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Sunday, May 24, 2020




सोहंजना 
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प्रकृति का अद्भुत पेड़
                 ड्रमस्टिक ट्री कहलाए
मोरिंगा है वंश इसका
                  रामबाण पेड़ जाना जाए,

मदर्स बेस्ट फ्रेंड नाम
                  महिला में दूध को बढ़ाए
खनिज लवणों से भरा
                   विटामिन स्रोत जाना जाए,

जड़, तना, पत्ती, फूल
                   फल काम में लाया जाए
हर रोग में बेहतर यह
                   फल काटकर सब्जी बनाए,

पत्तों से सलाद अचार
                   बीजों का तेल बहु उपयोगी
बीपी, शूगर हो कैंसर
                   सभी रोगों में काम में आए,

पेट रोग या जोड़ दर्द
                   एड्स, तनाव, बुढ़ापा आए
अद्भुत पौधा लो प्रयोग
                   रोग, बुढ़ापा पास नहीं आए,

पत्तों को नमक जल धो
                    छांव में उनको लो सुखाए
बारिक पीस कर छानो
                    रोटी, सब्जी मिलाकर खाए,
जड़ है होर्सरेड्डिश जैसी
                    अत: यह होर्सरेड्डिश कहलाए



आस पड़ोस में खड़ा है
                     सोहंजना घर में लाकर खाए।।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना** 

