Powered By Blogger

Sunday, May 10, 2020











मसखरा
************************
****************************
***********************

जैंथियम स्ट्रूमैरियम
************************
****************************
************************
छोटा धतूरा
*******************
***********************

कामन काकलर
************************
***********************
कॉमन कालेबर्क
*************************
***********************
घाघरा शाक
*****************
********************************
**************************

विभिन्न देशों में गर्म स्थान विशेषकर बंजर भूमि, रेतीले क्षेत्रों में मसख्रा नामक पौधा मिलता है जिसे छोटा धतूरा या कामन कालेबर्क नामक शाक पाई जाती है। यह एक वर्ष तक अक्सर पनपता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि चौड़े पत्ते होते हैं तथा गुच्छों के रूप में फल लगते हैं जिसके लंबे लंबे कांटे होते हैं। पास से गुजरने वाले किसी भी जंतु, मानव कपड़े आदि से आसानी से चिपक जाते हैं।
   ये फल एक स्थान से दूसरे स्थान के अलावा इंसान के कपड़ों से चिपक घर तक पहुंच जाते हैं कपड़ों पर चिपके देखकर लोग हंसते हैं कि कपड़ों पर ये ये चिपका लाए। ऐसे में इसे मसखरा कहते हैं।। फल एवं बीज एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहुत आराम से पहुंच जाते हैं।
    ग्रामीण क्षेत्रों में से मसखरा नाम से जाना जाता है। यह प्राय एक मीटर तक बढ़ सकता है। कठोर तने होते हैं जिनका रंग हरा होता है। इनके तनों पर लाल रंग की धारियां पाई जाती हैं। तने पर बाल जैसी रचनाएं भी पाई जाती हैं।
यह एक बहु औषधीय पौधा है जिसके पत्ते सुखाकर उनसे टैनिन प्राप्त किया जाता है। मसखरा में कृमिनाशक, पाचक, ज्वर नाशक जैसे गुण पाए जाते हैं। मसखरा भूख बढ़ाने, मूत्रवर्धक, शमन के गुण पाए जाते हैं।
इस पौधे की पत्तियां चोड़ी होती है लेकिन कोई निश्चित आकार नहीं होता। पत्ती के अगले सिरे दांते जैसे पौधे के पत्तों के अगले भाग में मिलते हैं फूल द्विलिंगी होते हैं। कीटों द्वारा परागण क्रिया होती है।
यह पौधा दुनिया भर में पाया जाता है किंतु ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका में गंभीर खरपतवार बना हुआ है। यह पौधा फसलों एवं नर्सरी आदि में खरपतवार के रूप में उग जाता है।
यह उपयोगी है पौधा होता है, कीटों को नष्ट करने वाला, मलेरिया, गठिया रोग, ग्रस्त गुर्दे, टीबी के लंबे समय तक चलने वाले मामलों के इलाज में उपयोगी माना जाता है। इसके फलों में जीवाणु रोधी, एंटीफंगल गुण पाया जाता है जो गठिया का दस्त आदि में भी उपयोगी साबित हुआ है। 
    पौधे में हालांकि कुछ औषधीय गुण है किंतु विषाक्त माना जाता है। जहरीला पौधा होता है। चीन की कुछ पद चिकित्सा पद्धति में काम में लाया जाता है। इसके कुछ हिस्सों को खाया जा सकता है लेकिन बीज को अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि यही पौधा                बांग्लादेश में वर्ष 2007 में घातक रूप से सामने आया था। इसी पौधे के कारण अनेकों बीमारियां हुई थी वही एक दर्जन से भी अधिक मौतें इस पौधे से हो गई थी क्योंकि उन लोगों ने इसको अधिक मात्रा में खाया था। इसे घाघरा शाक कहा जाता है।
