अश्वगंध
(वाइथनिया सोम्निफेरा)
भारत देश का प्रमुख पौधा
मिलता जंगल व उजाड़ में
यहां वहां खड़ा मिल जाता
या फिर खड़ा मिले बाड़ में,
आयुर्वेद का यह है उपहार
जन-जन करता इससे प्यार
गर्म, मादक, गंधयुक्त होता
इससे ही दवा बनती हजार,
गहरे हरे पत्ते मिले इस पर
आते फिर लाल-लाल फल
असगंध, शुक्रला कई नाम
निरास जन का अच्छा हल,
पशुओं के लिए दवा बनाते
ग्रामीण लोग इससे वाकिफ
वात, श्वास रोग दूर करता है
पक्षी, जंतु इसके हैं आशिक,
पत्ते, फल और जड़ काम के
कई उन्नत किस्में उगाई जाए
शुगर, हिचकी, टीबी दूर करे
जोड़ दर्द व कैंसर पर लगाए,
ध्यान भंग हो नींद नहीं आए
बीपी बढ़े और खून घट जाए
अश्वगंध हाजिर काम में लाए,
जड़ प्लेग रोग दूर कर देती है
थकान मिटा ऊर्जा शरीर पाए
हृदय रोग व श्वास रोग घटाए
यकृत ,गदूद, त्वचा रोग घटाए,
घाव पर रगड़ अश्वगंध लगाए
शुक्र घट जाए और बच्चा चाहे
या फिर शरीर में स्फूर्ति बढ़ावे
तो अश्वगंध को जरूर अजमाए,
अश्वगंध के पाक आरिष्ठ आसव
तीनों ही रूपों में मिलते बाजार
जोड़ दर्द, पीठ दर्द दूर करता है
रोग दूर करे अश्वगंध कई हजार,
जड़ में घोड़े जैसी ही बदबू आए
अत: यह पौधा अश्वगंध कहलाए
लाल फल रोचक मिलते हैं इतने
फलों को पशु पक्षी चाव से खाए।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
(वाइथनिया सोम्निफेरा)
भारत देश का प्रमुख पौधा
मिलता जंगल व उजाड़ में
यहां वहां खड़ा मिल जाता
या फिर खड़ा मिले बाड़ में,
आयुर्वेद का यह है उपहार
जन-जन करता इससे प्यार
गर्म, मादक, गंधयुक्त होता
इससे ही दवा बनती हजार,
गहरे हरे पत्ते मिले इस पर
आते फिर लाल-लाल फल
असगंध, शुक्रला कई नाम
निरास जन का अच्छा हल,
पशुओं के लिए दवा बनाते
ग्रामीण लोग इससे वाकिफ
वात, श्वास रोग दूर करता है
पक्षी, जंतु इसके हैं आशिक,
पत्ते, फल और जड़ काम के
कई उन्नत किस्में उगाई जाए
शुगर, हिचकी, टीबी दूर करे
ध्यान भंग हो नींद नहीं आए
बीपी बढ़े और खून घट जाए
अश्वगंध हाजिर काम में लाए,
जड़ प्लेग रोग दूर कर देती है
थकान मिटा ऊर्जा शरीर पाए
हृदय रोग व श्वास रोग घटाए
यकृत ,गदूद, त्वचा रोग घटाए,
घाव पर रगड़ अश्वगंध लगाए
शुक्र घट जाए और बच्चा चाहे
या फिर शरीर में स्फूर्ति बढ़ावे
तो अश्वगंध को जरूर अजमाए,
अश्वगंध के पाक आरिष्ठ आसव
तीनों ही रूपों में मिलते बाजार
जोड़ दर्द, पीठ दर्द दूर करता है
रोग दूर करे अश्वगंध कई हजार,
जड़ में घोड़े जैसी ही बदबू आए
अत: यह पौधा अश्वगंध कहलाए
लाल फल रोचक मिलते हैं इतने
फलों को पशु पक्षी चाव से खाए।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
No comments:
Post a Comment