Powered By Blogger

Wednesday, May 27, 2020






 

 सांटी

*******************************

**********************************










**************************** ***************************** *******
पुनर्नवा
**************************** *
***************
शोथहीन/गदहपूरना
**************************** ****************************
बोरहविया डिफूजा
**************************** *
****************************
सांटी एक बहुवर्षीय पौधा होता है जो अक्सर धरती पर फैलता है। यह दो-तीन मीटर लंबा हो सकता है। विषम परिस्थितियों में यह शांत पड़ा रहता है और जब भी मौसम अनुकूल हो इस पर पत्ते नजर आते हैं। इस प्रकार यह फिर से नया बन जाता है। यह पौधा बुढ़ापा रोकने में कारगर साबित होता है।
 सांटी के पत्ते प्राय हरे रंग के, गोल नजर आते हैं। वास्तव में पुनर्नवा का अर्थ है फिर से नया होने वाला अर्थात जब यह पौधा मौसम प्रतिकूल होता है तो अपने आप को समेट लेता है, पत्तियां  एवं टहनी खत्म हो जाती है किंतु जब बारिश होती है या पानी की आपूर्ति होती है फिर से यह नया बन जाता है और नया जीवन धारण करने के कारण इसे पुनर्नवा कहते हैं।
 वास्तव में जीर्ण शीर्ण अवस्था आने पर फिर से नया रूप धारण करता है। मुनियों ने इसका नाम पुनर्नवा रखा है। इसकी कई प्रकार पाई जाती है किंतु सबसे बेहतरीन सफेद फूल वाला, हरे रंग का, धरती पर फैलने वाला होता है जिसे बोरहविया  डिफ्यूजा कहते है। इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह हरे रंग का होता है इससे मिलता-जुलता एक और पौधा लाल रंग का होता है जिसे लाल पुनर्नवा कहते हैं।
  सांटी शाक खेतों में, सब्जियों में, उगाये गए फसल में, सड़क के किनारे, ट्रेन की पटरी के साथ-साथ अधिक मात्रा में मिल जाता है। यह विषम परिस्थितियों को सहन करने वाला होता है। इस पौधे में भारी मात्रा में काले रंग के बीज निकलते हैं जिनकी तीखी गंध होती है।
  आयुर्वेद की नजर में गर्म, कफ नाशक, रूखा सूजन मिटाने वाला, पीलिया रोग में लाभप्रद, खांसी और पीड़ा में बहुत लाभप्रद है। इस पौधे में वास्तव में एलकेलोइडस पाए जाते हैं जिन की मात्रा 6 फीसदी के करीब होती है। इसमें जल मे न घुलने वाला पदार्थ भी पाया जाता है जिसे स्टेरॉन कहते हैं। इसमें बहुत से कार्बनिक अमल पाए जाते हैं साथ में पोटैशियम नाइट्रेट, सोडियम सल्फेट आदि मिलते हैं।
यह पौधा शाक के रूप में मिलता है जो कई बार भूमि पर खड़ा भी हो जाता है। भारत में अक्सर यह दवाओं में काम आता है और जंगल में स्वयं उगता है। लोग इसकी जड़, पत्ते और बीज काम में लेते हैं। इसकी जड़ लंबी और मोटी होती है जो फूली हुई होती है। पत्ते सूप बनाने , ग्रामीण क्षेत्रों में यह खाटा का साग, कढ़ी में में प्रयोग किया जाता है। इसको पकाकर भाजी बनाई जाती है। यह पौधा विषाणु के लिए होस्ट का काम भी करता है अर्था तविषाणु इसी पर आश्रित रहते हैं।
  सांटी को अलग अलग क्षेत्रों में कई हो गई नाम से भी जाना जाता है । जड़ सहित पूरे पौधे को काम में लेते हैं। यह कड़वा मूत्र वर्धक, रेचक और पेट के लिए लाभप्रद माना जाता है। इसका उपयोग गैस्ट्रिक गड़बड़ होने, अस्थमा, पीलिया, एनीमिया आदि में किया जाता है। सांप के जहर को नष्ट करने के काम में लेते हैं। पत्तियों का काढ़ा पीलिया रोग दूर करने के लिए किया जाता है। वही लीवर की समस्या को मिटाने के लिए भी पत्तियों का उपयोग किया जाता है। पेट की बीमारियों में बहुत लाभप्रद है। पेचिश के इलाज में काम में लाया जाता है। उबली हुई जड़े अल्सर, फोड़ा फुंसी आदि में उपयोगी है।
पुनर्नवा किसान के लिए ही नहीं इंसान के लिए भी वरदान साबित होता है। यह सैकड़ों प्रकार की समस्याओं इलाज में काम में लाया जाता है। अनेक दवाइयां इसी से बनी होती हैं। यह आंखों के रोग, दमा, हृदयरोग, उदर रोग, प्लीहा के रोग गुर्दे की बीमारी, अनिद्रा में विशेष रूप से काम में लाया जाता है। बच्चों की खांसी, जहरीले कीटों के काटने पर इलाज करने के काम में लाया जाता है। इसलिए इसे धरती का वरदान माना जाता है।
  पुनर्नवा मोटापा दूर करने के लिए प्रयोग की जाने वाली हर्बल दवाओं में काम में लाया जाता है क्योंकि इसमें पोटेशियम पाया जाता है। कैंसर में भी लाभप्रद है वहीं तनाव दूर करने, मधुमेह दूर करने में अहम योगदान है। यह भी माना जाता है कि एक बूढ़े व्यक्ति को फिर से जवानी की ओर ले जा सकता है। इसलिए इसे पुनर्नवा से संबोधित करते हैं।
 पीलिया में तो रामबाण है वही बुखार, कमजोरी जैसे लक्षण नजर आए तो उस समय यह प्रयोग किया जाता है। जिगर की समस्या हो, गुर्दे की समस्या हो तो काम आता है। गठिया के इलाज में इसकी जड़ काम में लेते हैं।
क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोग इसके उपयोग को जानते हैं। यही कारण है कि विशेष शाक के रूप में काम में लेते हैं। कुछ लोग इसको देखकर दूर भागते हैं क्योंकि उनको इस पौधे के बारे में कोई ज्ञान नहीं होता है।
सांटी का पौधा पौष्टिक एवं गुणों से परिपूर्ण होता है जिसमें लोहा, प्रोटीन, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम आदि तत्व पाए जाते हैं। वास्तव में यह पौधा शरीर से मल को बाहर निकालने में लाभप्रद होता है। यह मधुमेह, दमा, उच्च रक्तचाप ,बुढ़ापे को रोकने में,बालों के रोगों की समस्या मितटाता है। पथरी को दूर करने के लिए दूध में उबालकर सुबह-शाम पीते हैं, वहीं पागल कुत्ते के काटने पर भी यह काम में लाया जाता है, खूनी बवासीर योनि शूल, जलोदर, हाथी पाव जैसे रोगों में काम में लेते है।
  