  बताया जाता कि बंग्लादेश में उस दौरान मानसून की बाढ़ के कारण भुखमरी आ गई थी और लोगों ने इस पौधे को ही खा लिया था जिसमें अनेकों लक्षण नजर आए जिनमें उल्टी, मानसिक परिवर्तन, बेहोशी आदि लक्षण देखने को मिले थे।
यह पौधे का बीज पीसकर घाव पर लगाया जाता है वहीं मक्का के आटे में बीज पीसकर  डाले जाते हैं और केक बनाते हैं लेकिन इनका उपयोग अति सावधानी से करना चाहिए।
 इसी से मिलता-जुलता पौधा जैंथियम स्पाइनोसम है। यह पौधा जेंथियम स्ट्रूमेरियम से बिल्कुल मिलता है। दोनों में बहुत अधिक समानता है पर स्पाइनोसम के पत्ते छोटे होते हैं वहीं यह पौधे कैंसर आदि में काम में लाया जाता है। वह भी एक खरपतवार के रूप में जाना जाता है।
वास्तव में मसखरा एक ग्रीष्मकालीन पौधा होता है जिस पर अनेकों शाखाएं पाई जाती है। फूल द्विलिंगी और गुच्छे के रूप में मिलते हैं। कई बार पेौधे के एक भाग पर नर फूल पाए जाते हैं तो दूसरे भाग पर मादा फूल पाए जाते हैं।
परागण क्रिया हवा एवं कीटों से होती है। परागण क्रिया के बाद फल लगते हैं। हरे रंग के फलों दिन पर लंबे कांटे होते हैं। बहुत सुंदर होते हैं। इसके बीज 2 साल तक अंकुरित होने की क्षमता रखते हैं। यह पौधा मूसला जड़ का होता है जिसमें जालिकाशिरा विन्यास पाई जाती है। यह कॉलोनी के रूप में मिलता है। जिस प्रकार मानव की कॉलोनी बनती है इसी प्रकार इस पौधे की कालोनियां पाई जाती हैं।
यह पौधा जहरीले रसायन निकालता है जिसके कारण अन्य पौधे पास में नहीं पनप सकते। कम पानी में भी अच्छी तरह वृद्धि कर सकता है। यह प्राय सूखे नाले, मैदानी क्षेत्र, समुद्र तट के किनारे रेतीले क्षेत्र, खाली पड़ी भूमि पर बहुत अधिक उगते हैं।
  फूलों में परागण कीटों और हवा दोनों से होता है। इसके बीज स्तनधारी शाकाहारी के लिए बहुत विषैले होते हैं। मवेशी, घोड़े, भेड़, सूअर आदि को यदि खिला दिया जाए तो शारीरिक नुकसान होता है। यहां तक की मौत भी हो जाती है। यदि इस पौधे को जंतु खा जाए तो आंतों में रुकावट रुकावट पैदा हो जाती है। क्योंकि इसके बीच इंसान के कपड़ों से बहुत तेजी से चिपक जाते हैं फिर भी यह विषैले पौधे होने के बावजूद इसे गिलहरी, हरिण इसको खाते हैं।




               मसखरा
             (जेंथियम स्पाइनोसम)

जहरीला एक पौधा
मिल खड़ा जहां मे
विश्व की खरपतवार
कांटे इसकी शान मे,

चौड़े पत्ते पौधा झाड़ी
नर-मादा अलग फूल
सुंदर हरे रग के फल
फलों पर आते हैं शूल,

फल चिपक दूर जाते
बीज भेड़ चिपक जाते
पत्ते पका इसके खाते
प्रोटीन,फैट इससे पाते,

जहरीला यह कहलाए
कीटों से अनाज बचाए
भूख घटे तो यह बढाए
गठिया रोग को भगाए,

मलेरिया में आए काम
गुर्दे बीमारी को दूर करे
टीबी में भी आए काम
एलर्जी,कोढ़ को दूर करे,

फल इसका अति काम
बुखार को कर देता दूर
बदहजमी में काम आए
पशु बीमारी करता चूर,

जीवाणुनाशी इसका बीज
फंगस को दूर भगा देता
जड़ इसकी अति कड़वी
ट्यूमर रोग को हर लेता,

कई रोगों में काम आता
नदी, खेत, किनारे मिले
खरपतवार को देख-देख
किसानों का दिल जले।

          


***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

No comments: