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Sunday, May 3, 2020

हमारे मसाले.........अजवायन
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थाइमस वल्गेरिस
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मसालों की श्रेणी में अजवाइन भी एक मसाला एवं औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है। अजवाइन वास्तव में थाइमस वल्गैरिस नाम से जाना जाता है। यह एक झाड़ीनुमा वनस्पति होती है जिसकी खेती भी की जाती है। यह पुदीना परिवार से संबंधित औषधि एवं मसाला है जिस पर भारी मात्रा में फूल आते हैं। माना जाता है कि अजवायन का मूल दक्षिण यूरोप है।
छोटे-छोटे तथा बहुत अधिक सुगंधित फूल और पत्तों से आच्छादित झाड़ी होती है इसके फूल गर्मियों में आते हैं।
यह प्राय खाना पकाने में एक घटक के रूप में कम में लाई जाती है वही दवाओं के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। अजवाइन एक बहुगुणी औषधीय मसाला है।  जब लोग यात्रा पर जाते हैं तो साथ में रखते हैं। विभिन्न रोगों में इसका उपयोग किया जाता है चाहे वह मसाले के रूप में किया जाए या काढ़ा या फिर अर्क के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है।
 इसका चूर्ण प्राय गांवों में प्रयोग करते हैं और  सेंधा नमक में मिलाकर पेट दर्द,दस्त, अफारा आदि में प्रयोग किया जाता है। जिन लोगों में पेट साफ नहीं होता यह प्राय इसका उपयोग करते हैं। रात को गर्म पानी के साथ पीते हैं ताकि पेट साफ हो जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में पेशाब की समस्या देखने को मिलती है जो रात को बार बार पेशाब जाते हैं तब का उपयोग करते हैं ताकि पेशाब की समस्या दूर हो जाए। यही नहीं अजवायन को भूनकर चूर्ण बनाकर प्रयोग करते हैं।
जिन लोगों में गर्मी की शिकायत होती है तो इसका चूर्ण पैर के तलवे आदि पर लगाया जाता है।  रक्तचाप में यह लाभप्रद मानी गई है। अजवाइन के फूल शहद में मिलाकर कफ आदि को दूर किया जाता है वही खांसी या कफ की दुर्गंध भी खत्म होती है।
   बुखार दूर करने के लिए अजवाइन प्रयोग करते हैं वहीं जिनमें मोटापा होता है वह भी अजवाइन को भिगोकर छानकर शहद में मिलाकर पीते हैं। यह बलवर्धक माना जाता है। यदि शरीर के किसी भाग में दर्द की शिकायत हो तो तेल में मिलाकर मालिश करते हैं। प्रसव के बाद इसका उपयोग किया जाता है। भोजन को पचाने, गर्भाशय को शुद्ध करने के लिए भी इसका उपयोग महिलाओं के लिए किया जाता है।
 ग्रामीण क्षेत्रों में प्राचीन समय से ही प्रसव के बाद महिलाओं को इसके लड्डू आदि बनाकर दिए जाते हैं जिसके पीछे भी यही कारण है पेट की बीमारी दूर करके, गर्भाशय को शुद्ध करता है।
नमक,हरड़ अजवाइन हींग को मिलाकर  अफारा, जलन, पेट के दर्द, मूत्र की रुकावट आदि के काम में लेते हैं वही पेट की समस्याओं के लिए इसका उपयोग किया जाता है। कितनी ही प्रकार से इसकी औषधियां बनाकर प्रयोग की जाती हैं।
  वैसे तो कान की समस्या किसी बेहतर डॉक्टर से दिखानी चाहिए लेकिन कान में अगर दर्द होता है तो अजवाइन के तेल में सरसों का तेल मिलाकर लगाया जाता है। दांतो के दर्द में अजवाइन का तेल लगाया जाता है वही जोड़ों के दर्द में भी इसके तेल की मालिश आदि करते हैं । यदि पेट में दर्द हो तो या फिर गले की सूजन हो तो अजवाइन के तेल को शहद में मिलाकर प्रयोग किया जाता है। गर्म जल में घोलकर गरारे भी किए जाते हैं।
बार-बार पेशाब की समस्या हो तो अजवाइन में तेल मिलाकर खाने से लाभ होता है वही पथरी हो तो अजवाइन की फांसी ली जाती है। पेट के कीड़े दूर करने के लिए अजवाइन को छाछ के संग पीते हैं। वहीं खांसी का आदि को भी दूर करती है। 

         बदहजमी, खट्टी डकार आना, बेचैनी हो तो उस समय भी इसको प्रयोग किया जाता है। जब वमन अर्थात उल्टी लग रही हो या फिर पौरुष वृद्धि करनी हो तो इसे सफेद प्याज के रस में अजवायन, चीनी के साथ लेने से पौरुष संबंधित रोगों से छुटकारा मिल सकता है।
प्राचीन काल में महिलाओं में रक्ताल्पता, कमर दर्द,
कमजोरी, गर्भाशय विकारों के लिए भी गुड़ के साथ खिलाकर खिलाया जाता है। मासिक धर्म में गर्म दूध के साथ दिया जाता है। वही हाथ पैरों की जलन तनाव आदि की समस्या हो तो अजवाइन के तेल की मालिश की जाती है।
   बुखार के समय प्रयोग किया जाता है। वास्तव में अजवायन औषधीय गुणों का भंडार है इसलिए रसोई घर में आयुर्वेद के रूप में काम में लाया जाता है क्योंकि पेट संबंधित अधिकांश बीमारियां इससे दूर होती है।
   एसिडिटी की शिकायत,गैस, कब्ज आदि हो, दिल की समस्या, अस्थमा, सर्दी, फ्लू आदि में जहां लाभप्रद है वहीं मुंह की समस्या, जोड़ों के दर्द आदि में लाभप्रद है। महिला में स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है वजन कम करने फोड़े फुंसी, कील मुहासे, झुरियां आदि मिटाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। इसी प्रकार बालों के लिए भी यह बहुत बेहतर है। अगर सिर में खुजली और सिर में जुएं पड़ जाती है तो फिटकरी में अजवायन पीसकर बालों पर लगाने से समस्या दूर होती है ।अजवाइन भूख बढ़ाने के काम भी आती है।
गैस या पेट फूलने की समस्या है तो अजवाइन को तवे पर भून कर नींबू और नमक के साथ चाटने से लाभ होता है।
किस प्रकार कई रोगों में लाभप्रद है। वहीं इसकी अधिक मात्रा पेट में जलन, उल्टी, सिरदर्द आदि की समस्या पैदा कर सकती है। यदि पह










ले से ही मुंह में छाले अल्सर आदि की समस्या है तो उसमें अजवाइन नुकसानदायक साबित होती है।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़ हरियाणा।

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