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Monday, May 25, 2020

नौतपा से बचाए पेड़ पौधों को
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हर वर्ष मई महीने के आखिरी सप्ताह में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी कम हो जाती है जिसके चलते भीषण धूप/गर्मी पड़ती है। इस वक्त को रोहिणी नक्षत्र नाम से जाना जाता है। भारत में 25 मई से शुरू हो चुका है जो 8 जून तक चलता रहेगा। जब रोहिणी नक्षत्र लगता है तो सूरज की किरणे बहुत तेज धरती को तपाने लग जाती है। यह तपन पूरे नौ दिनों तक चलती है जिसके चलते पेड़ पौधों को भारी नुकसान होता है। उन्हें बचाना जरूर है। 3 जून को नौतपा का आखरी दिन होगा
साल में एक बार रोहिणी नक्षत्र की दृष्टि सूर्य पर पड़ती है।
यह नक्षत्र 15 दिन का होता है लेकिन  चंद्रमा जिन नक्षत्रों पर रहता है वह दिन नौतपा कहते हैं। इस वक्त अधिक गर्मी पड़ती है जो पृथ्वी के लिए लाभप्रद मानी जाती है। तेज गर्मी पडऩे से जहां बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है। भारतीय ज्योतिष में नौतपा को वर्णित किया गया है। सूर्य देव प्रताप का प्रतीक है जबकि चंद्रमा शीतलता का।
 अधिक गर्मी पडऩे से जहां आंधी तूफान आने की संभावना बढ़ जाती है।
नौतपा एक खगोलीय प्राकृतिक घटना है ।इसके चलते उसका प्रभाव देखने को मिलता है जब नौतपा चले तो शरीर से पानी बहुत अधिक निकल जाता है। जिसके चलते डायरिया, पेचिस, उल्टी होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे समय में बाहर जाए तो चप्पल पहन कर, सिर को ढक कर जाए वरना बाल बहुत तेजी से सफेद हो जाएंगे। खीरा ककड़ी, तरबूज, खरबूजा आदि अधिक प्रयोग करना चाहिए। लस्सी, नींबू पानी मट्ठा बहुत बेहतर होते हैं।
वास्तव में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक अंडाकार कक्ष में घूमती है। यह घूमते घूमते कभी सूर्य के पास आ जाती है तो बहुत अधिक गर्मी पड़ती है जबकि कभी दूर चली जाती है तो ठंड पड़ती है। जब सूर्य की किरणें लंबवत गिरती है उस समय ताप बढ़ जाता है। 21 जून को सबसे बड़ा दिन इसीलिए माना जाता है कि सूर्य बिल्कुल सिर के ऊपर से गुजरता है बाकी दिन सूर्य सिर के ऊपर से नहीं गुजरता। इस समय सूर्य पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर हैं। पृथ्वी सूर्य से 15 करोड़ 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर हैं। तब आग उगल रहा है जबकि 22 दिसंबर से 04 जनवरी तक सूर्य हमारे सबसे निकट होता है। पृथ्वी कीं सूर्य से दूरी 14 करोड़ 73 लाख किलोमीटर की दूरी पर था तब हम ठंड से ठिठुर रहे थे।
वास्तव में 25 मई से 03 जून तक का समय नौतपा का समय है। नोतपा में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी गिरकर कम स्थान पर फैल रही है अब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर 89.2 डिग्री के आसपास पहुंच रही है। इसलिये गर्मी तेजी से पडऱही है। इस समय तापमान अधिक होने का  मुख्य कारण सूर्य की किरणों का पृथ्वी के इस भाग पर सीधा गिरना है। वर्तमान समय में एक वर्ग किलोमीटर की किरणें एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर पङ़ती है जिससे हमें पूरी गर्मी लगती हैं। 15 जून को पृथ्वी पर सूर्य की किरणें 90 डिग्री पर पहुंचेगी। इसलिये इस समय गर्मी के यहीं हालात बने रहेंगे। 22 दिसम्बर से 04 जनवरी तक सूर्य हमारे सबसे निकट होता है फिर भी कड़ाके की ठंड पङ़ती है। इस समय सूर्य की किरणें पृथ्वी पर 45 डिग्री का कोण पर पृथ्वी पर पहुंचती हैं। सूर्य की एक वर्ग किलोमीटर की किरणें 1.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पड़ती है जिससे गर्मी का अहसास कम होता है। यह वही बात है जैसे चाय कप में रखने पर गर्म रहतीं हैं प्लेट मे डाल दे तो कम गर्म महसूस होती है ।किसी भु भाग पर गर्मी सूर्य की किरणों के अलावा हवा की दिशा, पहाड़ी क्षेत्र, भूमि का ढाल, मिट्टी के प्रकार, पौधों की स्थिति, प्रदूषण पर निर्भर करती है।
पहाड़ की 165  मीटर की उंचाई पर जाने पर 1 डिग्री तापमान कम हो जाता है। अगर गर्म प्रदेश से हवा आ रहीं हैं तो तापमान और बढ़ेगा। कारखानों, वाहनों के अधिक होने वाले क्षेत्र में गर्मी ज्यादा होगी। समुद्र के आसपास वाले क्षेत्र में तापमान अधिक नहीं होता है क्योंकि पानी देर से गर्म होता है देर से ठंडा होता है। इसलिये समुद्र के आस-पास के क्षेत्र में न अधिक गर्मी पङ़ती है न अधिक ठंड पङ़ती है। सूर्य की परिक्रमा करती पृथ्वी से देखने पर सूर्य के पिछे रोहिणी नक्षत्र आ जाता है। 365 दिन में पृथ्वी की परिक्रमा अवधि के कारण सूर्य के पीछे रोहिणी नक्षत्र आना एक खगोलीय घटना है ।लगभग इन दिनों हर साल होती है अत: नोतपा ग्रीष्मकाल का कैलेंडर है आजकल लू का प्रकोप भी हो सकता है । खाली पेट घर से बाहर न निकले। सिर को कपड़े से ढक कर बाहर जाये। भोजन में प्याज का सेवन करे ।दिन में अधिक पानी का सेवन करे। नींबू का सेवन भी अधिक से अधिक करे। इस मौसम में पौधे जल जाते हैं उन्हें बचाये।