इसकी बुद्धि पुनर्नवा धनवती नाम से जानी जाती है। यदि कोई उम्र भर जवान एवं निरोग की रहना चाहता चाहत रखता है तो वह सांटी का उपयोग कर सकता है।
यह पाचन क्रिया को ठीक करता है, वजन घटाता है वही चर्म रोग में लाभकारी है। आंखों से पानी गिरता है तो इसके जड़ को शहद में मिलाकर पीने से लाभ होता है। फोड़ा फुंसी के इलाज में इसे देसी घी में मिलाकर पीते हैं। एलर्जी, खून साफ करने आदि में ही का उपयोग किया जाता है।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा*
**




सांटी या पुनर्नवा
****************************************
*******************************************
*********************************************************
     (बोराहविया डिफूजा)
शास्त्रों और आयुर्वेद में
भरा हुआ जिसका नाम
सांटी उसे गांवों में कहते
पुनर्नवा कहलाए बेदाम,

                 पूरे विश्व में मिलता शाक
                 गर्मी में यह सूख जाता है
                 बारिश में फिर हो जीवित
                अत: पुनर्नवा कहलाता है,

तीन प्रकार का यह होता
सफेद फूल का सर्वोत्तम है
खाए बुजुर्ग हो फिर जवान
शरीर का मिटाता सारे तम,

                         कढ़ी बनाओ या खाटा साग
                         फिर बनाकर खा लो भाजी
                        या सब्जी में डालकर खाओ
                        कर देता यह मन को राजी,

खून की कमी तन में आए
झटपट यह खून को बढ़ाता
पशुचारा कहलाए ये उत्तम
सर्वोत्तम ये फोडर कहलाता,

                     आंखों में जब हो जाते रोग
                     खा रही है इसको पूरी सृष्टि
                    खा लो इसको जी  भर  कर
                     बढ़ जाएगी आंखों की दृष्टि,

जब ब्लड शूगर बढ़ जाता
या फिर दिल का रोग सताए
औरत में हार्मोन असंतुलन
पुनर्नवा को घर में ले आए,

                     पेचिस के रोगाणु को मारती
                    कैसर में कहलाती गुणकारी
                    थकान मिटाती खून बढ़ाती



                   करो दोस्तों सांटी से ही यारी।
****होशियार सिंह, लेखक, कनीना****

No comments: