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Monday, May 4, 2020


हमारे मसाले ............हल्दी
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जमकर प्रयोग कर रहे है कच्ची हल्दी
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 इस बार शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कच्ची हल्दी जमकर प्रयोग की जा रही है। सब्जी की दुकानों पर कच्ची हल्दी देखी जा रही है जो बिल्कुल अदरक जैसी नजर आती है। अदरक और कच्ची हल्दी के भाव भी लगभग 60 रुपये किलो चल रहे हैं। ऐसे में लोग इसको शरीर की रोग रोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कच्ची हल्दी प्रयोग कर रहे हैं। वैसे तो सभी घरों में हल्दी सब्जी में डाल कर प्रयोग करते हैं परंतु इस बार कोरोना ने लोगों का रुझान कच्ची हल्दी की ओर बढ़ाया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जी बेचने वाले रामू, दिनेश मंगेश आदि ने बताया कि अचानक लोग कच्ची हल्दी मांगने लग गए हैं। प्रतिदिन 5 से 7 किलो हल्दी कच्ची हल्दी बेच देते हैं। कच्ची हल्दी को भी दूध में तथा चाय में डालकर पी रहे हैं।
क्या कहते हुए वैद्य-करीरा के बाल किशन और श्रीकिशन वैद्य का कहना है कच्ची हल्दी बहुत लाभप्रद होती है। यह सेहतमंद होती है। यहां तक कि कैंसर में भी लाभ पहुंचाती है, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। वही कच्ची हल्दी चटनी के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है, सोजन रोकने, इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाती है। वही कच्ची हल्दी से एंटीसेप्टिक एंटीबायोटिक गुण भी पाया जाता है तथा त्वचा चमकदार बनती तथा इसकी चाय शरीर में रोग रोधक क्षमता बढ़ाती है, वजन कम करने में कारगर है वही लीवर को भी स्वस्थ रखती है।
  उधर आयुष मेडिकल अधिकारी बाघोत डा शशी मोरवाल ने बताया कि कच्ची हल्दी को दूध में डालकर सोते वक्त पीना लाभप्रद है। इससे गले का रोग, अस्थमा, वातरोग, हड्डियां रोग आदि में बेहतर साबित हो सकती है।

कुरकुमा लूंगा
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हरिद्रा/ गौरी/हरदौल/टरमेरिक
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हल्दी हल्दी जिसे टरमेरिक नाम से जाना जाता है। यह एक भारतीय वनस्पति है। वास्तव में यह अदरक कुल का पौधा है। जिस प्रकार अदरक पौधे के जड़ों में पाई जाती है इसी प्रकार हल्दी भी जड़ों में गांठ के रूप में पाई जाती है। यह एक भूमिगत रूपांतरित तना होता है। खराब मौसम से बचने तथा जीवों द्वारा खा लिए जाने के भय से ये पौधे अपने तने में भोजन जमा करके भूमि में छुपा लेते हैं।
   हल्दी पुराने समय से चमत्कारी औषधि एवं मसालों में शामिल किया गया है। इसे अनेकों नामों से जाना जाता है जिनमें हरिद्रा, गौरी, हरदौल टरमेरिक आदि प्रमुख हैं।
    हल्दी को एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है। भारतीय रसोई हल्दी के बगैर शून्य के बराबर मानी जाती है। हल्दी वास्तव में जड़ों में पाई जाने वाली गांठ होती है और इनमें प्रोटीन, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट के अतिरिक्त कुरकुम नामक पीले रंग का तरल पदार्थ पाया जाता है साथ में विटामिन भी पाए जाते हैं। हल्दी में पीले रंग के कुरकुम के कारण ही इसे कुरकुमा नाम से जाना जाता है। वास्तव में एक झाड़ीनुमा पौधा होता है। जिसके पत्ते बहुत बड़े बड़े हरे रंग होते हैं।
 कच्ची हल्दी अदरक की भांति दिखाई पड़ती है। हल्दी में पीला, नारंगी एवं काला रंग पाया जाता है। जब हल्दी को ताजा लेकर छिलका हटाते हैं तो नारंगी नजर आती है। हल्दी को सूखाने के बाद पीले तथा कई बार तोडऩे पर अंदर से काले रंग की नजर आती है।
  प्राय लोग पिसी हुई हल्दी में कम विश्वास करते हैं क्योंकि इसमें मिलावट की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में कुछ लोग तो बिना पिसी हल्दी लाकर सिलवट्टा पर पिसते हैं। पुराने वक्त में हल्दी पत्थरों  पर हथों से पिसते थे या  इमाम दस्ता में हल्दी कूटते पिटते थे किंतु वर्तमान में कई यंत्र बाजार में उपलब्ध हैं। हल्दी को वर्तमान में चक्की जैसे यंत्रों से पिसा जाता है। वर्तमान में बुजुर्ग पिसी हुई हल्दी नहीं अपितु अपने हाथों से पीसकर खाते हैंप् हल्दी के लाभों से बुर्ज एवं पुराने समय में लोग परिचित थे। हल्दी विभिन्न प्रकार वात,पीत, तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याओं के निदान, गठिया, कैंसर, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या को दूर करती है।
  यह शरीर से का वात, पित्त आदि को नष्ट करती है वही मूत्र रोग, शुगर, त्वचा रोग आदि में कारगर मानी जाती है। यकृत, नाड़ी शूल, शरीर में गर्मी आदि में बेहतर होती है। यह बेहतर मसाला है वहीं उत्तम औषधि होती है। हर शुभ अवसर पर हल्दी जरूर प्रयोग की जाती है। हल्दी के बगैर कोई शुभ कार्य संपन्न ही नहीं हो सकता जिसके पीछे माना जाता है कि हल्दी में इतने अधिक औषधीय गुण है। देवी देवताओं की पूजा  करनी हो या कोई पर्व मनाया जाता है तो इसके बगैर पूर्ण नहीं होते। इसके छूने मात्र से ही कई समस्याएं हल हो जाती है। यही कारण है कि तिलक आदि हल्दी का किया जाता है।
  विवाह शादी में तो हाथ पीले करना जैसी कहावत हल्दी पर लागू होती है। वह यह जीवाणु रोधी होने के कारण भी इसका माथे का टीका लगाया जाता हैं। सौंदर्य प्रसाधन की बात चले तो भी हल्दी प्रयोग में लाई जाती है। अक्सर बुजुर्ग किसी प्रकार की शरीर में चोट लग जाने पर हल्दी का दूध पिलाते थे। हल्दी को चोट लगने पर भी पट्टी के रूप में बांधते थे जिसके पीछे यही कारण है कि प्राचीन समय से ही हमारे बुजुर्ग हल्दी के बारे में अच्छी प्रकार जानते थे।
    हल्दी के पौधे को देखे तो अदरक एवं अरबी से मिलता जुलता पौधा होता है जिसके चौड़े पत्ते आते हैं। इसके फूल पीले,संतरी आदि रंगों में पाए जाते हैं और फूल गुच्छे के रूप में पनपते हैं। यह पौधा काफी ऊंचाई तक बढ़ जाता है।हल्दी से  टरमेरिक पेपरबनाया जाता है को वास्तव में कुरकुमा पेपर नाम से जाना जाता है जो प्रयोगशाला में इंडिकेटर(अमलीय/क्षारकीय) के रूप में काम में लाया जाता है। हल्दी पर अभी भी शोध जारी है तथा नई नई शोध किए जा रहे हैं।
हल्दी को विभिन्न बीमारियों में रामबाण माना जाता है। हल्दी से हर इंसान की भलीभांति परिचित है। यह शरीर में। सूजन को दूर करती है। वैसे भी मुस्सा(चूहा) ने हल्दी की गांठ मुहावरे भी बने हुई है कच्ची हल्दी में हल्दी की तुलना में अधिक गुण माने जाते हैं
   कच्ची हल्दी कैंसर से लडऩे की क्षमता रखती है और कैंसर की कोशिकाओं को पनपने नहीं देती, गठिया रोग हो या इंसुलिन का स्तर सुधारना हो हल्दी कारगर है।
हल्दी शरीर में रोग रोधक क्षमता बढ़ाती है वहीं बुखार को रोकती है। हल्दी का लगातार प्रयोग करने से कोलेस्ट्राल कम हो जाता है
। इसमें एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल दोनों गुणों का संयोग पाया जाता है। शरीर की को चमकदार स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भी हल्दी प्रयोग करते हैं। अक्सर विवाह शादी में उबटना लगाकर चेहरे पर चमक प्राचीन समय से ही लाई जाती रही है। यह ठीक है कि आजकल उसका स्थान क्रीम ने ले लिया है।
 हल्दी की चाय बनाकर पीने से शरीर में रोग रोधक क्षमता बढ़ाती है। हल्दी वजन कम करने में भी सहायक है वही लीवर की समस्याओं के लिए भी लाभप्रद मानी जाती है।
अक्सर हल्दी को पाउडर के रूप में प्रयोग किया जाता है किंतु बहुत से लोग है जो हल्दी पाउडर में विश्वास नहीं करते उनका कहना होता है कि हल्दी में लोग मिलावट कर देते हैं ऐसे में कुछ लोग तो हल्दी के पाउडर की बजाय हल्दी की गांठ लाकर उनको पीसते है तब जाकर उन्हें असली मसालों पर विश्वास होता है।