सहजन
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ड्रमस्टिक प्लांट
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****************************************** मोरिंगा ओलेइफेरा
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मोरिंगा ओलेइफेरा सहजन/ सहजना जिसे सेजना, सजना,मोरिंगा आदि नामों से जाना जाता है। यह एक वृक्ष होता है जिसका वैज्ञानिक या वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलेइफेरा है। यह बहु उपयोगी पेड़ है। इस पेड़  के विभिन्न भाग पोषक तत्वों से परिपूर्ण मिलते हैं। इसलिए सभी भाग इसके उपयोग माने जाते हैं।
   मानव हो या पशु सभी के रोगों के इलाज में भी कारगर औषधि का काम करता है। इसकी पत्तियां और फली भी जहां सब्जी बनाने के काम आती है वही जल को स्वच्छ करने के लिए यह उत्तम पदार्थ है। हाथ की सफाई के लिए उपयोग किया जाता है वही सैकड़ों जड़ी बूटियां इसी से बनती है।
 इसकी कच्ची हरी पत्तियां बहुत उपयोग में लाई जाती है परंतु यह पौधा इतना कमजोर होता है कि आसानी से टूट जाता है। यह कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन-ए ,विटामिन बी-1, विटामिन बी-2, बी-3, बी-6, बी-9, विटामिन सी कैल्शियम,  मैग्नीशियम, सोडियम आदि पाया जाता है।
सहजन का लगभग सभी भाग काम मेंं लाया जाता है। इसकी पत्ती, फूल, फल, बीज,  छाल जड़ , बीज से प्राप्त तेल आदि खाए जाते और उपयोग में लाए जाते हैं। विभिन्न महाद्वीपों में कच्ची फलियां खाई जाती है। यह विभिन्न देशों में पाया जाता है।
 कुछ देशों में तो इसकी फलियां खाई जाती है जबकि कुछ देशों में इसके पत्ते अधिक पसंद किए जाते वही फूलों को पकाने वाले लोग भी कम नहीं है। इसका स्वाद खुंभी  जैसा होता है इसलिए जो लोग खुंभी नहीं खा पाते वे इसका उपयोग करते हैं। इसकी छाल पतियां, छाल, जड़ व  फूलों से विभिन्न दवाई बनाई जाती है। कुछ जगह इसके पत्तों से नीली डाई भी बनाई जाती है।
कई देशों में इसे उगाया जाता है लेकिन इसे अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। वही हर प्रकार की मिट्टी में उगने की क्षमता रखता है। जब इस की फली पक जाती है तो फट जाती है और इसके बीज दूरदराज तक बिखर जाते हैं या हवा में उड़कर देूर चले जाते हैं। इस पौधे की सबसे बड़ी विशेषता है किसके बीज उगने की क्षमता बहुत अधिक होती अधिकांश बीज उग जाते हैं और यह जल्दी ही बड़ा हो जाता है।
यह जंगल में भी मिलता है वही लोग इसको अपने बाग बगीचे में भी शोभा के लिए उगाते हैं। जबकि फलियां कच्ची होती है तो उन्हें तोड़कर लोग बड़े चाव से सब्जी बनाकर खाते लेकिन इसकी फलियां अधिक दिनों तक नहीं टिकती और बहुत जल्द पक जाती है।
 पत्ते बहुत अधिक मात्रा में उत्पन्न होते हैं और गहरे हरे रंग के होते हैं। इसलिए इसके पत्ते खाद का काम करते हैं। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है जो बाल और त्वचा के लिए बहुत लाभप्रद होता है। इस पौधे पर किसी रोग का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता किंतु विभिन्न कीट इसके पत्तों पर जरूर पनप सकते हैं।
इसके पत्तों में बहुत अधिक लोहा पाया जाता है जिसमें विटामिन ए, बी, सी ,के इसके बीज के तेल में मैंगनीज और प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसलिए इसके पत्ते पालक की तरह प्रयोग किए जाते हैं। उसका पाउडर सूप और सॉस बनाने के काम आता है। बीज के दाने कुछ लोग खाने के काम में लेते हैं जिसमें रूक्षांस, पोटेशियम मैग्नीशियम आदि तत्व पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी हैं।
 इसके बीज मटर के दानों की भांति भून कर खाए जाते हैं जिनमें विटामिन-सी और बी मिलता है। इसके बीज से निकाला गया तेल कहीं औषधियों में काम में लाया जाता है वही बीज से तेल निकालने के बाद बच्चा हुआ कचरा पानी साफ करने और खाद के रूप में काम में लाया जाता है। इसकी जड़े मसालों के रूप में काम में लाई जाती है।
 जिन व्यक्तियों में लोहे की कमी पाई जाती है उनके लिए इसके पत्ते बहुत लाभप्रद होते जिनमें लोहा पाया जाता है। इसलिए
इस पौधे को ड्रुमस्टिक पौधा नाम से जाना जाता है। सजना पेड़ कहीं भी आसानी से लग जाते हैं और पानी की जरूरत अधिक नहीं होती इसलिए पूरे भारत में बहुत फैला हुआ है। सहेजने की सूखी पत्तियां केले की भांति बहुत लाभप्रद होती हैंजिनमें  प्रोटीन पाया जाता है जो मांसाहार स्रोतों से मिले प्रोटीन से कम नहीं होता।
 इसके फल जहां जोड़ों के दर्द शरीर के रोग, एड्स के इलाज में काम में लाया जाता है। यह पौधा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता ,है पेट की कब्ज ,कीड़े आदि दूर करता है वही वजन घटाने में इसका कोई मुकाबला नहीं है वह तो बड़ा योगदान है। यदि पर प्रसूता स्त्री को इस पौधे की पत्ती घी में गर्म करके दी जाए तो जन्म के बाद कमजोरी नहीं कमजोरी और थकान नहीं आएगी। बच्चे का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। यह खून के में शुगर को संतुलित, हृदय के लिए बहुत लाभकारी है। यह कैंसर रोधी माना जाता है वही यदि गुर्दे की पथरी को रोकने वाला होता है। खून के थक्के जमाने के गुण होते हैं। यही कारण है कि शरीर में कहीं चोट लगने से खून बहता है तो उसको आसानी से पौधे की सहायता से रोका जा सकता है।
 इस पौधे कममात्रा में ही खाना चाहिए अधिक मात्रा में खाने से कुछ साइड इफेक्ट दिखाई देते है। सजना पौधा अति गुणकारी है इसलिए घरों में जरूर लगाना चाहिए और और इसके पत्ते अधिक से अधिक प्रयोग करने चाहिए।
इसके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं यही कारण है कि इनके पत्तों का पाउडर पैकेट में भरकर ऊंचे दामों पर बेचते जाते हैं। इसके पाउडर का कैप्सूल भी लोग प्रयोग करते हैं क्योंकि उसमें भी बहुत अधिक पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों में का रस पीने से हैजा दस्त पेचिश पीलिया आदि रोग दूर हो जाते हैं, खून की सफाई हो जाती है वही संक्रमण से भी बचाया जा सकता है। यह पौधा शरीर के लिए बहुत पौष्टिक माना जाता है इसलिए इस पौधे को जरूर घर में उगाकर इसके लाभ उठाने चाहिए।















** होशियार सिंह लेखक कनीना, महेंद्रगढ़ हरियाणा**

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