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Tuesday, May 5, 2020













हमारे मसाले...........मिर्च

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 मिर्च 

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कैप्सिकम एनम 

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लाल मिर्च, हरी मिर्च, मोरची, लंका, लाल मारचा, मीरापकाया

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 मिर्च का नाम लेते ही जेहन में एक सिहरन होती है। कभी हंसता है इंसान, तो कभी मिर्च का नाम सुनकर रोने लग जाता है क्योंकि मिर्च चीज ही ऐसी होती है और मिर्च जरूरी होती है। मिर्च एक फल भी है और एक मसाला भी। जहां शिमला मिर्च एक सब्जी है जिसे पका कर खाते हैं वही मिर्च को पीसकर मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। मिर्च को कच्चा भी खाते हैं तो पकाकर भी या फिर तलकर भी खाते हैं तो भूनकर भी। कभी कभी तो पकौड़े के रूप में मिर्च पकौड़ा बनाते हैं। कहीं अधिक मिर्च तो कहीं कम मिर्च प्रयोग होती है। हंसते हुए जन की आंखों में आंसू ला सकती है तो मायूस बैठे व्यक्ति की तबियत मलंग कर सकती है। मिर्च मूड बना भी सकती है तो बिगाड़ भी सकती है।
 वास्तव में मिर्च बैंगन कुल का पौधा है जो  झाड़ी पर लगती है। विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाती है किंतु हमारे रसोईघर की जान होती है। वैसे तो मिर्च का रंग हरा,पीला,लाल, काला तथा अन्य रंग भी होते हैं किंतु कुल मिलाकर मिर्च के लाभ अधिक है इसलिए इसे मसाले के रूप में प्रयोग करते हैं।
मिर्च का अचार, चटनी, सॉस और कितने ही अन्य रूपों में प्रयोग की जाती है वही मिर्च को  शरीर के लिए बहुत लाभप्रद माना जाता है। लोग हरी मिर्च को ज्यादा पसंद करते हैं तो कुछ लोग लाल मिर्च को अधिक प्रयोग करते हैं। विटामिनों ऐवं विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर होती है जिसमें विटामिन बी-6, विटामिन- सी, लोहा, तांबा, पोटैशियम, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आदि होता है। वह इसमें लुटेन, कैप्सेसिन आदि मौजूद होते हैं।
अक्सर लोग मिर्च को पीसे रूप में कम पसंद करते हैं। यही नहीं पीसे हुए मसालों पर लोग कम विश्वास करते हैं जबकि अपने हाथों से पीसकर ज्यादा आनंददायक महसूस करते हैं। वैसे तो कितनी ही कंपनियां मिर्च का पाउडर बेचकर आय कमा रही हैं। जहां मिर्च रक्तचाप घटाती है वही एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाया जाता है जो जीवाणुओं की वृद्धि को रोकती है। हरी मिर्च में विटामिन-सी अधिक पाया जाता है, कैंसर से लडऩे की क्षमता होती है। हरी मिर्च को लोग अधिक पसंद करते हैं जबकि लाल मिर्च को कम पसंद करते हैं क्योंकि हरी मिर्च में को मसाले के रूप में कम प्रयोग किया जाता और सब्जी के रूप में अधिक। दिमाग को तेज करने में भी मिर्च कारगर होती है। कई बार इंसान मीठा खा खाकर बहुत परेशान हो जाता है तो मिर्च खा कर उसका मन प्रसन्न हो जाता है। जहां एक तरफ मीठा है तो दूसरे छोर पर मिर्च हैं। दोनों दोनों एक दूसरे के बगैर अधूरे हैं।
 सबसे बड़ी बात है कि हरी मिर्च में कैलोरी नहीं होती विटामिन-ई पाई जाती है जो त्वचा के लिए बहुत लाभप्रद है। मिर्च शोध के अनुसार हृदय के लिए बहुत लाभकारी है। पाचन तंत्र को मजबूत करती है वहीं जोड़ों में दर्द हो तो उस समय बहुत लाभप्रद है।
