हुए या बिना पिसे दोनों रूपों में मिलते हैं जहां लोग पिसे हुए मसालों में मिलावट की बात कहते हैं वहीं बिना पिसे मसालों में मिलावट की कुछ संभावना कम होती है। वास्तव में मसाले हमारे भोजन को स्वादिष्ट बनाते हैं वहीं भूख को बढ़ाते हैं।
 मसालों में सूखे बीज, फल, जड़, छाल या सब्जियों को मसाले के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। देखने में आता है कुछ लोग जड़ी बूटियों को मसालों में शामिल कर देते हैं लेकिन मसाले एवं जड़ी बूटियां अलग-अलग होती हैं। इन मसलों में सबसे बड़ी विशेषता है कि यह सूक्ष्म जीवो(जीवाणुओं) को नष्ट कर देते हैं।
   भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में तो मसालों पर अधिक जोर दिया जाता है। अक्सर खाना पकाने से पहले मसालों का प्रबंध किया जाता है। मसाले पीस कूटकर तैयार किए जाते थे लेकिन आजकल आधुनिक यंत्रों में उन्हें पीसा जाता है और उन्हें पैक करके बेचा भी जाता है। आज के दिन भारी मात्रा में कंपनियां मसाले बनाने पर उतरी हुई हैं।
   मसाले खुशबू और रंग के लिए भी जाने जाते हैं। जीरा, इलायची, लौंग, दालचीनी, हल्दी, मिर्च धनिया आदि बहुत से मसाले होते हैं। मसालों के कारण भोजन को चाव से खाया जाता है।
  मसाले आखिर क्यों खाए जाते हैं? क्योंकि मसाले सेहत के लिए लाभप्रद होते हैं, प्राय देखा गया है लोग सब्जी बनने के बाद भी मसाले की चुटकी डालते हैं। मसालों में जहां जीवाणु रोकने एवं एंटीसेप्टिक का गुण पाया जाता है वहीं मसाले पुराने समय से प्रयोग किए जाते रहे हैं। बुजुर्ग तो सामान्य मसालों को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयोग करते हैं। वे पिसे हुए मसालों में जरा भी विश्वास नहीं करते हैं।
   मसालों के रूप में सब्जियों का रंग, स्वाद, बढ़ाने के लिए अलग-अलग मसाले का मिलाए जाते हैं लेकिन यह सत्य है कि मसाले सर्दी और गर्मी दोनों के अनुरूप अलग-अलग होते हैं। वैसे तो मसालों की लंबी शृंखला है लेकिन मसालों में जीरा धिक प्रयोग किया जाता है। जीरे के बारे में सबसे पहले जानकारी देना उचित रहेगा।
   जीरा का वैज्ञानिक नाम क्यूमिनम सायमिनम है। यह एक फूलधारी पौधा है। इसके बीजों को सुखाकर पिसे रूप या साबुत रूप में प्रयोग किए जाते हैं। यह पौधा देखने में सौंफ जैसा पौधा होता है। इसे जीरक भी कहा कहा जाता है। अन्न को पचाने में इसका अहम योगदान है। 

  जीरा पौधा के बीज काम में लाए जाते हैं। वैसे तो जीरा के करे पौधे को भी प्रयोग में लेते हैं क्योंकि इसकी पत्तियां बहुत मुलायम होती है। इसलिए जीरा प्रयोग करने से अनेकों लाभ होते हैं। जीरा भूनकर भी लोग दही रायता, कोफत तथा दही बड़ा आदि विभिन्न लजीज पदार्थों में डालते हैं जिससे खुशबू सूंघने से ही बनती है। खाने में जीरा अहम भूमिका निभाता है। किसी तड़का आदि के देने में विशेषकर सब्जी के तड़का देने में इसका योगदान है। यह एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ सूजन कम करता है। इसमें फाइबर पाए जाते हैं। आने को रासायनिक तत्वों जिनमें लोहा, तांबा, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, मैग्नीज आदि पाए जाते हैं। यही नहीं जीरा में विटामिन ई,ए, सी, बी-कंपलेक्स आदि पाए जाते हैं।
   जीरा सूप, सब्जी, दाल, सलाद, जूस ,रायता दही बड़ा आदि अनेकों पदार्थों में डाला जाता है।  यह पेट दर्द, डायरिया, मोर्निंग सिकनेस आदि में बहुत लाभप्रद है। भुने हुए जीरे को पानी में मिलाकर पिलाने से पेट संबंधी समस्याएं हल हो जाती है। यदि गैस से पेट दर्द होने पर एक गिलास पानी में चुटकी भर नमक, जीरा, अदरक, सेंधा नमक जीरा डालकर उबालकर छानकर पिलाते हैं जो पेट संबंधित तकलीफों को दूर करता है। यदि बच्चे के पेट में दर्द हो तो पानी में जीरा उबालकर ठंडा करें और पिलाया जाता है।
    खून की कमी में जीरा प्रयोग किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को भी जीरा से लाभ है क्योंकि इसमें लोहा पाया जाता है। यह वजन को कम करता है और कोलेस्ट्रॉल को घटाता है। इसका प्रयोग दही के साथ करना बेहतर होता है। हड्डियों को मजबूत बनाता है, नींद नहीं आती तो केले में भुना हुआ जीरा प्रयोग करना चाहिए।
  जीरे से जहां याददाश्त बढ़ती है वहीं एंटी ऑक्सीडेंट की तरह कार्य करता है। शुगर की बीमारी में भी यह लाभप्रद माना जाता है।
   जीरे के जहां पराठे भी बनाए जाते हैं वही जीरा हारा से कम नहीं है। प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है। पाचन शक्ति को बढ़ाता है वहीं बुखार, सर्दी, जुकाम से भी राहत देता है। वजन कम करता है। गठिया के इलाज में लाभप्रद है। पेट दर्द और मधुमेह में भी लाभकारी है। त्वचा के लिए भी जीरा लाभप्रद है वहीं बुढ़ापे को रोकता है। फोड़े फुंसी के इलाज में भी बहुत लाभप्रद है।
    खुजली, शरीर के की सुंदरता आदि के लिए, बालों को बेहतर बनाने लिए भी लाभप्रद है। जीरे में जहां कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन आदि भी पाए जाते हैं इसके अतिरिक्त बीटा कैरोटीन भी पाया जाता है। जीरे की चाय भी पीते हैं। जीरे के तड़के से चावल भी पकाए जाते हैं। जीरे के सैकड़ों उपयोग हैं।
 जीरा कुछ व्यक्तियों में थोड़ा बहुत समस्या पैदा करता है क्योंकि इसकी तासीर गर्म है।  कुछ एक में एलर्जी का कारण बन सकता है वहीं जीरा से ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है, सीने में जलन आदि भी कुछ प्रभाव पड़ सकते हैं लेकिन इसके कुप्रभाव बहुत कम है लाभ अधिक हैं।
  **होशियार सिंह, लेखक,कनीना, जिला महेंद्रगढ़,हरियाणा

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