   ज्येष्ठ के महीने में गर्मी के कारण लोगों का हाल बेहाल हो जाए तो मानों नौतपा की शुरुआत हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे सड़ी गर्मी नाम से जाना जाता है। भीषण गर्मी के दिन होते हैं वैज्ञानिकों के अनुसार नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधी धरती पर आती है तापमान बढ़ता है और बहुत अधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता। इसके कारण ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती है। क्योंकि समुद्र उच्च दबाव वाला क्षेत्र होते इसलिए हवाओं का यह रुख अच्छी बारिश का संकेत होता है।
नौतपा के दिनों में पानी अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए वरना शरीर में पानी की कमी हो जाएगी। इन दिनों नींबू की शिकंजी अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए जिससे भी लाभ हो सकता है। इन दिनों में तापमान जहां 45 डिग्री से अधिक पहुंच जाता है। इसी कारण से धरती तपने लग जाती है। जितनी धरती अधिकता तपेगी उससे धरती के अंदर पाए जाने वाले हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं और बारिश का संकेत होता है। बारिश आती है तो बारिश भूमि में प्रवेश कर किसानों के लिए बीज बोने को इंगित करती है।
जिस प्रकार कड़ाके की सर्दी में पेड़ पौधे झुलस जाते हैं इसी प्रकार के अधिक गर्मी पडऩे से पेड़ पौधे नष्ट हो जाते हैं। पेड़ पौधों को प्रतिदिन पानी देना चाहिए। माना जाता है कि रात्रि के समय पौधों को पानी देने से ज्यादा लाभ होता है। अक्सर लोग गर्मी पड़ रही है दिन के समय पौधों को पानी देते हैं जिससे पौधे सर्द गर्म का शिकार हो जाते हैं और पौधे जल जाते हैं। ऐसे में रात्रि के समय पौधों को दिया गया पानी कुछ घंटों तक उन्हें आराम देता है। कभी भी धूप पड़ रही हो उस समय पानी नहीं देना चाहिए।
पौधों को बचाकर रखने का प्रयास किया जाए। इसके लिए छाया का प्रबंध हो, हो सके तो अस्थाई छाया का प्रबंध किया जाए ताकि पौधे बच जाए। एक बार सब्जी एवं छोटे पौधे बच जाएंगे तो आने वाली बारिश के समय बहुत तेजी से बढ़ेंगे।
नौतपा वास्तव में एक उपहार है। नौतपा न आए तो समझो जिंदगी में बारिश का मजा नहीं मिलेगा। इसके लाभ भी है वही हानि भी है। जहां शरीर का सारा मैल पसीने के जरिए निकल जाएगा। अक्सर लोग एसी और कूलर की हवा में बैठे रहते हैं जबकि होने चाहिए कि थोड़ा बहुत परिश्रम करें शरीर का पसीना निकलेगा जिससे शरीर में रोग होने की संभावना कम होगी। यही कारण है कि उन लोगों में रोग अधिक होते हैं जो आराम से दिनचर्या बिताते हैं।