पेट में गैस बनती हो या लू से बचना है तो मिर्च खानी चाहिए। मिर्च को लोग विभिन्न रूपों में प्रयोग करते हैं। पकोड़े में मिर्च भूमिका निभाती है। इसमें एक्सीडेंट पाए जाते हैं वहीं इसमें फाइबर पाए जाते हैं। आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक है।
जब तक मिर्च हरी होती है तो इसको प्रयोग करते हैं, जब लाल हो जाती है तब भी प्रयोग की जाती है और जब सूख जाती है तब इसको पीसकर मसाले के रूप में प्रयोग करते हैं। अक्सर लोग इसे मिर्च न कहकर मिर्ची कहने वाले हो गए हैं। जिसे अंग्रेजी में पेपर एवं चिली भी कहते हैं। भोजन का स्वाद इसके बगैर अधूरा है। किसी भी सब्जी में मिर्च मिलाने के पीछे रंग और स्वाद दोनों बढ़ाना है।
 एक बार जिसने मिर्च का स्वाद चख लिया उसको फिर समझो एक लत पड़ जाती है बगैर मिर्च के खाना अधूरा लगता है। वास्तव में इसका तीखापन स्वाद नहीं है बल्कि पूरे शरीर में एक झनझनाहट पैदा करता है। यदि हम मूड बनाना चाहे तो मिर्च प्रयोग करनी चाहिए। दही बड़ा, पानी पतासा, पानी पुरी तथा अन्य पदार्थों में विशेष लोकप्रिय होती है। बेशन में लपेटकर लोग पकोड़े बनाते हैं।
भारत दुनिया में मिर्च पैदावार में एक नंबर पर है आंध्र प्रदेश में गुंटूर जिले में सबसे ज्यादा मिर्च पैदा की जाती है। तनाव दूर करना है, सूजन दूर करनी है, सर्दी- जुकाम से बचना है, खून की कमी या वजन घटाना है तो मिर्च का प्रयोग करना चाहिए। मिर्च के जहां बहुत से लाभ भी हैं वहां नुकसान भी हैं। जिनमें बवासीर उन्हें मिर्ची नहीं खानी चाहिए। मिर्च काटने के बाद हाथ आदि को बहुत अच्छी प्रकार धोना चाहिए। अधिक तीखी मिर्च खाने से तंत्रिका तंत्र को नुकसान हो सकता है। हरी मिर्च लाल मिर्च के मुकाबले बेहतर होती है। सर्दी, जुकाम, खांसी की शिकायत होती है मिर्च नियमित प्रयोग करनी चाहिए। मिक्स अचार,अचार, सॉस चटनी के रूप में प्रयोग की जाती। प्राचीन समय से ही इंसान के पास खाने के लिए रोटी होती थी। जब सब्जी नहीं होती थी उस समय भी चटनी पत्थर पर बनाई जाती थी जो मिर्च से बनी होती थी। या तो ग्रामीण क्षेत्रों में प्याज के संग रोटी खा ली जाती है या मिर्च की चटनी। प्राय ग्रामीण क्षेत्रों में तो दूध, दही और छाछ के संग मिर्च की चटनी बड़े चाव से खाई जाती है। इनका मेल ही सोने पर सुहागा होता है।
मिर्च में तीखापन केप्सेसीन के कारण होता है।  मिर्च हरी,े पीले, लाल अलग-अलग रंग समय अनुसार बदलते रहते वास्तव में कैरोटीन वर्णक पाया जाता है जो इसका रंग बदलता रहता है।
हरी मिर्च लाल मिर्च की तुलना में ज्यादा बेहतर मानी जाती है। मिर्च खाने से मुंह में लार अर्थात सलाइवा अधिक पर बनती है जो भोजन पाचन में मदद करती है। हरी मिर्च खाने से एमिलेज नामक एंजाइम की उत्पत्ति होती है। हरी मिर्च खून की कमी को भी दूर करती है। शरीर में संक्रमण होने से बचाती है।
मिर्च के गुणों के कारण ही इसे लोग सलाद के रूप में भी प्रयोग करते हैं।  लाल मिर्च से पेप्टिक अल्सर होने का खतरा बना रहता है। गले में संक्रमण और कफ की समस्या हो तो भी मिर्च प्रयोग की जाती है। मिर्च बार-बार भूख लगने की समस्या से भी बचाता है। मिर्च के बगैर हमारा रसोई घर अधूरा है। इसलिए मिर्च का प्रयोग करना जरूरी है। 

 
मिर्च को कैप्सिकम एनम नाम से जाना जाता है। एनम का अर्थ होता है वार्षिक अर्थात मिर्च का पौधा प्राय एक साल तक जीवित रहता है किंतु सर्दी से बच जाए तो यह कई वर्षों तक जीवित रह सकती है। मिर्च हरी,काली,लाल, पीली कई रंगों के कारण होता  है।

वास्तव में कैरोटीन पदार्थ के रंग बदल लेने से मिर्च का रंग लाल,पीला,हरा आदि मिलता है। मिर्च प्राय शिमला, लंबी मिर्च, ठिगनी, मोटी मिर्च आदि कई प्रकार की होती हैं। शिमला मिर्च खाने से वजन घटता है वही गठिया, कैंसर रोग समाप्त हो जाता है। यह आयरन की कमी को दूर करने, डायबिटीज कंट्रोल करने के काम आती है।

मिर्च का जन्म स्थान दक्षिणी अमेरिका है जहां से यह सभी सभी जगह फैली। मिर्च में विटामिन बी, बी-6, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आदि मिलते हैं। इसमें स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ भी पाए जाते



हैं। शिमला मिर्च खाने से जार रक्तचाप नियंत्रित रहता है वहीं एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाया जाता है। मिर्च कैंसर से लडऩे की क्षमता रखती है वहीं रोगों से बचाती है। मिर्च खाने से फेफड़े का कैंसर खतरा घट जाता है, हमारे मूड को सुधार देती है हरी मिर्च बीमारियों से लडऩे की क्षमता रखती है वहीं पाचन तंत्र को मजबूत कर और आंखों की रोशनी अच्छी बनाती है, अर्थराइटिस के मरीजों के लिए भी लाभप्रद है। ऐसे में हरी मिर्च जरूर खानी चाहिए।

     मिर्च बिना जीवन अधूरा सा लगता है। एक जमाना था जब मिर्च कम प्रयोग करते थे फिर मिर्च की मात्रा खाने में बढ़ती ही चली गई। अब तो मिर्च को सीधे ही खाने की लालसा बढ़ती ही जा रही है। मिर्च का मूल स्थान मैक्सिको है। माना जाता है कि नाविक कोलंबस यूरोपीय धरती पर कदम रखा तो मिर्च यूरोप चली गई।
यूं तो मिर्च चूहों का जहर बनाने, चोर डकैत आंखों में मिर्च डालने में तथा कई अन्य रूपें में करते हैं वहीं मिर्च से कितने ही खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं। भूत झोलकिया मिर्च को पूरी दुनिया में सबसे तीखी और तेज मिर्च के रूप में वर्ष 2007 में गिनीज बुक ऑफ रिकाडर्स में भी दर्ज किया गया है। यह मिर्च अन्य मिर्च के मुकाबले 400 गुना ज्यादा तीखी होता है जो असम, नागालैंड और मणिपुर में पैदा की जाती है। 

  यह मिर्च देश के सुरक्षा बल उपद्रवियों के खिलाफ भी इस्तेमाल करते हैं। इस मिर्च के इस्तेमाल से आंसू गैस के गोले बनाए जाते हैं। इससे आंखों में तेज जलन होती है और दम घुटने लगता है किंतु शारीरिक नुकसान नहीं होता है।
   मिर्च में विटामिन-ए, बी-6, सी, लोहा, तांबा, पोटैशियम, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट आदि प्रचुर मात्रा में मिलते है। इसमें स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ भी पाए जाते हैं। रक्तचाप को नियंत्रित करने,मधुमेह होने की स्थिति में रक्तचाप का स्तर नियंत्रित रखने के काम आती है। एंटी बैक्टीरियल गुण पाया जाता है वहीं यह त्वचा के लिए जलनविरोधी गुण पाया जाता है। विटामिन-सी के कारण रोगों के लडऩे की क्षमता,  बंद नाक का खुल जाती हैवहींकैंसर से लडऩे और शरीर को सुरक्षित रखने, एंटी ऑक्सीडेंटस के कारण फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी कम होता है
धूम्रपान का सेवन करने वालों को हरी मिर्च को अपने भोजन में ज्यादा खानी चाहिए।हरी मिर्च में कैलोरी बिल्कुल भी नहीं होती। विटामिन-ई के कारण त्वचा के लिए, हरी मिर्च खाने से





