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Tuesday, May 19, 2020

नीम
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औषधियों का भंडार पौधा
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घर या गांव का वैद्य
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नीम भारतीय मूल का एक वृक्ष है जो पतझड़ में अपने पत्ते गिरा देता है। यह सदियों से विभिन्न देशों में पाया जाता रहा है। अब यह अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, अमरीका तथा विभिन्न देशों में भी पहुंच चुका है। इसका वानस्पतिक नाम अजाडिरक्ता इंडिका है।
नीम एक तेजी से बढऩे वाला पर्णपाती पेड़ है, जो 65 फुट तक की ऊंचाई तक पहुंच सकता है।  जब सूखा पड़ता है तो नीम की सभी पत्तियां झड़ जाती हैं। इसकी शाखाओं का प्रसार व्यापक होता है। इसकी छाल कठोर,दरारयुक्त होती है और इसका रंग सफेद-धूसर या लाल, भूरा भी हो सकता है। यदि नीम के तने को काटकर देखा जाए तो अंदर से लाल रंग का निकलता है। यह द्विबीजपत्री पौधा होता है जिसकी जड़े मूसला प्रकार की होती है।
नीम की पत्तियां लंबी होती है जिसमें जनमें हरे रंग के पत्रक होते हैं। पर्णवृंत छोटा होता है। नयी पत्तियां लालिमा लिये होती है। पत्तों के किनारे दांतादार होते हैं।
फूल सफेद और सुगन्धित होते हैं। फूल गुच्छे के रूप में लंबा होता है। इसका फल बारिश के मौसम में लगता है जो गोल या अंडाकार होता है और इसे निंबोली कहते हैं। कच्चा फल हरे रंग का होता है जिसे तोडऩे पर सफेद रस निकलता है जो अति कड़वा होता है।  गुठली सफेद और कठोर होती है जिसमें अकसर दो-तीन बीज होते हैं।
नीम अकसर पार्कों, घरों के आस पास तथा जंगलों में भी पाया जाता है। मक्का के पास तीर्थयात्रियों के लिए छाया प्रदान करने के लिए हजारों नीम के पेड़ लगाए गए हैं।

नीम का पेड़ सूखे में भी बेहतर ढंग से पनपते हैं। यह शुष्क और कम नमी वाले क्षेत्रों में पनपता है। नीम कई अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में पनप सकता है।  नीम एक जीवनदायी वृक्ष है। यह सूखे में जीवित रहने वाला तथा हर प्रकार के जल में पनप सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में हरियाणा में यह पेड़ छाया के लिए घर आंगन में उगाया जाता है।  पटाखों के लिए प्रसिद्ध शिवकाशी में इनकी छाया में आतिशबाजी बनाने का काम किया जाता है।
यह पौधा घर का वैद्य कहा जाता है। आयुर्वेद में नीम को बहुत ही उपयोगी पेड़ माना गया है। इसका स्वाद तो कड़वा होते हुए भी सैकड़ों लाभ हैं।
चर्म रोगों के इलाज के लिए छाल का लेप किया जाता है। वहीं दांतों में पायरिया की शिकायत हो या फिर मसूड़े खराब हो तो इसकी दातुन की जाती है। खून के विकार होने पर नीम की पत्तियां चबाई जाती हैं। वहीं नीम के चबाने से त्वचा विकार रहित और चमकयुक्त बन जाती है।

इसकी सूखी पत्तियों को अनाज में डालने से कीड़े नहीं लगते वहीं हरी पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं। यह रोगाणुओं को मार डालता है ऐसे में चेचक के समय इसके पत्तों से नहाते हैं। इसकी निबोरी(फल) से प्राप्त तेल से मालिश की जाती है।
बालों को स्वस्थ रखने व बालों के झडऩे की समस्या से बचने के लिए  नीम का प्रयोग किया जाता है वहीं आंख का रोग जिसे आंख आना कहा जाता है, आने पर नीम की पत्तियों का रस लाभप्रद होता है। पत्तियों के रस और शहद को मिलाकर पीने से पीलिया रोग दूर होता है वहीं नीम के तेल से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में लाभ मिलता है। नीम के बीजों के चूर्ण को खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में में लाभ होता है वहीं आयुर्वेद में
नीम घनवटी औषधि मधुमेह एवं  शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है। नीम के अर्क से फसलों में छिड़कने की दवा बनाई जाती है ताकि पीड़कों से बचा जा सके। नीम का उपयोग बुखार को दूर करने के लिए किया जाता है। घर में नीम जहां परिवार के स्वास्थ्य को ठीक रखता है वहीं घर में रोगाणुओं को प्रवेश करने से रोकता है। 