   हल्दी लगभग सभी बीमारियों में लाभकारी मानी जाती है। शरीर के बाहर तो भीतर दोनों ही जगह प्रयोग की जाती है। हर शुभ कार्य में हल्दी प्रयोग की जाती है। पूजा अर्चना टीका लगाना सभी हल्दी से किए जाते हैं। हल्दी पाउडर में सबसे बड़ा गुण है कि यह कीड़े मकोड़ों को पास नहीं आनेे देता। अगर घर में कीट अधिक आते हैं तो अक्सर बुजुर्ग हल्दी पाउडर की लाइन खींचते हैं ताकि उस लाइन को पार करके कीड़े अंदर प्रवेश नहीं करते। नहाते समय भी पानी में चुटकी भर हल्दी डालकर नहाया जाए तो शारीरिक शुद्धता प्रदान करेगा।
विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करनी हो तो उसके लिए भी हल्दी प्रयोग की जाती है।

   भारतीय मसालों में हल्दी का एक विशेष स्थान है। यदि हल्दी को मसालों से निकाल दिया जाए तो मसालों का नाम मिटने के कगार पर पहुंच जाएगा। ऐसे में हल्दी बगैर मसालों की गणना नहीं हो सकती। हल्दी का पाउडर भोजन में प्रयोग किया जाता है। कोई भी सब्जी हो उसमें एक मसाला हल्दी जरूर डाला जाता है। प्राचीन समय से कढ़ी बनाकर लोग इसलिए खोते थे कि इसमें हल्दी अधिक होती है वहीं चने का आटा अर्थात बेशन काम में लाया जाता है जो दोनों ही शरीर के लिए टानिक का काम करते हैं। कढ़ी में अनेकों हरी सब्जियां एवं टींट आदि मिलाकर शरीर के लिए कढ़ी उत्तम साग का काम करता है।
   हल्दी में बहुत से गुण हैं। यदि लीवर में किसी प्रकार की कमी आ जाए तो हल्दी प्रयोग की जाती है वही शरीर में जलन हो तो उसको भी हल्दी से दूर किया जाता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं वही पाचन को स्वस्थ बनाने में ,अल्जाइमर नामक रोग, चिंता, डिप्रेशन आदि ने बहुत लाभप्रद है। मासिक धर्म में भी यह बहुत लाभप्रद है। घाव भरने का गुण पाया जाता है। यदि खांसी हो तो दूध में हल्दी डालकर अक्सर पिलाई जाती है। कील मुंहासे हो तो हल्दी से धोया जाता है। बालों की समस्या भी दूर की जाती है।
 हल्दी में जहां पानी, प्रोटीन, वसा, राख, विभिन्न विटामिन, विभिन्न खनिज लवण के अतिरिक्त फैटी एसिड भी पाए जाते हैं। जहां हल्दी बहुत लाभप्रद है वहीं कुछेक में नुकसान भी कर सकती है।
   यदि किसी रसोई घर में हल्दी को निकाल दिया जाए तो रसोईघर अधूरा माना जाता है। इसलिए हल्दी को जरूर घर में रखना चाहिए। इसे मसालों की जान कहना अनुचित नहीं होगा। हल्दी की वैसे तो बहुत सी किस्में पाई जाती है लेकिन सबसे अधिक हल्दी की किस्में भारत में ही उगाई जाती है। पहले गांठ को पानी में उबाला जाता है ताकि नरम हो जाए तत्पश्चात पानी में सोडा एवं चूना डालकर भी इसका रंग बेहतर बनाया जाता है। बाद में सुंदर बनाने के लिए पालिस भी की जाती है
 सिर दर्द हो तो हल्दी प्रयोग करते हैं। वही मंजन के रूप में भी हल्दी नमक में मिलाकर काम में लाई जाती है। हल्दी में पीड़ा हरने, कीड़े भगाने का गुण भी पाया जाता है। आंखों की बीमारियों में हल्दी लाभप्रद है वहीं गर्मियों में घमोरियां में कच्ची हल्दी की गांठ को उबालकर शहद में मिलाकर प्रयोग किया जाता है। भोजन में रंग और महक हल्दी के कारण आती है। अधिकांश सब्जियों में हल्दी डाली जाती है।
   हल्दी की विभिन्न प्रकार की क्रीम, सौंदर्य प्रसाधन तथा साबुन आदि भी बनाई जाती है। हल्दी बहुत से गुणों से परिपूर्ण होने के कारण इसे अधिक से अधिक प्रयोग किया जाता है। हल्दी के फायदे ही फायदे हैं नुकसान ना के बराबर है।
    हल्दी वाला पानी पीने से खून नहीं जमता, खून साफ करने में मददगार है। दिमाग के लिए भी बेहतर मानी जाती है वही हल्दी से बड़ी उम्र भी छोटी नजर आती है। शरीर को विषरहित बनाने में बहुत बड़ी भूमिका होती है। पूजा विधान में तो विशेष लाभप्रद होती है।
 कभी-कभी हल्दी से सिर दर्द दस्त उल्टी की शिकायत मिल सकती है। लेकिन कुछेक में यह दिक्कत कर सकती है वरना इसके हर इंसान को लाभ ही लाभ देती है।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना, जिला-महेंद्रगढ़, हरियाणा**










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