प्रोस्टेट की समस्या का अंत होता है,दिल के लिए लाभकारी होती है। मिर्च भोजन का पाचन जल्दी करती है। चोट, घाव में दांतों और आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है। शरीर के अंगों में होने वाले दर्द को भी कम करती है। मिर्च में अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रिक एसिड, मैलिक एसिड, मैलोनिक एसिड भी पाए जाते हैं।  

**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,महेंद्रगढ़, हरियाणा**


                   मिर्च
भोजन जब खाने बैठते
आता है स्वाद ही याद
नमक, मिर्च ठीक मिले
बढ़ता है खाने का स्वाद,

                 मिर्च एक तीखा मसाला
                मिलती कई रंग-रूपों में
                अमेरिका की फसल यह
               मिलती दाल भात सूपों में,

चिली नाम से जाना जाता
कैप्सिकम जीनस कहाता
खाने का जायका बढ़ाता
तीखापन जन को रुलाता,

                       6000 वर्षों का इतिहास
                      भारत का गुंटुर जिला है
                   आंध्र प्रदेश की यह शान
                  पैदावार में नंबर मिला है,

खनिज लवणों से भरी है
विटामिन भी पाए जाते हैं
कई रोगों को दूर भगाती
त्वचा कैंसर यह लगाती,

                    कच्ची खाते, पक्की खाते
                   विभिन्न रूपों में इसे खाते
                  बिना मिर्च के स्वादहीन
                 मिर्च मसाले स्वाद बढ़ाते,

मिर्च बड़ काम की होती
इसके बिना दुनिया रोती
मिर्च-मिर्च कहते कहते


किसानी भी खाकर सोती।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना** 



                         मिर्च
                 (केप्सिकम एनुवम)
सोलानेसी कुल का शाक
वर्षों से उगाया जा रहा है
                           इंसान का बेहतर स्पाइस
                          कच्चा व पकाकर खाता है,
हरा, पीला, लाल हैं रूप
छोटी, बड़ी, गोल हैं रूप
                        सब्जी व खाद्य पदार्थ बने
                         पैदा होती जब खिले धूप,
एकवर्षीय इसका पौधा है
चटनी, सूप, जैम बनते हैं
                         पनीर, मीट, चावल आदि
                           मिर्च से ही तो खिलते हैं,
पेट, आंत दर्द दूर करती
डायरिया में आती है काम
                         विटामिन सी का है स्रोत
                         किसान को देती यह दाम,
हृदय घात से बचाती मिर्च
कोलस्ट्राल को घटा देती है
                          दांत दर्द को दूर कर देती है
                           मलेरिया रोग को हर लेती है,
एल्कोहल के प्रभाव कम करे
बुखार में आ जाती है काम
                        नाड़ी का दर्द दूर कर देती है
                         शूगर रोग में लो इससे काम,
आंख रोग में काम आती है
पीठ दर्द, एड्स में काम आए
                          कितने ही उपयोग इसके हैं
                          शारीरिक रोगों को दूर भगाए,
कैप्साइसिन इसमें मिले पदार्थ
झाड़ीनुमा होता पौधा इसका
                              लंबे पत्तों वाला पौधा होता
                             गर्मी को घटाता फल इसका,
कुछ रोगों को बढ़ाता है मिर्च
पत्थरी में कभी नहीं खाइए
                           सी सी सी सी करते रहिए
                           जब मिर्च से स्नेह लगाइए।।

                      


**होशियार सिंह, लेखक, कनीना* 09416348400


 

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