नीम जले हुए पर पत्तियां पीसकर लगाने से आराम मिलता है, कान में दर्द हो तो नीम का तेल लाभप्रद होता है और जख्मों के लिए नीम की पत्तियां बहुत कारगर है। नीम एक एंटीबायोटिक्स का गुण रखता है। यह सर्वोच्च औषधि के रूप में माना जाता है। कड़वा होते हुए भी लाभ अमृत के समान मिलते हैं। बिच्छू या ततैया यदि काट जाए तो नीम के पत्तों को पीसकर लेप किया जाता है। घाव भरने के लिए भी नीम की पत्तियां प्रयोग की जाती है। दाद या खुजली की समस्या को दूर करने के लिए नीम की पत्तियां पीसकर लगाई जाती है। गुर्दे की पत्थरी होने पर नीम के पत्तों की राख पानी के साथ लेने से गुर्दे की पथरी बाहर आ जाती है। नीम की छाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से बुखार दूर हो जाता है। खासी, बवासीर मधुमेह, पेट के कीड़े आदि खत्म करने के काम आता है। इसलिए नीम को उबालकर पीना लाभप्रद है। नीम सिरदर्द, दांत दर्द, हाथ पैर दर्द, सीने के दर्द आदि में तेल की मालिश से आराम मिलता है। मुंह में दुर्गंध आती है उस समय भी नीम की दातुन करनी चाहिए। चेहरे पर कील मुंहासे होने पर नीम की छाल के पानी से धोया जाता है। नीम के तेल में कपूर मिलाकरलगाने से बहुत लाभ होता है।
गर्मियों में नीम के पेड़ के नीचे बैठने से जहां बेहतर स्वास्थ्य वर्धक हवा प्राप्त होती है वहीं नीम को घर या गांव का वैध कहलाता है। इसलिए  कि इसके लाभ अधिक होते हैं। नीम हकीम खतरा-ए जान वाली कहावत भी नीम पर ही लागू होती है वहीं एक करेला दूसरा नीम चढ़ा वाली कहावत भी नीम पर लागू होती है। नीम का हर भाग लाभकारी है।
नीम से गर्भ निरोधक दवा बनाई जाती है। नीम की छाल को मुंह में दबाने से बदबू दूर हो जाती है। एंटीबायोटिक्स का गुण पाया जाता है जिसके साबुन आदि भी बनाए जाते हैं ताकि शरीर पर लगाने से रोगाणुओं को नाश कर सके। नीम के तेल से अस्थमा रोग दूर होता है। यदि का बुखार एवं खांसी की समस्याएं हो तो नीम के तेल से दूर की जाती है।
 कैंसर के रोकथाम में भी नीम बहुत कारगर है। कुष्ठ रोग जिसे कोढ़ कहते हैं में नीम के बीज प्रयोग किए जाते हैं। नीम के फूल से निकाला गया तेल शरीर में हार्मोन का स्तर संतुलित करता है। कई प्रकार की क्रीम भी नीम के फूल से बनाई जाती हैं। जोड़ों के दर्द में पत्ते एवं फूलों को उबालकर पीते हैं। यदि कोलस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित करनी है तो नीम प्रयोग किया जाता है।
मलेरिया के इलाज में नीम का अर्क काम में लाया जाता है। पाचन संबंधी विकार दूर करने में नीम का योगदान है। आंखों के नीचे काले घेरे बन जाते हैं जो नींद की कमी या कार्य की अधिकता या थकान के कारण बनते हैं, ऐसे में नीम के पाउडर को पानी में मिलाकर धब्बों पर लगाकर दूर किया जाता है। यदि सिर के बाल उड़ रहे हैं, गंजापन है तो भी नीम का तेल लगाया जाता है।