इस समय सूर्य पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर हैं । पृथ्वी सूर्य से 15 करोड़ 15लाख किलोमीटर की दूरी पर हैं तब आग उगल रहा है जबकि 22 दिसंबर से 04 जनवरी तक सूर्य हमारे सबसे निकट होता है । पृथ्वी कीं सूर्य से दूरी 14 करोङ 73 लाख किलोमीटर की दूरी पर था तब हम ठंड से ठिठुर रहे थे। क्या कारण हो सकता है?  25 मई से 02 जून तक का समय नौतपा का समय है । नौतपा में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी गिरकर कम स्थान पर फैल रही है अब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर 89.2 डिग्री के आसपास पहुंच रही है। इसलिये गर्मी तेजी से पड़  रही है इस समय तापमान अधिक होने का  मुख्य कारण सूर्य की किरणों का पृथ्वी के इस भाग पर सीधा गिरना है वर्तमान समय में एक वर्ग किलोमीटर की किरणें एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर पङ़ती हैं जिससे हमें पूरी गर्मी लगती हैं। 15 जून को पृथ्वी पर सूर्य की किरणें 90 डिग्री पर पहुंचेगी। इसलिये इस समय गर्मी के यहीं हालात बने रहेंगे। 22 दिसम्बर से 04 जनवरी तक सूर्य हमारे सबसे निकट होता है फिर भी कड़ाके की ठंड पङ़ती है । इस समय सूर्य की किरणें पृथ्वी पर 45 डिग्री का कोण पर पृथ्वी पर पहुंचती हैं। सूर्य की एक वर्ग किलोमीटर की किरणें 1.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पङ़ती है जिससे गर्मी का अहसास कम होता है । यह वही बात है जैसे चाय कप में रखने पर गर्म रहतीं हैं प्लेट मे डाल दे तो कम गर्म महसूस होती है। किसी भू भाग पर गर्मी सूर्य की किरणों के अलावा हवा की दिशा, पहाड़ी क्षेत्र, भूमि का ढाल, मिट्टी के प्रकार, पौधों की स्थिति, प्रदूषण पर निर्भर करती है ।
पहाड़ की 165  मीटर की ऊंचाई पर जाने पर 1 डिग्री तापमान कम हो जाता है । अगर गर्म प्रदेश से हवा आ रहीं हैं तो तापमान और बढ़ेगा। कारखानों, वाहनों के अधिक होने वाले क्षेत्र में गर्मी ज्यादा होगी। समुद्र के आसपास वाले क्षेत्र में तापमान अधिक नहीं होता है क्योंकि पानी देर से गर्म होता है देर से ठंडा होता है। इसलिये समुद्र के आस-पास के क्षेत्र में न अधिक गर्मी पङती है न अधिक ठंड पङ़ती है ।सूर्य की परिक्रमा करती पृथ्वी से देखने पर सूर्य के पीछे रोहिणी नक्षत्र आ जाता है 365 दिन में पृथ्वी की परिक्रमा अवधि के कारण सूर्य के पिछे रोहिणी नक्षत्र आना एक खगोलीये घटना है । लगभग इन दिनों हर साल होती है अत: नोतपा ग्रीष्मकाल का कैलेंडर है आजकल लू का प्रकोप भी हो सकता है ।आप सभी से सुझाव है कि आप खाली पेट घर से बाहर न निकले। सिर को कपड़े से ढक कर बाहर जाये । भोजन में प्याज का सेवन करे। दिन में अधिक पानी का सेवन करे ।नींबू का सेवन भी अधिक से अधिक करे। 

नौतपा के दिनों में मृग मरीचिका बनती हैं। दूर सड़क पर ऐसा लगता है जैसे पानी है किंतु काल्पनिक पानी होता है। मृग प्यास बूझाने के लिए इसे देखकर प्राण त्याग देता हे। इसलिए इसे मृग तृष्णा कहते हैं। इंसान की हालात भी इसी प्रकार की होती है।



सूर्य देव की कृपा है, करते धूप का दान।
धूप बढ़े बारिश मिले, बढ़ जाती है शान।।
--होशियार सिंह, लेखक,कनीना,महेंद्रगढ़ हरियाणा**
**होशियार सिंह, लेखक  कनीना हरियाणा
 
 
 
 

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