 त्वचा की खुश्की को दूर करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। जहां नीम के लाभ है वहीं इसकी कुछ हानियां भी है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बहुत सक्रिय कर देता है वहीं छोटे बच्चों में उल्टी, दस्त आदि का रोग हो जाता है। गर्भवती महिलाओं के लिए नीम बहुत घातक है। महिला और पुरुषों में बांझपन का रोग कर सकता है।
नीमको भारत में गांव का दवाखाना नाम से जाना जाता है। नीमको अरिष्ट कहा जाता है जिसका अर्थ होता खराब नहीं होने वाला। नीम के पत्ते भारत से कई देशों में निर्यात किए जाते हैं।
नीम रक्त धमनियों में जमा होने वाले पदार्थों को भी साफ कर सकता है। यह कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने की क्षमता रखता है।
नीम के 100 से ज्यादा फायदे बताए जाते हैं। किसानों के लिए बहुत लाभप्रद है। जहां फसलों में नीम का पानी छिड़का जाता है वही अनाज को बचाने के लिए भी नीम की पत्तियां डाली जाती है। यह त्रिदोषों को दूर करने वाला माना जाता है। नीम में कई चमत्कारिक गुण पाए जाते हैं यही कारण है कि 4000 वर्षों से भी अधिक समय से नीम का उपयोग होता आ रहा है।
अल्सर की बीमारी भी नीम के पत्तों से दूर हो सकती है वहीं एलर्जी लोगों में भी यह लाभप्रद है।
नीम एंटी ऐजिंग क्रीम में उपयोग होता है। त्वचा को सूखने से रोकने, दाग धब्बों को दूर करने में उपयोग होता है। एक्जिमा रोग में बहुत महत्वपूर्ण है वही लिवर को स्वस्थ रखता है। रूसी को कम कर देता है। अगर सिर में जुओं की समस्या है तो नीम के तेल से दूर की जाती है वही सफेद बालों को होने से बचा सकता है। मच्छर, कीड़े मकोड़े , खटमल भी













इससे दूर भागते हैं।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,महेंद्रगढ़, हरियाणा**




               नीम
(मेलिया अजाडिरक्टा या अजाडिरेक्टा इंडिका)
भारतीय मूल का पौधा
मिलता खूब देश विदेश
सदाबहार पौधा कहाए
नहीं करता किसी से द्वेष,

                 मूसला जड़ ,हरे हैं पत्ते
              तना अंदर से होता लाल
             फल निबोली कहलाते हैं
              वृक्ष बनता अति विशाल,

सफेद सुगंधित फूल लगे
फल में दो-तीन बीज बने
कम पानी में भी फले फूले
पक्षी बैठते हैं इस पर घने,

                  मक्का में 50 हजार नीम लगे
                यात्रियों को देंगे मधुर छाया
                 घर का डाक्टर कहलाता है
               भेद इसका कभी नहीं पाया,

छाल चर्मरोग दूर करती है
घाव बनते तो नीम को लगा
दातुन करती है स्वस्थ मसूढे
रक्त रोग में पत्तियों को चबा,

                मालिश तेल की स्वस्थ बनाए
              त्वचा के विकार मेें अजमाए
              बाल झडऩे को यही रोक देता
              नीम रस आंखों के रोग भगाए,

कान दर्द में काम यही आता है
बीज चूर्ण पेट के रोग भगाता
प्रसव, प्रसूत काल में बेहतर है
सूजाक रोग में नीम काम आता,

                 फोड़े फुंसी में नीम को अजमाए
               ल्युकोरिया, घमौरिया करता दूर
                खुजली, एक्जिमा, कटे फटे में
               कुष्ट रोग, ज्वर कर देता यह दूर,

नासूर बने, धवल, बवासीर हो
कील मुहासे, पेट के कीड़े,प्लेग
चेचक, हैजा हो या हो पीलिया
रोग दूर करता बढ़ा देता है तेज,

                    बवासीर,धुमेह को घटाता नीम
                  गठिया, वातरोग और जोड़ दर्द
                कफ, पित, दमा, हृदय विकार
               नीम खाओ नहीं करे कोई हर्ज,

मंदाग्रि, वमन, विरेचन, विष दूर
वायु रोगों को नीम दूर भगाता
एड्स, अतिसार, पेचिस व लू
कोलस्ट्रोल कम करे जन हसाता,

                अरुचि नाशक, पशु रोग निवारक
                 दमा रोग को भी नीम दूर भगाता
                 रामबाण है औषधियों का भंडार
                 घर का डाक्टर भी नीम कहलाता।

    *** होशियार


सिंह, लेखक, कनीना**

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